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बदले-बदले अंदाज में क्यों नजर आ रहे हैं तेजस्वी, मोदी-नीतीश पर सीधे हमला करने से परहेज

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पटना। लालू प्रसाद की सख्त हिदायत के बाद तेजस्वी के रवैये में तब्दीली आयी है। तेजस्वी के तेवर ढीले पड़ गये हैं। राजनीतिक परिदृश्य से गायब तेजस्वी ने लंबी खामोशी के बाद जब सत्ता पक्ष पर हमला बोला तो उसकी शैली बिल्कुल बदली हुई थी। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिये बिहार और केन्द्र सरकार पर तार्किक हमला बोला। सिर्फ एक बार नीतीश कुमार का नाम लिया और वह भी अदब के साथ। यहां तक कि तेजस्वी ने केन्द्र सरकार की तो आलोचना की लेकिन नरेन्द्र मोदी के जिक्र से परहेज किया।

नीतीश के लिए दिखायी प्रतिष्ठा

नीतीश के लिए दिखायी प्रतिष्ठा

तेजस्वी ने मुख्यमंत्री के लिए नीतीश जी लिखा। जब कि तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार के लिए पलटू चाचा, कुर्सी कुमार जैसे कई अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन इस बार तेजस्वी ने सरकार पर तो हमला बोला लेकिन नीतीश कुमार पर कोई कटाक्ष नहीं किया। चुनावी हार से सबक सीख कर लालू ने अब अपनी राजनीति शैली बदल ली है। उन्होंने तेजस्वी को संदेश दिया है कि नीतीश पर व्यक्तिगत हमलों से परहेज करें और मुद्दों के आधार पर सरकार को घेरें। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी कहा है कि अब सकारात्मक राजनीति ही राजद का भविष्य तय करेगी। लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर न केवल व्यक्तिगत हमले बोले थे बल्कि उनके खिलाफ अमर्यादित शब्दों का प्रयोग भी किया था। इस पोलिटिकल एप्रोच से राजद को बहुत नुकसान हुआ। इस लिए अब तय हुआ है कि सरकार की नाकामियों को उजागर करो, जनता आपने आप फैसला सुना देगी।

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"फील़्ड में न सही, सोशल मीडिया पर तो दिखो"

बिहार के राजनीति परिदृश्य से गायब तेजस्वी लालू यादव और राजद के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। लालू-राबड़ी के समझाने के बाद भी तेजस्वी रह रह कर सियासी मंच से ओझल हो जा रहे हैं। उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। लालू जेल में हैं और तेजस्वी के पांव पटना में टिक नहीं रहे। नेताविहीन राजद कश्मकश में फंस गया है। विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। राजद में सांगठनिक चुनाव चल रहे हैं। अक्टूबर तक इन चुनावों के पूरा कर लेना है। इन चुनावों के बाद ही नये प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा जो मिशन 2020 के लिए बहुत अहम है। ऐसे निर्णायक पल में तेजस्वी पटना से अदृश्य हैं। ऐसे में लालू य़ादव की ओर से तेजस्वी को हिदायत दी गयी है कि वे कम से कम सोशल मीडिया के जरिये ही अपनी अपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। तेजस्वी पहले सोशल मीडिया पर इतने सक्रिय रहते थे कि विरोधी उन्हें ट्वीटर ब्वॉय कहते थे। लेकिन तेजस्वी ने अपने अज्ञातवाश के दौरान सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली थी। लालू प्रसाद के लाख समझाने के बाद भी तेजस्वी मैदान में तो नहीं आये पर उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिये सरकार पर हमला बोला।

बदला तेजस्वी के हमले का अंदाज

बदला तेजस्वी के हमले का अंदाज

इस फेसबुक पोस्ट में तेजस्वी ने सृजन घोटला और मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड का मुद्दा उठाया है। इसके पहले तेजस्वी इसके लिए सीधे-सीधे नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराते रहे थे। लेकिन अब उन्होंने इसके लिए भ्रष्ट अफसरशाही को जवाबदेह माना है। उन्होंने नीतीश का कहीं नाम लिया है। बस इतना लिखा है कि मुजफ्फरपुर में हैवानियत का खेल सरकारी संरक्षण में हुआ। सृजन घोटला को ले्कर भी तेजस्वी पहले नीतीश का नाम लेकर हमला बोलते थे। लेकिन अब उन्होंने केवल इतना लिखा है सीबीआइ सृजन घोटला के अभियुक्तों पर इस लिए हाथ नहीं डाल पायी है क्यों कि ये सत्तारूढ़ दलों के बड़े नाम हैं। तेजस्वी ने अपराध, चमकी बुखार, बाढ़, सुखाड़ के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा है लेकिन एक बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिया है। उनके निशाने पर बिहार और केन्द्र की सरकार रही। तेजस्वी ने ये सब लिखने के लिए न तो नीतीश कुमार का और न ही नरेन्द्र मोदी का कहीं जिक्र किया।

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English summary
Why Tejashwi Yadav style looking change, avoiding direct attack on Narendra Modi and Nitish Kumar.
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