तालिबान के सामने अमेरिकी नागरिक ने अपनाया इस्लाम, जानिए तालिबान शासन पर क्या बोला?
पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद से तालिबान का ही शासन अफगानिस्तान पर है, लेकिन तालिबानी शासन को अभी तक मान्यता नहीं मिली है।
काबुल, जनवरी 26: एक तरफ पूरी दुनिया में तालिबानी शासन की निंदा हो रही है और पिछले साल अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान के शासन को किसी भी देश ने अभी तक मान्यता नहीं दी है। वहीं, अमेरिका के एक शख्स ने ना सिर्फ तालिबान की शासन की प्रशंसा की है, बल्कि एक अमेरिकी ने बकायदा इस्लाम कबूल किया है।
अमेरिकी शख्स ने कबूला इस्लाम
अफगानिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी ने अमेरिकी शख्स के इस्लाम कबूलने की जानकारी दी है और कहा है कि, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह के सामने अमेरिकी नागरिक ने इस्लाम धर्म को अपनाया है। अफगानिस्तानी न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नागरिक का नाम क्रिस्टोफर था, जिसने तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह के सामने ईसाई धर्म का त्याग करते हुए इस्लाम कबूल कर लिया और इस्लाम धर्म अपनाने के बाद क्रिस्टोफर का नया नाम मोहम्मद ईसा रखा गया है।
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तालिबान से था प्रभावित
अफगान न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नागरिक क्रिस्टोफर पिछले कई सालों से अफगानिस्तान में रह रहा था और वो तालिबान से काफी प्रभावित था। रिपोर्ट में कहा गया है कि, क्रिस्टोफर तालिबान की नैतिकता से काफी प्रेरित था और वो तालिबान की काफी प्रशंसा करता है, इसीलिए उसने तालिबानी प्रवक्ता के सामने इस्लाम कबूल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने आधिकारिक तौर पर अनिवार्य शाहदा का पाठ करके अमेरिकी नागरिक क्रिस्टोफर का धर्म परिवर्तन करवाया और फिर मुसलमान बनाने के बाद उसका नया नाम मोहम्मद ईसा रखा है।
इस्लाम कबूलने पर आंखों में आंसू
वहीं, पाकिस्तानी अखबार द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, जब अमेरिकी नागरिक क्रिस्टोफर ने ईसाई धर्म का त्यागकर इस्लाम धर्न को अपनाया, तब उसकी आंखों में आंसू आ गये थे। पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक, आंसू भरी आंखों से ही क्रिस्टोफर ने अपने नये नाम के साथ इस्लामिक शिक्षा को ग्रहण किया और इस्लामिक रीति रिवाज को अफनाया। वहीं, धर्म परिवर्तन हो जाने के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह ने क्रिस्टोफर का इस्लाम धर्म में स्वागत किया और फिर उसे गले लगाया।
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा
आपको बता दें कि, पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान ने आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद से तालिबान का ही शासन अफगानिस्तान पर है। हालांकि, तालिबान सरकार को अभी भी दुनिया के किसी भी देश से मान्यता नहीं मिली है और दुनिया के सभी देशों का कहना है कि, तालिबान सरकार को मान्यता देने के बारे में तभी सोचा जा सकता है, जब उसकी सरकार में अफगानिस्तान के हर जाति और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व हो। वहीं, महिलाओं के साथ सलूक को लेकर भी तालिबान पर लगाता सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि, अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से ही महिलाओं के स्कूल- कॉलेज जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है और अफगानिस्तान की महिलाएं अपने घरों में कैद हैं। हाल ही में तालिबान ने इस्लामिक कार्ड खेलते हुए दुनिया के मुस्लिम देशों से मान्यता देने की अपील की थी, लेकिन किसी मुस्लिम देश ने भी तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी।
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