क्या मां सोनिया के 17 साल पुराने फॉर्मूले पर जाएंगे राहुल? भाजपा के नहले पर दहला मारने की तैयारी
Rahul Gandhi: भाजपा चाहती है कि लोकसभा अध्यक्ष राहुल गांधी को संसद से निलंबन पर निर्णय लेने के लिए एक विशेष समिति का गठन करें। लेकिन राहुल गांधी भी झुकने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
Rahul Gandhi UK Remarks Row: ब्रिटेन की राजधानी लंदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा संसद के खिलाफ दिए बयान को लेकर संसद में लगातार हंगामा जारी है। भारतीय जनता पार्टी माफी से कम पर मानने के लिए तैयार नहीं हो रही है। वहीं राहुल गांधी भी किसी कीमत पर मांफी मांगने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा है कि क्या राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के 17 साल पुराने फॉर्मूले पर जाएंगे? न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल भाजपा के नहले पर दहला मारने की तैयारी में लगे हैं।
जानें
क्या
थी
17
साल
पहले
सोनिया
की
रणनीति?
साल
2004
में
सोनिया
गांधी
(Sonia
Gandhi)
ने
उत्तर
प्रदेश
के
रायबरेली
से
सांसद
का
चुनाव
जीता
था
लेकिन
उनके
चुनाव
जीतने
के
बाद
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
भारी
हंगामा
खड़ा
कर
दिया
था।
हंगामे
की
वजह
ऑफिस
ऑफ
प्रॉफिट
का
मामला
था
क्योंकि
सोनिया
गांधी
सांसद
होने
के
साथ
राष्ट्रीय
सलाहकार
परिषद
की
अध्यक्ष
भी
थीं।
भारी
हंगामे
के
चलते
सोनिया
गांधी
ने
सांसद
के
पद
से
इस्तीफा
दे
दिया
था।
इस्तीफा
देने
के
बाद
उन्होंने
कहा
कि
वह
पद
छोड़
कर
सही
काम
कर
रही
हैं।
सोनिया
ने
फिर
लड़ा
चुनाव
और
भारी
मतों
से
दर्ज
की
जीत
चुनाव
जीतने
के
दो
साल
बाद
सोनिया
गांधी
ने
2006
में
रायबरेली
से
फिर
उपचुनाव
लड़ा
और
प्रचंड
मतों
से
जीत
हासिल
की।
इसके
बाद
सोनिया
गांधी
ने
2009,
2014
व
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
रायबरेली
से
जीत
हासिल
की।
रायबरेली
को
कांग्रेस
का
गढ़
कहा
जाने
लगा।
अब
समझिए
राहुल
की
रणनीति
राहुल
गांधी
(Rahul
Gandhi)
17
साल
बाद
भी
अपनी
मां
की
रणनीति
को
दोहराने
से
नहीं
चूकेंगे।
दरअसल,भाजपा
ने
मांग
की
है
कि
अगर
वह
ब्रिटेन
में
अपनी
टिप्पणियों
के
लिए
माफी
मांगने
से
इनकार
करते
हैं
तो
उन्हें
सांसद
के
रूप
में
निलंबित
कर
दिया
जाना
चाहिए।
बीजेपी
के
एक
प्रतिनिधिमंडल
ने
स्पीकर
ओम
बिड़ला
से
उनके
निलंबन
पर
एक
कमेटी
गठित
करने
की
अपील
की
है।
अगर
लोकसभा
स्पीकर
राहुल
गांधी
को
निलंबित
करते
हैं
तो
राहुल
(Rahul
Gandhi)
और
कांग्रेस
दोनों
के
लिए
फायदे
का
सौदा
साबित
हो
सकता
है।
रणनीतिक रूप से देखा जाए तो निलंबन राहुल (Rahul Gandhi) और कांग्रेस के लिए काम कर जाएगा। इस निलंबन के बाद वे वायनाड लौट सकते हैं और फिर से चुनाव लड़ सकते हैं जो लगभग निश्चित जीत होगी। इसके अलावा, राहुल इस कहानी को आगे बढ़ा सकते हैं कि उन्होंने भाजपा के सामने झुकने से इनकार कर दिया और जनता ने उनके साथ खड़े होकर उन्हें फिर से सत्ता में ला दिया।