लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाएं मांग सकती हैं गुजारा भत्ता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ते के लिए अदालत के पास आ सकती है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ते के लिए अदालत के पास आ सकती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि घरेलू हिंसा में सिर्फ शारीरिक या मानसिक नहीं, बल्कि आर्थिक प्रताड़ना के लिए भी पीड़ित महिला कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। कानून के तहत सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही नहीं, बल्कि लिव-इन में रहने वाली महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 8 साल पुराने मामले में ये फैसला सुनाया है।
2010 में एक महिला ने लिव-इन रिलेशनशिप से एक बच्चे को जन्म दिया था। इस मामले में फैमिली कोर्ट ने महिला के पार्टनर को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ पार्टनर ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला देते हुए कहा कि इस कानून के तहत केवल शादीशुदा महिलाएं ही गुजारा भत्ते की मांग कर सकती हैं। हाईकोर्ट ने कहा की सीआरपीसी की धारा-125 में उन्हें ही गुजारा भत्ता दिया जा सकता है।
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हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित महिला ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर फैसला देते हुए कहा कि लिव-इन में रहने वाली महिलाएं भी कानून के तहत कोर्ट का सहारा ले सकती हैं और गुजारा भत्ता मांग सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-125 के तहत जो महिलाएं शादीशुदा नहीं हैं, वो भी इसकी हकदार हैं।
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