लद्दाख में LAC के लिए Sprut SDM1 हल्के टैंक क्यों हैं जरूरी , रूस से खरीदने की है तैयारी
नई दिल्ली- पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना को ऐसे टैंक चाहिए जो दुश्मन के लिए घातक भी हो, लेकिन इसके साथ ही उसे हाई एल्टीट्यूड वाली जगहों तक आसानी से पहुंचाया भी जा सके। क्योंकि, भारतीय सेना आमतौर पर जो टी72-टी90 या अर्जुन जैसे भारी टैंक इस्तेमाल करती है, उन्हें पूर्वी लद्दाख की ऊंचाइयों तक पहुंचाना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए इंडियन आर्मी के लिए रूस से Sprut SDM1 जैसे हल्के टैंक खरीदने के लिए बातचीत बहुत तेजी से शुरू कर दी गई है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा की जरूरतों के हिसाब से पूरी तरह फिट है। संभावना है कि जिस युद्ध स्तर पर इस डील को अंजाम दिया जा रहा है, उससे बहुत जल्द भारतीय सेना को पहली खेप में करीब 25 हल्के टैंक मिल सकते हैं।
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हल्के टैंक खरीदने के लिए रूस से बातचीत
भारत और रूस के बीच वहां हाल ही में विकसित हल्के टैंक खरीदने के लिए बातचीत चल रही है। बेहद हल्के होने की वजह से यह पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस्तेमाल में काफी सुविधाजनक साबित हो सकते हैं। वैसे तो रूस से Sprut SDM1 हल्के टैंक सौदे के लिए पिछले जुलाई से ही बातचीत चल रही है, लेकिन ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों सरकारों के स्तर पर अब इसकी प्रक्रिया काफी तेज कर दी गई है। हालांकि, Sprut SDM1 अभी भी रूस में ट्रायल की ही अवस्था में है, लेकिन जानकारी के मुताबिक इसे भारत में लाकर सीधे फिल्ड में ही परीक्षण किए जाने की चर्चा है और जब तक डील फाइनल होगी तबतक यह मोर्चे पर ऐक्शन के लिए तैयार हो जाएगा।
सेना प्रमुखों को मिले आपात वित्तीय अधिकार के तहत सौदा
भारत शुरू में रूस से पहली खेप में ऐसे करीब 25 हल्के टैंक खरीदने की तैयारी में है। इसपर 500 करोड़ रुपये से कम की लागत आने का अनुमान है, जो तीनों सेना प्रमुखों को मिले रक्षा सौदों के आपात वित्तीय अधिकारों के दायरे में आता है। जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद तीनों सेना प्रमुखों को रक्षा उपकरण खरीदने के लिए जो आपात वित्तीय अधिकार दिए गए हैं, वह इस रकम से भी ज्याादा हैं। लद्दाख की घटना के बाद अगले ही महीने जुलाई में सरकार ने हाई एल्टीट्यूड के लिए ऐसे हल्के टैंक की खरीदारी को मंजूरी दे दी थी। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इसपर आखिरी बातचीत पूरी हो जाएगी।
हल्के हैं, लेकिन टी72 और टी90 जैसी समानताएं
Sprut SDM1 टैंक में कई विशेषताएं हैं। हल्के होने के बावजूद इस टैंक में टी72 और टी90 टैंकों जैसी समानताएं हैं, जो भारतीय सेना इस्तेमाल करती है। इसे चलाने के लिए क्रू सदस्यों को बहुत ही मामूली ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। इसमें 125 एमएम की तोप लगी होती है, जैसे कि टी90 टैंकों में होती हैं। इनसे वो हर तरह के गोला-बारूद दागे जा सकते हैं, जो टी72 और टी90 से दागे जाते हैं और ये भारतीय सेना के पास पहले से उपलब्ध हैं।
विमानों से क्रू मेंबर के साथ हो सकती है एयरड्रॉपिंग
Sprut SDM1 टैंक लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस्तेमाल के लिए इसलिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं क्योंकि ये इतने हल्के हैं, जिन्हें विमानों से उसमें बैठे तीन क्रू सदस्यों के साथ सही ठिकानों पर तत्काल उतारा जा सकता है। पूर्वी लद्दाख की सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चोटियों पर पहले से ही बढ़त बनाए भारतीय सैनिकों के लिए इन टैंकों के पहुंचने से बहुत बड़ी सहायता मिलने की उम्मीद है। ऐसा नहीं है कि भारत पहली बार हल्के टैंकों का इस्तेमाल करने वाला है। 1947-48 में कश्मीर में पाकिस्तान से आए भाड़े के कबायलियों से छिड़ी जंग में भी हल्के टैंक काफी उपयोगी साबित हुए थे। 1962 में चीन के साथ युद्ध में भी ऐसे टैंक काम आए थे, लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म हो गए।
लद्दाख में तैनात जवानों को मिलेगी नई ताकत
टैंकों के मामले में भारतीय फौज बहुत ही शक्तिशाली है, लेकिन दिक्कत ये है कि हमारे पास टी72, टी90 और स्वदेशी अर्जुन जैसे भारी युद्धक टैंकों की भरमार है। ये टैंक मैदानी इलाकों में लड़ाई के लिए माकूल साबित हुए हैं। लेकिन, लद्दाख के पत्थरीले रेगिस्तान और ऊंची बर्फीले पहाड़ों के लिए हल्के टैंकों की दरकार है, जो आसानी से चुटकियों में तैनात भी किए जा सकते हैं और मारक क्षमता ऐसी है कि जब पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे की चोटियों से गोले दागने की जरूरत पड़ी तो पीएलए को भागना भारी पड़ सकता है।
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