केजरीवाल और केंद्र सरकार में राशन की होम डिलीवरी को लेकर क्यों छिड़ी है जंग
बीजेपी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने केजरीवाल की इस योजना पर रोक लगाकर एक बड़े घोटाले को होने से रोक लिया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच राशन की होम डिलीवरी को लेकर जंग छिड़ गई है.
भारतीय जनता पार्टी ने केजरीवाल की 'घर-घर राशन' पहुँचाने की योजना पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को सही ठहराते हुए यह दावा किया है कि "ऐसा करके केंद्र सरकार ने एक बड़े घोटाले को होने से रोक लिया है."
बीजेपी ने आरोप लगाया कि इस योजना के ज़रिए दिल्ली सरकार की मंशा ग़रीबों के नाम पर मिले राशन को 'डायवर्ट' कर घोटाला करने की थी.
पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' का प्रावधान केंद्र सरकार ने किया था, लेकिन दिल्ली की सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से मना कर दिया, जिस कारण हज़ारों मज़दूर आज राशन लेने से वंचित रह गये हैं.
इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एक प्रेस वार्ता कर यह आरोप लगाया था कि दिल्ली में इस हफ़्ते से घर-घर राशन पहुँचाने की योजना शुरू होने वाली थी, इसे लेकर सारी तैयारियाँ हो चुकी थीं, मगर केंद्र सरकार द्वारा दो दिन पहले इसे रोक दिया गया.
https://twitter.com/ArvindKejriwal/status/1401411074339999751
'पिज़्ज़ा-बर्गर तो राशन की डिलीवरी क्यों नहीं'
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार का दावा है कि हमने मंज़ूरी नहीं ली. पर हमने एक बार नहीं, बल्कि पाँच बार मंज़ूरी ली है. क़ानूनी तौर पर हमें केंद्र की मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं है, लेकिन हमने शिष्टाचार की वजह से ऐसा किया. हमने इस योजना का नाम मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना रखा था. आपने (पीएम मोदी ने) तब कहा कि योजना में मुख्यमंत्री का नाम नहीं आ सकता. हमने आपकी बात मानकर नाम हटा दिया. फिर भी आपने इस योजना को ख़ारिज कर दिया."
अरविंद केजरीवाल का सवाल है कि जब देश में स्मार्टफ़ोन, पिज़्ज़ा-बर्गर की डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं?
प्रेस वार्ता में केजरीवाल ने केंद्र सरकार से इस योजना को लागू करने की अपील करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री जी, क्या आप राशन माफ़िया से हमदर्दी रखते हैं? आप ग़रीबों की नहीं सुनेंगे, तो कौन सुनेगा. कई ग़रीब लोगों की नौकरी जा चुकी है. लोग बाहर नहीं जाना चाहते, इसलिए हम घर-घर राशन पहुँचाने की व्यवस्था कर रहे हैं. देश फ़िलहाल भारी संकट से गुज़र रहा है. ये समय है एक-दूसरे का हाथ पकड़ने का, लोगों की मदद करने का. इस योजना से दिल्ली के 72 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा जिनका एक बड़ा हिस्सा राशन माफ़िया चोरी कर लेता है."
केजरीवाल के अनुसार, "कुछ अधिकारियों ने कहा कि राशन केंद्र सरकार से है जिसका इस्तेमाल राज्य की योजनाओं में नहीं किया जा सकता."
'केंद्र अतिरिक्त राशन देने को तैयार'
हालांकि, केंद्र सरकार ने केजरीवाल के इन आरोपों को आधारहीन बताया है. केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि दिल्ली सरकार जिस तरह चाहे राशन का वितरण करे, उसने दिल्ली सरकार को रोका नहीं है.
बयान के मुताबिक़, दिल्ली सरकार किसी अन्य योजना के अंतर्गत भी ऐसा कर सकती है. भारत सरकार अधिसूचित दरों के अनुसार इसके लिए अतिरिक्त राशन भी उपलब्ध कराने को तैयार है. फिर दिल्ली सरकार उसे जिस तरह चाहे वितरित करे. केंद्र सरकार किसी भी जन कल्याणकारी योजना से नागरिकों को क्यों वंचित करेगी?
केजरीवाल की इस दलील पर कि 'उन्हें इस योजना के लिए केंद्र की मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन उन्होंने शिष्टाचार के चलते ऐसा किया', बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा, "केजरीवाल को यह समझना होगा कि सरकार तो संविधान और क़ानून के हिसाब से ही चलेगी. एनएफ़एसए एक़्ट कहता है कि कोई नई योजना शुरू करने के लिए केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी है. दूसरी बात ये कि इस योजना पर कोर्ट का स्टे भी लगा हुआ है. तो केजरीवाल क़ानून से ऊपर तो नहीं हैं. बल्कि केंद्र उनकी मदद के लिए तैयार है. केंद्र सरकार ज़्यादा राशन देने को तैयार है. राशन माफ़िया का हवाला देकर ये सब मत करिये."
दिल्ली सरकार ने शनिवार को कहा था कि उप-राज्यपाल ने राशन योजना को ख़ारिज कर दिया है क्योंकि योजना के लिए केंद्र से मंज़ूरी नहीं ली गई थी तथा इस बाबत मामला उच्च न्यायालय में लंबित है.
लेकिन दिल्ली से छपने वाले कुछ अख़बारों ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने केजरीवाल सरकार के इस प्रस्ताव को ख़ारिज नहीं किया है, जैसा दिल्ली सरकार द्वारा चित्रित किया जा रहा है.
https://twitter.com/BJP4India/status/1401434136699576321
'राशन ख़रीद लें केजरीवाल'
केजरीवाल के आरोपों का जवाब देने के लिए बीजेपी नेता संबित पात्रा ने भी रविवार को एक डिजिटल प्रेस वार्ता की, जिसमें उन्होंने कहा, "अरविंद केजरीवाल ने इस प्रकार से बात रखी है कि दिल्ली की जनता को उनके अधिकार से वंचित रखा जा रहा है, जबकि ऐसा नहीं हैं."
उन्होंने बताया, "नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट और प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना द्वारा दिल्ली में भी ज़रूरतमंदों को राशन पहुँचाया जा रहा है. प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्य योजना के तहत मई और 5 जून तक दिल्ली को तय कोटे से अधिक 72,782 मीट्रिक टन अनाज भेजा गया है. दिल्ली सरकार अभी तक क़रीब 53,000 मैट्रिक टन अनाज ही उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही वो जनता को बाँट पाये हैं."
पात्रा ने कहा, "नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत गेहूँ पर अरविंद केजरीवाल मात्र 2 रुपये प्रति किलो देते हैं और केंद्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो देती है. चावल पर केजरीवाल मात्र 3 रुपये प्रति किलो देते हैं और केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो देती है. अरविंद केजरीवाल इसके अतिरिक्त भी राशन बाँटना चाहते हैं, तो इसके लिए वो राशन ख़रीद सकते हैं. जो नोटिफ़ाइड रेट हैं, उसपर राशन ख़रीदा जा सकता है. इस पर किसी प्रकार की आपत्ति केंद्र सरकार को या किसी को नहीं होगी."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)