तेलंगाना में समय से पहले चुनाव क्यों चाहते हैं KCR? ये हैं बड़ी वजह
नई दिल्ली। तेलंगाना में सीएम केसीआर द्वारा बुलाई गई कैबिनेट मीटिंग में विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पास हो गया है। कैबिनेट मीटिंग के बाद केसीआर ने ऐलान किया कि विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पास हो गया है। पहले ही ऐसी संभावनाएं जताई जा रही थीं कि तेलंगाना के सीएम विधानसभा भंग करने का ऐलान कर सकते हैं। वहीं, विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पास होने के बाद तेलंगाना के सीएम केसीआर राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। केसीआर राज्य में जल्द चुनाव क्यों चाहते हैं इसके पीछे भी कई वजह हैं।
केसीआर चाहते हैं तेलंगाना में समय से पहले चुनाव
2014 में केसीआर की पार्टी टीआरएस ने 119 सीटों में 63 पर जीत हासिल की। कांग्रेस 21 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने क्रमश: 15 और 3 जीती। असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में एआईएमआईएम ने सात और बीजेपी ने पांच सीटें जीतीं थी। टीआर के सूत्रों का कहना है कि केसीआर के दिमाग में अभी दो बातें चल रही हैं- इस साल चुनाव कराकर एक बड़ी जीत दर्ज करना और इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव पर पूरी तरह से ध्यान देना। इससे संकेत मिलता है कि केसीआर चाहते हैं कि राज्य में चुनाव 2018 में ही हों।
2019 चुनाव पर हैं नजरें
केसीआर ने स्पष्ट कर दिया था कि वो किसी ऐसे गठबंधन के साथ नहीं जाएंगे जिसमें कांग्रेस शामिल हो। कांग्रेस तेलंगाना में विपक्षी दल की भूमिका में है। वहीं, हाल के दिनों में केसीआर की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ीं हैं। उन्होंने दो लगातार मुलाकात पीएम मोदी से की है। इसके अलावा पार्टी ने बीजेपी का साथ सदन में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया जबकि डिप्टी चेयरमैन के चुनाव में भी टीआरएस ने बीजेपी खेमे का समर्थन किया। केसीआर को इस बात का अंदाजा है कि बीजेपी दक्षिण के राज्यों में अपनी पकड़ को मजबूत बनाना चाहती है और इसी कारण वो अपनी अहमियत भी समझते हैं।
पहले चुनाव से पार्टी को फायदा
केसीआर फिलहाल, एनडीए के साथ नहीं हैं कि लेकिन चुनाव बाद एनडीए के साथ खड़े हो सकते हैं। केसीआर के बेटे केटी रामा राव का कहना है कि जल्दी चुनाव होने की सूरत में उनकी पार्टी को लाभ मिलेगा। टीआरएस विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में बड़ी जीत हासिल करेगी। केसीआर चाहते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग हों ताकि उनको अपनी तैयारी के लिए भरपूर वक्त मिले और अधिक मजबूती के साथ 2019 चुनाव में उतर सकें।