जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर खलबली क्यों मची है? 7 प्वाइंट में समझिए
नई दिल्ली- पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में जो परिस्थितियां बनी हैं, उससे लगता है कि वहां कुछ न कुछ जरूर चल रहा है या कुछ बड़े की तैयारी है। कुछ ही दिनों के अंदर वहां जिस तरह से लगभग चालीस हजार अतिरिक्त पारा-मिल्ट्री फोर्स की तैनाती की खबरें आई हैं, उससे लोगों क कान खड़े हो गए हैं। उसपर से पाकिस्तानी साजिश का हवाला देकर अमरनाथ यात्रा से तीर्थ यात्रियों को लौट जाने के लिए कह देना, तमाम आशंकाओं को और बढ़ा रहा है। आइए कुछ बिंदुओं में समझने की कोशिश करते हैं कि कुछ दिनों में ही अचानक वहां क्या हो गया है, जिसने जम्मू-कश्मीर से लेकर पूरे देश को आशंकित कर रखा है?
अमरनाथ यात्रियों को वापस बुलाया गया
रेडियो पर अपनी 'मन की बात' कार्यक्रम में पिछले रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र अमरनाथ यात्रा की सफलता को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे। लेकिन, शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए जल्द से जल्द घाटी छोड़ने की अडवाइजरी जारी कर दी गई। दरअसल, सुरक्षा बलों ने अमरनाथ यात्रा रूट पर सर्च ऑपरेशन में जिस तरह से एक अमेरिकन स्नाइपर राइफल एम-24, पाकिस्तानी बारूदी सुरंग और विस्फोटक बरामद किए हैं, उससे यह दहशत बढ़ गई है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन पवित्र यात्रा में कोहराम मचाने की साजिश रच रहे हैं। गौरतलब है कि जम्मू रूट से यात्रा को खराब मौसम के चलते पहले ही 4 अगस्त तक रोका गया था।
आर्मी, एयरफोर्स हाई अलर्ट पर
खबरों के मुताबिक शुक्रवार को ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना और एयर फोर्स को हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर रहने को कह दिया है। इस ऑपरेशन के तहत वायुसेना के लड़ाकू विमान गुरुवार से ही प्रदेश के आसमान में उड़ान भड़ रहे हैं। एलओसी पर तैनात राष्ट्रीय राइफल्स और दूसरे यूनिट के जवानों से कह दिया गया है कि एहतियात बरतें, क्योंकि पाकिस्तान कभी भी आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर सकता है।
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38,000 अतिरिक्त फोर्स की तैनाती!
हफ्ते भर पहले सरकारी सूत्रों से खबर आई कि सेंट्रल फोर्स की 100 कंपनियां (10,000 जावन) घाटी में तैनात की जा रही हैं। गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला कि 280 अतिरिक्त कंपनियां (28,000 जवान) वहां पहुंचने की तैयारी में हैं, हालांकि सरकार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की जा रही है। जानकारी के मुताबिक इन सुरक्षा बलों को जिनमें से ज्यादातर सीआरपीएफ के जवान हैं, श्रीनगर और घाटी के संवेदनशील इलाकों में तैनात किया जा रहा है। गुरुवार को थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने खुद ही घाटी में सुरक्षा बलों की तैयारियों का जायजा लिया था।
एयरफोर्स के बड़े विमान ऐक्शन में
घाटी में जितनी बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जा रही है, उसके लिए वायुसेना के बड़े विमानों को भी ऐक्शन में लगा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर जैसे हेवी-लिफ्टिंग एयरक्राफ्ट को भी काम पर लगाया गया है।
आर्टिकल 35A हटाने को लेकर अटकलें
अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार राज्य के लिए लागू संविधान के आर्टिकल 35ए को हटाने की तैयारी कर रही है, इसलिए घाटी को सुरक्षा बलों से भरा जा रहा है। गौरतलब है कि इस धारा के तहत सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों को ही वहां जमीन खरीदने और सरकारी नौकरी करने का अधिकार है। बीजेपी इस आर्टिकल का विरोध करती आई है और इसे हटाने का वादा भी कर चुकी है, इसलिए लोगों की आशंकाएं बढ़ना लाजिमी है। जबकि, राज्य की नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियां इसका विरोध करती हैं। गुरुवार को इस सिलसिले में नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला प्रधानमंत्री से मुलाकात करने अपनी चिंताएं व्यक्त करने भी पहुंचे थे। हालांकि, उमर ये भी कह चुके हैं कि जिस तादाद में वहां जवानों की तैनाती हो रही है, उससे लगता कि मसला कुछ और है।
सरकार से संकेत
शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्रालय ने साफ करने की कोशिश की है कि जवानों की तैनाती सुरक्षा हालात और जरूरतों को देखते हुए की जा रही है और ऐसी बातों पर सार्वजनिक चर्चा नहीं की जाती। वैसे मंत्रालय ने 100 कंपनियों के अलावा अतिरिक्त जवानों की तैनाती की खबरों को खारिज भी किया है। वैसे राज्य में सुरक्षा हालात को लेकर सरकारी स्तर पर जिस तरह से हाल के दिनों में अलग-अलग तरह के बयान आए हैं, उसने असल हालात की जानकारियों को और उलझा दिया है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह से राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान सुरक्षा बलों ने आतंकियों की नकेल कसी है और सफलता पूर्वक पंचायत चुनाव कराए गए हैं, कुछ आतंकी संगठन बड़ी साजिश के साथ पलटवार करने की फिराक में भी हैं और उन्हीं के मंसूबों को नाकाम करने के लिए सरकार अपनी तैयारी कर रही है।
चुनाव की तैयारी कैसे होगी?
राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि 15 अगस्त को अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद वह तारीखों पर फैसला करेगा। माना जा रहा है कि सुरक्षा बलों की भारी तादाद में तैनाती के पीछे चुनाव भी एक बड़ी वजह हो सकती है। लेकिन, जिस तरह से मोदी सरकार के दौरान अमरनाथ यात्री से तीर्थयात्रियों को वापस आने की अडवाइजरी दी गई है, उससे आशंकाएं और बढ़ ही गई हैं। क्योंकि, अगर आतंकी हमलों की आशंका के मद्देनजर अमरनाथ यात्रा को कम किया जा सकता है, फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना तो दूर की कौड़ी साबित होता लग रहा है।