HIV पीड़ित महिला ने जानलेवा वायरस को दी मात, दावा- दुनिया का ऐसा पहला मामला
नई दिल्ली, 17 फरवरी: दुनिया की सबसे गंभीर और लाइलाज बीमारी माने जानी वाली एचआईवी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिका में डॉक्टरों ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए पहली बार एचआईवी संक्रमित महिला का इलाज कर उसे इस गंभीर वायरस से मुक्त किया है। जानकारी के मुताबिक महिला अब 14 महीने से इस वायरस से मुक्त है। माना जा रहा है कि अमेरिकी मरीज एचआईवी से ठीक होने वाली दुनिया की तीसरी और पहली महिला है।
इस खबर के बाद ऐसा लग रहा है कि सालों से एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी का इलाज खोजने में लगे वैज्ञानिक को अब सफलता मिलती नजर आ रही है। डॉक्टरों के मुताबिक उपचार की पूरी प्रक्रिया को 'स्टेम सेल ट्रांसप्लांट' तकनीक के जरिए पूरा किया गया है। महिला रोगी का मामला मंगलवार (15 फरवरी) को डेनवर में एक चिकित्सा सम्मेलन में पेश किया गया था और यह पहली बार है, जब इस पद्धति को एचआईवी के लिए एक फंक्शनल ट्रीटमेंट के रूप में किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्टेम सेल (स्टेम कोशिका या मूल कोशिका) एक ऐसे शख्स ने दान किए थे, जिसके अंदर एचआईवी वायरस के खिलाफ नेचुरल इम्यूनिटी थी। रोगी के कैंसर के इलाज के हिस्से के रूप में डॉक्टरों ने पहली बार गर्भनाल के खून का इस्तेमाल महिला के ल्युकेमिया का इलाज करने के लिए किया। तब से उसे एचआईवी के इलाज के लिए जरूरी एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी लेने की जरूरत नहीं है।
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वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके परिणामस्वरूप ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों में एचआईवी के प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। हालांकि इसे बहुत अच्छा विकल्प नहीं माना जा रहा, क्योंकि ये ट्रांसप्लांट काफी खतरनाक होता है। इसलिए इससे उन्हीं लोगों का इलाज किया जाता है, जो कैंसर से पीड़ित हों और कोई दूसरा रास्ता ना बचा हो। यह मामला एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों के एक बड़े अमेरिकी अध्ययन का हिस्सा था, जिन्होंने कैंसर और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए एक ही प्रकार का ब्ल्ड ट्रांसप्लांट किया था।
पहली
बार
महिला
का
इलाज
बता
दें
कि
एचआईवी
से
ठीक
होने
का
यह
तीसरा
मामला
है,
तब
से
यह
सिर्फ
दो
बार
एडम
कैस्टिलेजो
और
अब
न्यूयॉर्क
के
मरीज
के
साथ
दोहराया
गया
है।
तीनों
को
कैंसर
था
और
उनकी
जान
बचाने
के
लिए
स्टेम
सेल
ट्रांसप्लांट
की
जरूरत
थी।
उनके
एचआईवी
का
इलाज
करना
कभी
भी
प्राथमिक
लक्ष्य
नहीं
था।
इससे
पहले
एक
श्वेत
पुरुष
और
दूसरा
एक
दक्षिण
अमेरिकी
मूल
के
व्यक्ति
का।
इन
दोनों
का
भी
स्टेमसेल
ट्रांसप्लांट
हुआ
था।