Mahatma Gandhi: गांधी को किसने दी 'महात्मा' की उपाधि, भारत सरकार ने RTI में क्या दिया था जवाब?
Mahatma Gandhi 75th Death Anniversary: मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा कब से बोला जा रहा है, इसपर गुजरात के कोर्ट का फैसला भी आ चुका है। यहां तक कि भारत सरकार ने इस सवाल के जवाब में RTI में जवाब भी दिया है।
Mahatma Gandhi 75th Death Anniversary: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 30 जनवरी को 75वीं पुण्यतिथि है। 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम 5 बजकर12 मिनट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को तीन बार प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई थी। जिसके 15 मिनट बाद उनकी मृत्यु हो गई। महात्मा गांधी को गोली नाथूराम गोडसे ने मारी थी। 2 अक्टूबर 1869 में जन्मे महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। अब मोहनदास करमचंद गांधी कैसे महात्मा गांधी बने, क्या आपने ये कभी सोचा है। गांधी को महात्मा की उपाधि किसने दी और कब से उन्हें महात्मा गांधी बोला जा रहा है...? ये हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। गांधी को महात्मा कब से बोला जा रहा है, इसपर गुजरात के कोर्ट का फैसला भी आ चुका है। यहां तक कि भारत सरकार ने इस सवाल के जवाब में RTI में जवाब भी दिया है।
किताबों में इसके बारे में क्या कहा गया है?
''महात्मा'' एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है... ''महान आत्मा'' अब सवाल ये उठता है कि गांधी को 'महात्मा' की उपाधी किसने दी? अगर आप इतिहास की किताबों में देखेंगे तो वहां ये लिखा है कि महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि दी थी। सन 915 में मोहनदास करमचंद गांधी को रवींद्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी कहा था। रवींद्रनाथ टैगोर ने ये बात अपनी ऑटोबॉयोग्राफी में भी लिखी है। उसके बाद वींद्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को गुरुदेव भी कहा था।
गुजरात हाई कोर्ट का क्या था फैसला
गुजरात हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई हुई थी कि गांधी को 'महात्मा' की उपाधी किसने दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने फरवरी 2016 अपने फैसले में कहा था कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने हदी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने ये फैसला एक परीक्षा की उत्तर कुंजी से बनी भ्रम की स्थिति के बाद सुनाया था। न्यायमूर्ति जेबी पारडीवाला ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सभी स्कूलों की किताबों और इतिहास की किताबों में लिखा गया है कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी।
गुजरात हाई कोर्ट में इस संबंध में याचिका संध्या मारू ने दी थी। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि गांधी जी किसने महात्मा कहा, इसके बारे में अस्पष्टता के कारण उन्होंने राजकोट जिला पंचायत शिक्षा समिति द्वारा आयोजित परीक्षा में नंबर नहीं मिले हैं।
भारत सरकार ने RTI के जवाब में क्या कहा था?
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कार्यकर्ता राजू माल्थुमकर ने एक आरटीआई दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछा था कि मोहनदास करमचंद गांधी को कब और क्यों और किसने महात्मा गांधी कहा था। उन्होंने आरटीआई में ये भी पूछा था कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कब से कहा जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इसका जवाब इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR),भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) और पुरातत्व विभाग से मांगा। जिसके बाद इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च ने अपने जवाब में बताया कि मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा गांधी कब से और किसने बोला, इसके बारे में उनके पास कोई दस्तावेजी जानकारी नहीं है। भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने भी कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। दोनों विभागों ने कार्यकर्ता राजू माल्थुमकर को पत्र लिखकर ये भी कहा कि वह किसी भी अन्य जानकारी पर अपनी लाइब्रेरी और अभिलेखीय सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए उनके वहां जा सकते हैं।
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