संयुक्त राष्ट्र ने 'आज़ाद कश्मीर' टर्म का इस्तेमाल क्यों किया
भारत प्रशासित कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त ज़ायद राड अल-हुसैन की रिपोर्ट को लेकर विवाद काफ़ी गहरा गया है.
इस रिपोर्ट में कश्मीर में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के साथ इसकी जांच की बात कही गई है. भारत ने इसे अपनी संप्रभुता और एकता के ख़िलाफ़ बताया है.
भारत प्रशासित कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त ज़ायद राड अल-हुसैन की रिपोर्ट को लेकर विवाद काफ़ी गहरा गया है.
इस रिपोर्ट में कश्मीर में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के साथ इसकी जांच की बात कही गई है. भारत ने इसे अपनी संप्रभुता और एकता के ख़िलाफ़ बताया है.
भारत को सबसे ज़्यादा आपत्ति यूएन की रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए टर्मों को लेकर है.
भारत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को लेकर जिन 'टर्मों' को स्वीकार किया गया है, इस रिपोर्ट में उसका भी उल्लंघन है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चरमपंथी संगठनों, जैसै- लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के लिए 'हथियार बंद समूह' टर्म का इस्तेमाल किया गया है.
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भारत की आपत्ति
इस रिपोर्ट में 'हथियारबंद समूह' टर्म का इस्तेमाल कुल 38 बार किया गया है. इसके साथ ही पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के लिए 26 बार 'आज़ाद जम्मू और कश्मीर' लिखा गया है. यूएन की रिपोर्ट में चरमपंथियों के लिए 'लीडर' शब्द का इस्तेमाल किया गया है.
कहा जा रहा है कि ज़ायद राड अल हुसैन की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के स्वीकार्य टर्मों की भी उपेक्षा की गई है. भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. 49 पन्ने की इस रिपोर्ट में कोई संशोधन नहीं किया गया है.
https://twitter.com/IndiaUNGeneva/status/1007193817186029573
संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी संगठन माना है. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र कश्मीर के लिए भारत प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर टर्म का इस्तेमाल करता है.
भारत का कहना है कि ज़ायद राड अल-हुसैन की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के नियमों का भी उल्लंघन किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के आधिकारिक ट्विटर हैंडल 'इंडिया ऐट यूएन, जेनेवा' से ट्वीट किया गया है, ''इस रिपोर्ट में भारतीय इलाक़ों के लिए ग़लत टर्म का इस्तेमाल किया गया है. यह पूरी तरह से गुमराह करने वाला और अस्वीकार्य है. यहां कोई आज़ाद जम्मू-कश्मीर या गिलगित बल्टिस्तान नहीं है.''
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व्यक्तिगत पूर्वाग्रह
भारत ने यूएन की रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा है, ''आतंकवाद मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है, लेकिन इस रिपोर्ट के लेखक ने पाकिस्तान की तरफ़ आतंकियों के घुसपैठ का ज़िक्र जानबूझकर नहीं किया है. संयुक्त राष्ट्र ने जिन्हें आतंकवादी संगठन माना है उन्हें इस रिपोर्ट में 'हथियारबंद समूह' कहा है. हमलोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन की साख को व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से खोखला किया जा रहा है.''
यूएन की रिपोर्ट में जून 2016 से अप्रैल 2018 में हुए मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की बात कही गई है. यूएन की रिपोर्ट में एक ख़ास समय को चुने जाने पर भी सवाल उठाया जा रहा है.
भारत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र पर व्यक्तिगत पूर्वाग्रह भारी पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त ज़ायद राड अल-हुसैन जॉर्डन के शाही परिवार से हैं.
https://twitter.com/MirwaizKashmir/status/1007179053504159747
कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज़ फ़ारूक़ ने यूएन की रिपोर्ट का स्वागत किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''कश्मीर के लोग संयुक्त राष्ट्र के शुक्रगुज़ार हैं. ख़ासकर मानवाधिकार उच्चायुक्त ज़ायद राड अल हुसैन का यह साहसपूर्ण क़दम प्रशंसनीय है. यह आत्मनिर्णय के अधिकारों का समर्थन है.''
कश्मीर पर विवाद
भारत ने सवाल किया कि आख़िर इस रिपोर्ट को जारी करने की मंशा क्या है. भारत लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान चरमपंथियों को ट्रेनिंग देकर कश्मीर में घुसपैठ कराता है. दूसरी तरफ़ पाकिस्तान भारत के इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.
वहीं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर यूएन की रिपोर्ट पर पाकिस्तान ने कहा है कि इसकी तुलना भारत प्रशासित कश्मीर से नहीं की जा सकती.
कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ ने रिपोर्ट का स्वागत किया है. उन्होंने रॉयटर्स से कहा कि यूएन की रिपोर्ट कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की पुष्टि है.
कश्मीर पर 1947 में विभाजन के बाद से ही दोनों देशों के बीच विवाद है और कई बार दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी है.
पाकिस्तान का स्वागत
यूएन की इस रिपोर्ट में पाकिस्तान से कहा गया है कि वो आतंकवाद विरोधी क़ानून का दुरुपयोग शांतिपूर्ण विरोध और असहमति को ख़त्म करने में नहीं करे. यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षाबलों पर कोई मुक़दमा नहीं चलता है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में इन्हें 1990 के नियम के तहत ज़्यादा अधिकार मिले हुए है. ज़ायद ने कहा है कि कथित रूप से जम्मू-कश्मीर में सामूहिक क़ब्रों की जांच होनी चाहिए
पाकिस्तानी मीडिया में भी इस रिपोर्ट को काफ़ी तवज्जो मिली है. पाकिस्तानी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की प्रतबंधित संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद ने प्रशंसा की है.
हाफ़िज़ ने कहा है कि इससे पता चलता है कि कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति कैसी है. हाफ़िज़ ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कश्मीर को लेकर अब बोलना चाहिए.