अफगानिस्तान में शांति बहाली पर भारत में फैसला! पाकिस्तान-तालिबान को घेरने आ रहे हैं विदेश मंत्री
शांति प्रक्रिया पर अहम बात करने भारत आ रहे हैं अफगानिस्तान के विदेश मंत्री। पाकिस्तान और तालिबान पर भारतीय विदेश मंत्री से अहम चर्चा।
काबुल/नई दिल्ली: अफगानिस्तान के लिए भारत काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। और इस बात का जिक्र अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी बार बार कर चुके हैं। अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए बनी कमेटी में भारत के शामिल होने का अफगानिस्तान सरकार की तरफ से समर्थन किया गया था वहीं अब रणनीतिक विमर्श के लिए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमार आज भारत दौरे पर आ रहे हैं। अफगानिस्तान के विदेशमंत्री का ये दौरा उस वक्त हो रहा है, जब अमेरिका के रक्षामंत्री रविवार को अचानक भारत दौरा खत्म कर अफगानिस्तान पहुंचे थे।
भारत दौरे पर अफगान विदेश मंत्री
भारत और अफनागिस्तान के बीच हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं और अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार का समर्थन हमेशा से भारत करता आया है। जबकि पाकिस्तान अफगानिस्तान स्थिति आतंकी संगठन तालिबान का समर्थन करता है। लिहाजा, अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार हमेशा पाकिस्तान हुकूमत को आड़े हाथों लेती रहती है। आज अफगानिस्तान के विदेशमंत्री भारत आ रहे हैं और इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान में शांति स्थापना, भारत की भूमिका समते कई अहम मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमार का भारत दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि अमेरिका ने अफगानिस्तान के लिए भारत की अहम भूमिका को स्वीकार किया है।
भारतीय विदेशमंत्री से होगी बात
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमार भारत दौरे के दौरान भारतीय विदेशमंत्री एस. जयशंकर से व्यापक मुलाकात और बातचीत करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक बातचीत होगी। खासतौर पर अफगानिस्तान में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और अफगानिस्तान की सरकार को अस्थिर करने की पाकिस्तानी कोशिशों पर कैसे अंकुश लगाएं, इस बात की चर्चा दोनों देशों के विदेशमंत्रियों के बीच हो सकती है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच आर्थिक और द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने को लेकर भी बातचीत होने की पूरी संभावना है।
भारत का संघर्ष विराम का आह्वान
पिछले महीने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच वर्चुअल बातचीत हुई थी। जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान की शांति और संघर्ष विराम का आह्वान किया था। वहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पीएम मोदी के सामने बिना नाम लिए पाकिस्तान की जमकर आलोचना की थी और पाकिस्तान पर अफगानिस्तान की शांति खराब करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान का पड़ोसी देश ही आतंकवादियों को आर्थिक और सामरिक मदद दे रहा है और चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने दुनिया की शक्तियों से बगैर पाकिस्तान का नाम लिए पाकिस्तान को रोकने और समझाने की अपील की थी। वहीं, भारत के लिए अफगानिस्तान की शांति बेहद जरूरी है, लिहाजा भारत अफगानिस्तान में अपनी सक्रियता बनाए हुए है। अगर अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार को खतरा होता है तो इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा।
आतंकियों का दोस्त पाकिस्तान
वहीं, इसी महीने अफगानिस्तान के पहले उप-राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई थी और उसे आतंकियों का सबसे बड़ा हमदर्द देश करार दिया था। अफगानिस्तान के पहले उप-राष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह ने कहा था कि पाकिस्तान की वजह से ही अफगानिस्तान में शांति की स्थापना नहीं हो पाती है और तालिबान को खड़ा करने से लेकर उसे पालने पोषणे में सबसे बड़ा हाथ पाकिस्तान का है। पाकिस्तान ही तालिबान का बम बारूद और हथियार मुहैया करता है ताकि वो अफगानिस्तान में धमाके कर सके और अफगानिस्तान की शांति को बर्बाद कर सके। अफगानिस्तानी अखबार अफगानिस्तान टाइम्स के मुताबिक 'क्वेटा शुर' कुछ और नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना द्वारा स्थापित एक काउंसिल था जो तालिबान को मदद मुहैया कराता था।
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