क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्या मियां नवाज़ शरीफ फिर सऊदी अरब में पनाह लेने वाले हैं?

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ के सऊदी अरब दौरे से लग रहे हैं कयास.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
नवाज़ शरीफ़
Getty Images
नवाज़ शरीफ़

पाकिस्तान में सत्ता से बेदखल हुए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के सऊदी अरब दौरे से उर्दू मीडिया में रियाद से सौदेबाज़ी के कयास लगने शुरू हो गए हैं.

'द टाइम्स' की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए लोकल मीडिया ये ख़बरे दे रहा है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता नवाज़ शरीफ़ खुद पर और अपने परिवार पर चल रहे भ्रष्टाचार के मुक़दमों से बचने के लिए पाकिस्तान छोड़ने का विकल्प चुन सकते हैं.

पाकिस्तानी पत्रकार वजाहत ख़ान ने 'द टाइम्स' में छपे अपने लेख में दावा किया है कि सऊदी अरब नवाज़ शरीफ़ और पाकिस्तानी इस्टैबलिशमेंट के बीच चल रही खींचतान में दखल दे सकता है. वजाहत ख़ान लिखते हैं, "सऊदी अरब ये संकेत दे रहा है कि उन्हें पाकिस्तानी फौज़ के आख़िरी इशारे का इंतज़ार है."

हालांकि सत्ता से बेदखल हुए प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दफ्तर ने इन ख़बरों से इनकार किया है. उनका कहना है कि सऊदी अरब के शाही खानदान से पुराने रिश्तों की वजह से और सत्तारूढ़ पार्टी के मुखिया की हैसियत से नवाज़ शरीफ़ रियाद दौरे पर गए हैं.

'एक दफा गद्दार कहने की बीमारी शुरू हो जाए तो...'

'इमरान नॉट आउट, तरीन आजीवन आउट'

सऊदी पनाहगाह

बयान में कहा गया है, "सऊदी अरब से रिश्तों का उन्होंने हमेशा मुल्क के हित में इस्तेमाल किया है. इसका इस्तेमाल उन्होंने कभी भी निजी फ़ायदे के लिए नहीं किया है."

नवाज़ शरीफ़ के छोटे भाई शाहबाज़ शरीफ़ भी 'कुछ ख़ास मुलाक़ातों के सिलसिले में' इस वक्त रियाद में हैं. शाहबाज़ शरीफ़ फ़िलवक्त पाकिस्तान के पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री हैं और हाल ही में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) ने अगले साल होने वाले चुनावों के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नोमिनेट किया है.

नवाज़ शरीफ़ के खानदान को सऊदी अरब एक बार पहले भी पनाह दे चुका है. जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने उनकी सरकार का तख्ता पलटने के बाद अक्टूबर, 1999 में नवाज़ शरीफ को उम्र कैद की सज़ा दी गई थी तो सऊदी अरब ने ही उनकी रिहाई का रास्ता बनाया था.

पाकिस्तान के न्यूज़ मीडिया में प्राइम टाइम पर नवाज़ शरीफ़ का सऊदी दौरा सुर्खियों में है. अख़बारों के संपादकीय और लेख इस मुद्दे पर पढ़े जा सकते हैं.

लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन क्यों कर रहे हैं मुशर्रफ़?

औरंगज़ेब के लिए अब इस्लामाबाद हुआ मुफ़ीद!

क्या कहता है पाकिस्तानी मीडिया

सरकार समर्थक माने जाने वाले 'जियो न्यूज़' पर एंकर राबिया अनाम ने अपने टीवी शो 'लेकिन' में नवाज़ शरीफ़ के सऊदी दौरे पर चर्चा की, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के हवाले से ये भी कहा गया कि वे जम्हूरियत के लिए लड़ते रहेंगे.

एक दूसरे एंकर रईस अंसारी ने सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) की खामोशी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इससे अफ़वाहों को हवा मिलने में मदद मिली. लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मुजीबुर रहमान शामी इन ख़बरों से इत्तेफाक़ नहीं रखते.

