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कौन हैं RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जिन्हें मिली भागवत के बाद सबसे पॉवरफुल कुर्सी ?

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने संगठन में किसी शीर्ष पद पर लंबे समय बाद बड़ा बदलाव किया है। ये बदलाव हुआ है संगठन के नंबर दो की कुर्सी पर, जिसे सर कार्यवाह कहा जाता है। आरएसएस ने इस पद पर अब दत्तात्रेय होसबाले को जिम्मेदारी सौंपी है। वे इस पद पर भैयाजी जोशी की जगह लेंगे जो 2009 से नंबर दो की कुर्सी पर बने हुए थे। 73 वर्षीय भैयाजी जोशी 3-3 साल के अपने चार कार्यकाल पूरा कर चुके थे।

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RSS में बड़ा बदलाव, Bhaiyyaji Joshi की जगह Dattatreya Hosabale बने सरकार्यवाह | वनइंडिया हिंदी

सर कार्यवाह कहने को तो नंबर दो की भूमिका में होता है लेकिन असल में संघ का प्रमुख कार्यकारी दायित्व इसी पद में होता है। संघ का सारा काम संघ प्रमुख, जिन्हें सर संघचालक कहा जाता है, के नाम पर होता है लेकिन वह मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं और संगठन का संचालन सर कार्यवाह ही करते हैं। इसी वजह से इस पद पर दत्तात्रेय होसबाले का चयन अपने आप ही संघ में उनके महत्व का प्रमाण है।

कर्नाटक के गांव में हुआ जन्म

कर्नाटक के गांव में हुआ जन्म

आरएसएस की बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में उन्हें संगठन का सर कार्यवाह चुना गया। संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक वैसे तो हर साल होती है जो अलग-अलग शहरों में की जाती है लेकिन सर कार्यवाह के चयन के लिए यह सभा तीसरे साल संघ के मुख्यालय नागपुर में ही मिलती है। लेकिन इस बार यह बेंगलुरु में हुई है। वजह है नागपुर में बढ़ते कोरोना के केस।

ट्विटर पर उनकी नियुक्ति के बारे में बताते हुए कहा गया। "संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह पद के लिए श्री दत्तात्रेय होसबाले जी निर्वाचित हुए। वे 2009 से सह सरकार्यवाह का दायित्व निर्वहन कर रहे थे।"

आखिर इतने महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभालने वाले शख्स के बारे में जानने की इच्छा तो सभी की होगी इसलिए आइए थोड़ा सा संघ के नए सर कार्यवाह के बारे में थोड़ा सा जान लेते हैं।

13 साल में संघ से जुड़ाव

13 साल में संघ से जुड़ाव

दत्तात्रेय होसबाले का संबंध दक्षिण भारत से है। वे 66 साल के हैं। साल 1955 में कर्नाटक के शिमोगा जिले में एक गांव सोराब में संघ से जुड़े एक परिवार में उनका जन्म हुआ था। पढ़ाई के लिए उन्होंने गांव छोड़ा और बेंगलुरु पहुंचे। यहां नेशनल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। बाद में वह मैसूर चले गए जहां उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री ली।

संघ की तरफ उनका रुझान युवावस्था से ही था। 13 साल की उम्र में वह पहली बार वह संघ से जुड़े। वह 1968 का साल था। चार साल स्वयंसेवक के रूप में काम करने के बाद 1972 में वह आरएसएस के आनुषंगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अंग बने। 1978 में खुद को पूरी तरह से संघ के लिए समर्पित कर दिया और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक सदस्य बन गए। एबीवीपी के महामंत्री बनाए गए और अगले 15 वर्षों तक इस पद पर रहे।

इस दौरान होसबाले ने पूर्वोत्तर भारत में विद्यार्थी परिषद के विस्तार पर खूब काम किया और संगठन को मजबूत किया। आज अगर भाजपा पूर्वोत्तर में मजबूत नजर आ रही है तो इसके पीछे होसबाले का शुरुआती काम बड़ी वजह है।

इमरजेंसी में गिरफ्तारी

इमरजेंसी में गिरफ्तारी

प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया जिसके विरोध में जेपी के नेतृत्व में पूरे देश में आंदोलन हुए। होसबाले ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिसके चलते मीसा के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वह करीब 16 महीने तक जेल में रहे।

2004 में उनकी आरएसएस में वापसी हुई और उन्हें बौद्धिक विंग की जिम्मेदारी दी गई। आरएसएस दक्षिण भारत में खुद को मजबूत करने पर काम कर रहा है। ऐसे में कई भाषाओं के जानकार दत्तात्रेय होसबाले दक्षिण भारत में आरएसएस के मिशन के लिए सबसे उपयुक्त हैं। वह कन्नड़, तमिल, हिंदी अंग्रेजी और संस्कृत के जानकार हैं।

फुटबॉल के दीवाने

फुटबॉल के दीवाने

दत्तात्रेय होसबाले फुटबॉल के बड़े प्रशंसकों में है। वे तो इस खेल को वैश्विक एकता का प्रतीक बताते हैं। वे कहते हैं कि फुटबॉल के प्रशंसक सभ्यता, महाद्वीप और सीमाओं के पार रहे हैं। यूनान से लेकर प्राचीन भारत में यह लोकप्रिय रहा है जब लोग गेंद को पैर से मारकर कंट्रोल किया जाता था।

हिंदुत्व पर विचार
हिंदुत्व पर उनका कहना है कि जब आइडिया ऑफ इंडिया की बात आती है तो इस पर कोई विवाद नहीं है। मुद्दा यह है कि विभिन्न तरह के विचार हो सकते हैं और सभी विचारों को जगह दी जानी चाहिए।

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English summary
who is dattatreya hosabale become rss second most powerful sarkaryavah
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