चिली में गर्भपात को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के लिए कानून!
सैंटियोगो। जहां भारत में संसद के मॉनसून सत्र में कोई खास बिल अभी तक पास नहीं हो सका है तो वहीं हजारों मील की दूरी पर मौजूद चिली के निचले सदन ने एक ऐसा कानून पास कर दिया है जिसके तहत देश में होने वाले गर्भपातों को अब अपराध नहीं माना जाएगा।
मंगलवार को संसद में सीनेटर्स ने उस बिल का समर्थन किया जिसके बाद गर्भपात पर लगे कड़े कानून खत्म हो जाएंगे। चिली की राष्ट्रपति मिशेल बैशलेट की ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि कुछ खास परिस्थितियों में गर्भपात को जरूरी किया जाए।
उनके इस प्रस्ताव के पक्ष में आठ में पांच सांसदों ने वोट डाला। सांसद उनके इस प्रस्ताव पर काफी हद तक सहमत भी नजर आए।
अभी हालांकि इस बिल को संसद के ऊपरी सदन में पास होना जरूरी है। वहीं कुछ सीनेटर्स इस बिल के विरोध में भी हैं जिसके बाद इसके पास होने में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। चिली के स्वास्थ्य मंत्री की मानें तो यह कानून महिलाओं का उनकी पसंद और उन्हें एक नया हक देने के लिए है। जो लोग यह समझ रहे हैं कि इस कानून के बाद देश में गर्भपात को बढ़ावा मिलेगा तो वे लोग गलत सोच रहे हैं।
चिली दुनिया का छठां ऐसा देश है जहां पर गर्भपात को गैरकानूनी करार दिया गया है। वर्ष 1970-1990 तक चिली पर जनरल अगस्तो पिनोशेट का शासन था और उन्होंने ही इस कानून को मान्यता दी थी। जो प्रस्ताव राष्ट्रपति की ओर से
दिया गया है उसके तहत हर उस महिला को गर्भपात की मंजूरी दी जाएगी जिसकी जिंदगी गर्भ में पल रहे बच्चे की वजह से खतरे में आए गई है।
अगर उसका गर्भाधान किसी बलात्कार का नतीजा है या फिर उसके गर्भ में बच्चे का विकास नहीं हो रहा है तो भी महिला को गर्भपात की मंजूरी मिल सकेगी।