International Women's Day: आखिर 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?
International Women's Day: आखिर 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021: 8 मार्च यानी आज दुनियाभर में लोग अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने के पीछे का लक्षय है समाज में महिलाओं को बराबरी का अधिकार देना और समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना। हर देश में इस दिन को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को याद किया जाता है। ज्यादातर लोग इस दिन महिलाओं को फूल और गिफ्ट्स देते हैं। कई देशों में इस दिन अवकाश होता है, स्कूल, कॉलेज, दफ्तरों में महिलाओं को आज के दिन छुट्टी दी जाती है। लेकिन बहुत कम ही लोग ऐसे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से जुड़े इतिहास के बारे में जानते हैं, कि आखिर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई, ये 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है, इत्यादी। तो आइए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से जुड़ी इन सारी बातों को जानते हैं।
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कब और कैसे शुरू हुआ महिला दिवस मनाना?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत एक विरोध आंदोलन से हुई है। साल 1908 में 28 फरवरी को तकरीबन 15 हजार महिलाओं ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों, पुरुष के समान सैलरी और वोट करने के अधिकार के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। ठीक इसके एक साल बाद 1908 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने 28 फरवरी के इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया। इसके बाद यह फरवरी के आखिरी रविवार के दिन मनाया जाने लगा।
महिला दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने की शुरुआत कैसे हुई?
महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने के बारे में क्लारा जेटकिन ने सबसे पहले सोचा था। क्लारा जेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का पहली बार सुझाव दिया था। उस वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर के 17 देशों की 100 महिलाएं शामिल थीं। सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया और 1910 में ही सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख उद्देश्य महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था।
सबसे पहले 1911 में स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था। और यह आसपास के अन्य देशों में भी ये फैल गया। जिसके बाद अब कई पूर्वी देशों में भी ये मनाया जाता है।
आखिर 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?
अब सवाल उठता है कि आखिर फरवरी के आखिरी रविवार से 8 मार्च का दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए क्यों चुना गया और कैसे चुना गया? असल में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का कॉन्सेप्ट लाने वाली क्लारा जेटकिन ने महिला दिवस मनाने के लिए किसी तारीख को निर्धारित नहीं किया था।
1917 में युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने 'ब्रेड एंड पीस' यानी रोटी और कपड़े के लिए हड़ताल पर जाने का फैसला किया था। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी क्योंकि महिलाओं की हड़ताल ने वहां के सम्राट निकोलस को अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। उसके बाद अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया। उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर चलता था। जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी वो तारीख 23 फरवरी थी। ( रूस के जूलियन कैलेंडर के अनुसार) ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था। उस वक्त पूरी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसलिए उसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा।
1975 में संयुक्त राष्ट्र ने दी अधिकारिक मान्यता
संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता दी। संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना 1975 में शुरू किया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी 'सेलीब्रेटिंग द पास्ट,प्लानिंग फॉर द फ्यूचर।' यानी बीते हुए वक्त का जश्न मनाए और आने वाले कल की प्लानिंग करें। साल 2021 के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है, चूज टू चैलेंज।