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अफगानिस्तान में खजाने की खोज, प्राचीन बौद्ध सिटी को ध्वस्त करेगा चीन, कैसे रूकेगा ड्रैगन?

पुरातत्वविदों ने बौद्ध मठों, स्तूपों, किले, प्रशासनिक भवनों और आवासों का खुलासा किया था और यहां पर सैकड़ों मूर्तियों, भित्तिचित्रों, चीनी मिट्टी की चीज़ें, सिक्के और पांडुलिपियों का भी पता चला था।

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काबुल, जून 22: अफगानिस्तान पर हुकूमत करने वाले तालिबान ने देश में मौजूद बहुमूल्य खजाने की तलाश की जिम्मेदारी चीनी ड्रैगन को दे दी है और चीनी ड्रैगन इसके लिए पागल हाथी की तरफ विध्वंस मचाने पर आमादा है, भले ही इसके लिए प्राचीनतम शहरों को भी ध्वस्त क्यों ना कर दिया जाए। रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास स्थिति विशाल चोटियों पर बना एक प्राचीन बौद्ध शहर हमेशा के लिए खत्म हो सकता है। दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंडार को निकालने के लिए इस प्राचीन बौद्ध विरासत को चीन ने निगलना शुरू कर दिया है।

बौद्ध संस्कृति की अद्भुत झलक

बौद्ध संस्कृति की अद्भुत झलक

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के करीब स्थिति मेस अयनक, जिसे अतिप्राचीण बौद्ध स्मारक कहा जाता है, उसकी खुदाई अब चीन ने शुरू कर दी है और अफगानिस्तान के कई पत्रकारों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है और दुनिया से अपील की है, कि अफगानिस्तान की इस विरासत को ध्वस्त होने से बचाया जाए। हेलेनिस्टिक और भारतीय संस्कृतियों के संगम पर स्थित, मेस अयनक करीब 2 हजार साल पुराना है और इस जगह पर कभी तांबे के निष्कर्षण से जुड़ा व्यापार होता था। कभी ये जगह विशालकाय शहर हुआ करता था, लेकिन अफगानिस्तान में मुस्लिम शासन स्थापित होने के बाद इसे उजाड़ बना दिया गया और अब तालिबान राज में इसका नामोनिशान मिटाने की कोशिश की जा रही है।

करीब 2 हजार साल पुराना है शहर

करीब 2 हजार साल पुराना है शहर

पुरातत्वविदों ने बौद्ध मठों, स्तूपों, किले, प्रशासनिक भवनों और आवासों का खुलासा किया था और यहां पर सैकड़ों मूर्तियों, भित्तिचित्रों, चीनी मिट्टी की चीज़ें, सिक्के और पांडुलिपियों का भी पता चला था। फ्रांसीसी कंपनी आइकोनेम के एक पुरातत्वविद्, बास्टियन वरौटिकोस कहते हैं कि, सदी की शुरुआत में लूटपाट के बावजूद, मेस ऐनाक दुनिया में "सबसे खूबसूरत पुरातात्विक स्थलों में से एक" बना हुआ था, जो शहर और इसकी विरासत को डिजिटलाइज करने के लिए काम कर रहा है। लेकिन, सत्ता में लौटने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में मौजूद खनिजों के खनन की जिम्मेदारी चीन को सौंप दी है और ना तालिबान और ना ही चीन, दोनों में से किसी को बौद्ध की प्राचीन विरास से कोई मतलब है और इसे ध्वस्त किया जा रहा है।

खनन के लिए शहर खत्म

खनन के लिए शहर खत्म

इस शहर की खोज जो की गई थी, तो यहां पर दूसरी शताब्दी से 9वीं शताब्दी तक के बौद्ध सामान मिले थे। वहीं, यहां पर कांस्य युग के मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं, जो बौद्ध के जन्म से बहुत पहले भी पाए जाते थे। 1960 के दशक की शुरुआत में एक फ्रांसीसी भूविज्ञानी ने इस शहर को फिर से खोजा था, जिसे सदियों पहले भुला दिया गया था। लोगर प्रांत में मेस अयनाक की तुलना आकार और महत्व में पोम्पेई और माचू पिचू से की गई है। ये खंडहर, जो 1,000 हेक्टेयर में फैला है और एक विशाल शिखर पर बना हुआ है, उसके भूरे रंग का भाग पता ही नहीं चलने देता है, कि ये तांबे से बना है। लेकिन 2007 में चीनी खनन दिग्गज मेटलर्जिकल ग्रुप कॉरपोरेशन (एमसीसी) ने, जिसने चीन सरकार के के स्वामित्व वाले कंसोर्टियम का नेतृत्व किया था, उसने 3 अरब डॉलर में 30 सालों तक अयस्क निकालने के लिए अफगानिस्तान सरकार से करार किया था।

अब क्यों खोदा जा रहा है शहर?

अब क्यों खोदा जा रहा है शहर?