उन्होंने इस तरह की मीडिया रिपोर्टों को ख़ारिज करते हुए कहा कि नवाज़ शरीफ़ के निर्वासन की कतई संभावना नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर स्पष्ट स्टैंड लिया है और उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन हासिल है.

पत्रकार अहमद कुरैशी भी इन मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हैं. उनका कहना है कि मौजूदा संकट में इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अरब नवाज़ शरीफ़ की मदद करने आएगा.

परदे के पीछे सरकार और सेना की 'महाभारत'

'मियां साहब ख़तरनाक़ खेल खेल रहे हैं'

'वित्तीय मामले'

सेना समर्थक माने जाने वाले चैनल 'नियो न्यूज़' पर एक टीवी शो के दौरान अहमद कुरैशी ने कहा कि रियाद नवाज़ शरीफ़ को सियासत छोड़ने और लंदन जाकर रहने के लिए कह सकते हैं.

एक सऊदी पत्रकार के हवाले से अहमद कुरैशी ने कहा, "सऊदी अरब पाकिस्तान को अस्थिर नहीं करना चाहता... रियाद पहुंचने पर नवाज़ शरीफ़ को भी ऑफिशियल प्रोटोकॉल मुहैया नहीं कराया गया और सऊदी अरब का कोई भी अधिकारी उन्हें रिसीव करने नहीं आया."

उदारवादी माने जाने वाले न्यूज़ 'चैनल 24' पर एंकर नसीम ज़ेहरा सीनियर जर्नलिस्ट हामिद मीर के साथ अपने शो में इस मुद्दे पर चर्चा करती हुई दिखीं. हामिद मीर का कहना है कि शाहबाज़ शरीफ़ के रियाद दौरे का मक़सद कुछ और था जबकि नवाज़ शरीफ़ कुछ वित्तीय मामलों के सिलसिले में सऊदी अरब गए हैं.

हामिद मीर के मुताबिक़, "सऊदी अरब के हित पाकिस्तान की फौज के साथ तालमेल में है न कि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी के साथ. नवाज़ शरीफ़ के पास निर्वासन में जाने का फिलहाल कोई विकल्प नहीं है क्योंकि न्यायपालिका शायद ही इसकी इजाज़त दे."

'नवाज़ शरीफ़ के बाद अब ज़रदारी की बारी है'

हमारे लिए अल्लाह ही काफ़ी है: मरियम नवाज़

'बाहरी ख़तरे'

पाकिस्तान में जारी राजनीतिक अनिश्चितता के बीच उर्दू प्रेस में 'बाहरी ख़तरे' के बारे में चिंताएं जाहिर की जा रही हैं. लिबरल कहे जाने वाला अख़बार डेली एक्सप्रेस कहता है कि पाकिस्तान-अमरीका संबंध अपने निचले स्तर पर है जबकि भारत और अफ़ग़ानिस्तान जैसे हमसाया मुल्कों की दुश्मनी बरकरार है.

अख़बार ने बाहरी और अंदरूनी ख़तरे की पहचान करने की सभी पक्षों से अपील की है. पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ के इस्तीफे की मांग को लेकर अड़े विपक्ष की राजनीति पर अख़बार 'जंग' का कहना है कि पाकिस्तान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर बदतरीन चुनौती का सामना कर रहा है.

शाहबाज़ शरीफ के इस्तीफ़े के लिए विपक्षी पार्टियों ने उन्हें सात जनवरी तक की मोहलत दी है. कनाडा के मौलवी ताहिर-उल-क़ादरी की अगुवाई वाले राजनीतिक गुट पाकिस्तान आवामी तहरीक़ और दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने लाहौर में 30 दिसंबर को ये अल्टीमेटम दिया था.

नवाज़, उनकी बेटी और दामाद पर आरोप तय

'5 साल में वोट देते हो, अहसान नहीं करते!'

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Are Mian Nawaz Sharif taking refuge in Saudi Arabia again
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X