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अंटार्कटिक से 3 हफ्ते में दूसरी टेंशन वाली खबर, डूब सकते हैं समुद्र किनारे बसे कई शहर!

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नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन सभी देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसको रोकने के लिए ज्यादातर देश कड़े कदम उठाने का दावा कर रहे, लेकिन उसका कोई ठोस नतीजा निकलता नजर नहीं आ रहा। अब इसी मामले में अंटार्कटिका से एक चिंताजनक खबर आई है। जिसके मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्म पानी दुनिया की सबसे बड़ी बर्फ की चादर की ओर बढ़ रहा है।

अमेरिका से बड़ी है आइस सीट

अमेरिका से बड़ी है आइस सीट

नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी अंटार्कटिक बर्फ की चादर (आइस सीट) की ओर गर्म पानी बह रहा है, जो वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि की ओर इशारा करता है। ये बर्फ की चादर आकार में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से भी बड़ी है। इसका साफ मतलब है कि अगर इसकी बर्फ पिघली तो समुद्र का जलस्तर बढ़ना पक्का है।

समुद्री जीवन भी होगा प्रभावित

समुद्री जीवन भी होगा प्रभावित

शोधकर्ताओं के मुताबिक पानी के सर्कुलेशन में परिवर्तन हवा के पैटर्न में बदलाव के कारण होते हैं। इसके साथ जलवायु परिवर्तन समेत तमाम चीजें जुड़ी होती हैं। अगर गर्म पानी की वजह से समुद्र के स्तर में वृद्धि हुई तो समुद्री जीवन को भी नुकसान हो सकता है। साथ ही समुद्र किनारे बसीं मानव बस्तियां भी डूब जाएंगी।

ग्लोबल वार्मिंग रोकनी जरूरी

ग्लोबल वार्मिंग रोकनी जरूरी

रिपोर्ट ने बताया गया कि बर्फ की चादरों में बहुत ज्यादा ठंडी बर्फ रहती है, जो जमीन पर बारिश के बाद जमा होती है। यहां से आइस सीट्स फैलती हैं और समुद्र में तैरती रहती हैं। इन्हें Ice Shelves के नाम से भी जाना जाता है। शोध में ये बात सामने आई कि अगर इस विनाशकारी परिवर्तन को रोकना है, तो हमें ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे सीमित करने की तुरंत जरूरत है।

समुद्र स्तर में 5.1 मीटर की बढ़ोतरी होगी

समुद्र स्तर में 5.1 मीटर की बढ़ोतरी होगी

रिसर्च के दौरान हिंद महासागर में तट से बहुत दूर स्‍टडी पर फोकस किया गया। इस जगह को ऑरोरा सबग्लेशियल बेसिन के रूप में जाना जाता है। जमे हुए समुद्र का इसका क्षेत्र पूर्वी अंटार्कटिक के बर्फ की चादर का हिस्सा है। इसी वजह से ये दुनिया की सबसे बड़ी चादर है। जांच में पता चला कि समुद्र के नीचे ऑरोरा सबग्लेशियल बेसिन गर्म पानी की वजह से पिघल सकता है। अगर ये पूरी तरह से पिघल गया तो वैश्विक समुद्र स्तर में 5.1 मीटर की बढ़ोतरी होगी।

कब-कब कितना बढ़ा तापमान?

कब-कब कितना बढ़ा तापमान?

एक शोधकर्ता ने बताया कि ऑरोरा सबग्लेशियल बेसिन से 90 साल के समुद्र संबंधी डेटा की जांच की गई। उन्होंने पाया कि 20वीं सदी के पहले समुद्र 2-3 डिग्री सेल्सियस की दर से गर्म हो रहा था। ये प्रति दशक 0.1 ℃ से 0.4 ℃ के बराबर है। 1990 के दशक के बाद से ग्लोबल वार्मिंग की प्रवृत्ति तीन गुना हो गई और प्रत्येक दशक में 0.3 ℃ से 0.9 ℃ की दर तक पहुंच गई, जो चिंता का विषय है।

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तीन हफ्ते में दूसरी चिंताजनक रिपोर्ट

तीन हफ्ते में दूसरी चिंताजनक रिपोर्ट

आपको बता दें कि अभी तीन हफ्ते पहले एक और चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि अंटार्कटिक की बर्फ की चादर कभी आगे बढ़ी कभी पीछे हट गई। इस घटना से भी वहां की जमी बर्फ पिघल रही है। जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ने की आशंका है।

English summary
Antarctica Hot water reaching ice seat due to climate change
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