इस करार के 15 साल बीतने के बाद खदान को अभी भी खोजा नहीं जा सका है और अनुबंध की वित्तीय शर्तों पर बीजिंग और काबुल के बीच असुरक्षा और असहमति के कारण देरी हुई है। लेकिन, अब यह परियोजना एक बार फिर से दोनों पक्षों के लिए एक प्राथमिकता है, जिसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर बातचीत जारी है।

कौन बचाएगा ‘बुद्ध का शहर’?

कौन बचाएगा ‘बुद्ध का शहर’?

चीनी कंपनी ने जिस तरह इस क्षेत्र को खोदना शुरू किया है, उससे आशंकाएं बढ़ रही हैं कि सिल्क रोड पर सबसे समृद्ध व्यापार केंद्रों में से एक माना जाने वाला ये स्थान बिना निरीक्षण के गायब हो सकता है। पुरातत्वविद वरुत्सिकोस ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि, 2010 के दशक की शुरुआत में, यह "दुनिया की सबसे बड़ी पुरातात्विक परियोजनाओं में से एक" था। वहीं, पहले चीनी कंपनी नएमजेएएम ने मूल रूप से तीन साल के लिए संचालन की शुरुआत को निलंबित कर दिया था, ताकि पुरातत्वविदों को सीधे खदान से खतरे वाले क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिल सके। और बाद में उस अवधि को अनजाने में लंबा कर दिया गया था, क्योंकि सुरक्षा स्थिति ने चीनियों को नियोजित बुनियादी ढांचे के निर्माण से रोका रखा खा। लेकिन, अब तालिबान की इजाजत मिलने के बाद अब सारे सिक्के चीन की हाथों में है।

तालिबान ने बौद्ध मूर्ति को उड़ाया

तालिबान ने बौद्ध मूर्ति को उड़ाया

इस स्थान पर खुदाई के दौरान मिली काफी साफी चीजों को काबुल म्यूजियम ले जाया गया और बाकी सामानों को अफगानिस्तान सरकार ने संरक्षित करने के आदेश दे दिए थे। वहीं, जब तालिबान साल 2021 में पहली बार सत्ता में आया था, तो उसने बामियान के विशाल बौद्ध प्रतिमा को बम से उड़ाकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। लेकिन, अब तालिबान ने कहा है कि, वो मेस अयनक में मिले सामानों को संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अफगानिस्तान के खान और पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रवक्ता एस्मातुल्लाह बुरहान ने एएफपी को बताया कि, 'उनकी रक्षा करना सूचना और संस्कृति मंत्रालय का कर्तव्य है'। लेकिन, कई लोगों को तालिबान के दावे पर शक है।

क्या मिट जाएगा नामोनिशान?

क्या मिट जाएगा नामोनिशान?

तालिबान अपने वादे को ईमानदार भले ही बता रहा है, लेकिन अभी तक चीनी कंपनी ने खुदाई शुरू कर दी है, तो अभी भी यहां के सामानों को संरक्षित करने की कोशिश शुरू नहीं की गई है। वहीं, कई अवशेष बस इतने भारी या फिर इतने नाजुक हैं, जिन्हें यहां से निकालने के लिए काफी मेहनत और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की जरूरत है और ऐसे में लगता नहीं, कि ये बच पाएंगे या फिर इन्हें बचाने की कोशिश भी की जाएगी। चीनी भूमिगत खनन के बजाय खुले गड्ढ़े खोदते हैं और अगर चीनी खुदाई आगे बढ़ती है, तो यह तांबे के पहाड़ को खत्म कर देगा और अतीत के सभी टुकड़ों को दफन कर देगा।

अफगानिस्तान में अरबों के खनिज संसाधन

अफगानिस्तान में अरबों के खनिज संसाधन

अफगानिस्तान तांबे, लोहा, बॉक्साइट, लिथियम और दुर्लभ पृथ्वी के विशाल खनिज संसाधनों से समृद्ध देश है, जिसकी कीमत एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक लगाई गई है। तालिबान को मेस अयनाक से सालाना 30 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की उम्मीद है और साल 2022 के लिए तालिबान ने देश का जो बजट बनाया है, उसका 60 प्रतिशत सिर्फ मेस अनयान से ही निकल आएगा, लिहाजा तालिबान अब पूरे राज्य के बजट का लगभग 60 प्रतिशत - और अब इस प्रक्रिया को तेज करना चाहता है। तालिबान के मंत्री बुरहान के अनुसार, "यह परियोजना शुरू होनी चाहिए, इसमें अब और देरी नहीं होनी चाहिए"। उन्होंने कहा कि, अब सिर्फ तकनीकी प्वाइंट्स को सुलझाने का ही काम बाकी रह गया है। तालिबान ने चीन की सरकार से अनुबंध में खदान और काबुल में बिजली के लिए बिजली स्टेशन का निर्माण और पाकिस्तान तक रेलमार्ग बनाने की मांग की है।

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English summary
Due to the excavation of the Chinese company in Afghanistan, the name of the ancient Buddhist city is about to be erased.
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