12 देश तालिबान को मान्यता देने की कर रहे थे तैयारी, मगर कर दी ये गलती, उठाना पड़ा नुकसान
अफगानिस्तान में तालिबान के आए लगभग एक साल पूरे होने वाले हैं लेकिन अब तक इनकी सत्ता को मान्यता नहीं मिल पायी है।
काबुल, 04 जुलाईः अफगानिस्तान में तालिबान के आए लगभग एक साल पूरे होने वाले हैं लेकिन अब तक इनकी सत्ता को मान्यता नहीं मिल पायी है। तालिबान, अफगानिस्तान में दूसरी बार सत्ता हासिल करने के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने मान्यता हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। तालिबान की ये कोशिश सफल होने भी वाली थी लेकिन उसे उसकी एक गलती ने उसे बड़ा नुकसान पहुंचा दिया।
मार्च में मान्यता देने पर हो रहा था विचार
बीते मार्च महीने में पाकिस्तान सहित कम से कम एक दर्जन देश तालिबान सरकार को मान्यता देने पर गंभीरता से विचार कर रहे थे, लेकिन तालिबान शासकों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ किए गए वादों को पूरा करने में विफलता के बाद इन देशों ने अपने निर्णय को रोक दिया। इस प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने इस संबंध में खुलासा किया है।
एक दर्जन देश कर रहे थे प्रयास
पाकिस्तानी अधिकारी के मुताबिक, "उन्होंने (तालिबान) ने एक बड़ा मौका गंवा दिया। लगभग 10 से 12 देश मार्च में तालिबान सरकार को मान्यता देने पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे थे।" नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले इस अधिकारी ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि तालिबान के कुछ वादों से पीछे हटने के बाद उन देशों ने मान्यता के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया।
तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से किए वायदे
अधिकारी ने बताया कि न केवल पाकिस्तान बल्कि कुछ अन्य प्रमुख देश तालिबान शासन को औपचारिक रूप से स्वीकार करने के लिए तैयार थे। लेकिन तालिबान प्रशासन ने लड़कियों की शिक्षा सहित कई अन्य वायदों को पूरा नहीं किया, जिसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। जब अफ़ग़ान तालिबान पिछले साल अगस्त में सत्ता में लौटे, तो उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक समावेशी सरकार का आश्वासन दिया था।
महिलाओं को अधिकार देने की कही बात
तालिबान ने अपनी धरती को आतंकवादी संगठनों द्वारा फिर से इस्तेमाल नहीं करने और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने के साथ-साथ लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति देने की बात कही थी। तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि मार्च में सर्दी के मौसम के बाद लड़कियों के स्कूल फिर से खोल दिए जाएंगे।
अपने वादे से पलटा तालिबान
हालांकि,
तालिबान
अपनी
प्रतिबद्धता
पर
खरा
नहीं
उतरा,
जिससे
अंतर्राष्ट्रीय
समुदाय
द्वारा
अपने
शासन
को
वैध
बनाने
की
संभावना
कम
हो
गई।
जून
में,
जर्मन
विदेश
मंत्री
एनालेना
बेरबॉक
ने
इस्लामाबाद
की
यात्रा
के
दौरान
इस
संबंध
में
इशारा
भी
किया
था।
उन्होंने
अफगान
तालिबान
शासन
के
विषय
में
अपनी
राय
रखते
हुए
कहा
कि
यह
युद्धग्रस्त
देश
"गलत
दिशा"
में
जा
रहा
है।
शीर्ष
जर्मन
राजनयिक
ने
विदेश
मंत्री
बिलावल
भुट्टो
जरदारी
के
साथ
एक
संयुक्त
संवाददाता
सम्मेलन
में
कहा,
"जब
हम
सीमा
पार
देखते
हैं,
तो
तालिबान
देश
को
पतन
की
ओर
ले
जा
रहा
है।"
महिलाओं की आवाज को बुरी तरह दबाया
एनालेना बेरबॉक ने कहा कि अफगानिस्तान में माता-पिता यह नहीं जानते कि अपनी लड़कियों का पालन कैसे करें। लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में भागीदारी से लगभग बाहर कर दिया गया है। उनकी आवाज को बुरी तरह से दबाया जा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है। एनालेना ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को इस पर एकजुट होना चाहिए और तालिबानी शासन के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
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