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Gujarat election 2017: बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में क्यों हो रही देरी ?

By अमिताभ श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार
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नई दिल्ली। गुजरात चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। तीन दिन निकल चुके हैं और ये प्रक्रिया 21 नवंबर तक जारी रहेगी लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है। आखिर सूची जारी होने में दोनों दल क्यों इतना सोच रहे हैं, आखिर क्यों टिकट फाइनल करने में देरी हो रही है और आखिर क्या वजह है कि टिकट को लेकर हाईलेबल बैठकों के बाद भी सूची सार्वजनिक नहीं हो रही है। दोनों दल किस असमंजस में उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल इस चुनाव के लिए टिकट का मसला दोनों ही दलों के लिए अहम हो गया है। कांग्रेस की नजर बीजेपी पर है और बीजेपी की नजर कांग्रेस पर। दोनों ही चाहते हैं कि वो बाद में सूची जारी करें ताकि विरोधी दल के नामों के आधार पर अपनी सूची में फेरबदल कर सकें। दोनों ही दल आखिर क्यों ऐसा चाहते हैं तो उनकी अपनी अपनी वजह है।

दिल्ली नगर निगम के फॉर्मूले को अमल में लाया जा रहा है

दिल्ली नगर निगम के फॉर्मूले को अमल में लाया जा रहा है

पहले बात करते हैं बीजेपी की, पार्टी पूरी तरह से मन बना चुकी है कि यदि एंटी इनकम्बैंसी कम करना है तो बड़ी संख्या में पुराने निष्क्रिय और कमजोर विधायकों के टिकट कटने हैं। इसके लिए दिल्ली नगर निगम के फॉर्मूले को अमल में लाया जा रहा है जिसमें पार्टी की रणनीति काम कर गई। दिल्ली नगर निगम में लंबे अरसे से बीजेपी सत्ता में थी और आप की दिल्ली में सरकार बनने के बाद पार्टी को लग रहा था कि पुराने पार्षदों को लेकर एंटी इनकम्बैंसी ज्यादा है इससे पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। इसी वजह से नए उम्मीदवारों पर जोर कर दिया और पुराने पार्षदों के टिकट काट दिए गए जिससे एंटी इनकम्बैंसी का असर कम हुआ और फिर बीजेपी नगर निगम में सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही। इसी फॉर्मूले पर गुजरात को अपनाया जाना है जिसमें पार्टी के वे विधायक नाराज हो सकते हैं जिनके टिकट कटेंगे और फिर वो बगावत पर उतर सकते हैं। यही नहीं कांग्रेस की नाव में सवार हो सकते हैं जिससे पार्टी को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

बीजेपी का सिर दर्द बनी तिकड़ी

बीजेपी का सिर दर्द बनी तिकड़ी

बीजेपी की दूसरी चिंता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश हैं। इस तिकड़ी के कितने समर्थकों को कांग्रेस टिकट देती है और उम्मीदवारों के जातिगत समीकरण क्या दशा दिशा देते हैं, इस पर बीजेपी की नजर है। खास तौर से पाटीदार टिकट को लेकर। यही नहीं कांग्रेस से जो विधायक टूट कर बीजेपी में आए हैं वहां बीजेपी को और भी असमंजस है। कांग्रेस विधायकों को टिकट देने का दवाब है तो पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं के असंतोष का खतरा है। इन सीटों पर भी टिकट फाइनल करने में माथापच्ची हो रही है। कुल मिलाकर कर पार्टी की सोच एक ही है कि आखिर में कितनी ही बगावत या असंतोष के स्वर उभरें, उन्हें झेला जाएगा लेकिन टिकट उन्हें ही मिलेगा जो जीतने की स्थिति में नजर आ रहे हैं।

पाटीदार विधायकों और मंत्रियों पर कांग्रेस की नजर

पाटीदार विधायकों और मंत्रियों पर कांग्रेस की नजर

इधर कांग्रेस की चिंता अलग है। मौजूदा विधायकों को टिकट देने का वादा पहले ही किया जा चुका है लेकिन नए समीकरणों में तिकड़ी का भी ख्याल रखना है। यही नहीं कांग्रेस चाहती है कि उन सीटों पर ज्यादा फोकस रखा जाए जहां बीजेपी के दिग्गज नेता चुनाव लड़ने जा रहे हैं। खास तौर से पाटीदार विधायकों और मंत्रियों पर कांग्रेस की नजर है। युवाओं के जरिए पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर के साथ घेरने की तैयारी में है। स्वाभाविक है कि यदि बीजेपी के उम्मीदवार सामने आ जाएंगे तो इस तिकड़ी को संतुष्ट करने के साथ ही सीट के हिसाब से कद्दावर उम्मीदवार उतारने में आसानी रहेगी। दोनों ही इस बात का इंतजार कर रहे हैं और यही वजह है कि उम्मीदवार फाइनल होने के बाद भी सूची जारी करने की हिम्मत दोनों ही पार्टी नहीं जुटा पा रही है।

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English summary
Why delay the list of BJP and Congress candidates in Gujarat assembly election 2017
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