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जब विरोध प्रदर्शन करने के लिए चीन के दूतावास में भेड़ों का झुंड लेकर घुस गए थे अटल बिहारी वाजपेयी

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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हर अंदाज निराला था। लोग उन्‍हें कभी उनके मजाकिया लहजे के लिए याद करता है तो विरोधी उनके सख्‍त मगर सौम्‍य रवैये के लिए उन्‍हें याद करते हैं। वहीं कुछ लोग उनकी भाषण शैली के कायल हैं। वाजपेयी का हर अंदाज ऐसा था कि उनके विरोधी भी उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। कई बार वह विरोध भी बड़े अनोखे अंदाज में करते थे। एक बार जब पेट्रोलियम की कीमतों में बढ़ोतरी हुई तो वह इंदिरा गांधी सरकार के इस फैसले के विरोध में बैलगाड़ी पर चढ़कर गए थे। हालांकि उनके अनोखे विरोध का ये पहला तरीका नहीं था। एक बार तो वह विरोध प्रदर्शन के तहत चीन के दूतावास में भेड़ों का झुंडा लेकर घुस गए थे। इंग्लिश डेली इकोनॉमिक्‍स टाइम्‍स की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। ये भी पढ़ें- जब अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका से कहा विश्‍व के नक्शे से गायब हो जायेगा पाकिस्‍तान!

चीन के साथ युद्ध के बाद की घटना

चीन के साथ युद्ध के बाद की घटना

यह घटना साल 1965 की है जब भारत और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे, उस समय चीन का विरोध करने के लिए वह भेड़ों का झुंड लेकर चीनी दूतावास में घुस गए थे। इंग्लिश डेली इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1965 में चीन की सीमा पर भारत और चीन के तल्ख रिश्ते फिर से सामने आ गए थे। चीन ने उस समय भारतीय सैनिकों पर तिब्बत के चरवाहों की 800 भेड़ें और 59 याक चुराने का झूठा आरोप जड़ दिया। इतनी सी बात पर चीन ने ये जानवर भारत से वापस मांगे और वह यहीं नहीं रुका।

चीन ने दी युद्ध की धमकी

चीन ने दी युद्ध की धमकी

चीन ने बात न मानने पर युद्ध की धमकी भी दे डाली। यह‍ घटना साल 1962 में चीन के साथ हुई जंग के बाद हुई थी। चीन के ऐसे आरोपों पर देश गुस्से से उबल पड़ा। उसी समय अटल बिहारी वाजपेयी ने इस बात का विरोध करने के लिए एक अनोखा तरीका निकाला। अटल जो उस समय सांसद थे, भेड़ों का झुंड लेकर राजधानी दिल्ली में स्थित चीनी दूतावास में दाखिल हो गए। बताया जाता है कि प्रदर्शनकारियों के हाथ में तख्ते थे, जिनपर लिखा था, 'हमें खा लीजिए, लेकिन दुनिया को बचा लीजिए।' वाजपेयी के इस प्रदर्शन से चीन की ये बेतुकी मांग, सार्वजनिक हो गई। इसके बाद चीन ने भारतीय दूतावास को एक चिट्ठी लिखी। इसमें कहा गया कि अटल बिहारी वाजपेयी का प्रदर्शन असल में भारत की सरकार के द्वारा समर्थित था।

चीन ने लिखी चिट्ठी

चीन ने लिखी चिट्ठी

इस पत्र में चीन की ओर से आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिक चीन के क्षेत्र में घुसे और वहां निर्माण कार्य भी किया। चीन के पत्र का जवाब भारत सरकार ने भी अपने तरीके से दिया। सरकार ने इसमें लिखा, 'चार तिब्बतियों के भारतीय सैनिकों द्वारा अपहरण के मामले में 17 और 21 सितंबर को भेजी चिट्ठियों में जवाब दिया जा चुका है। बाकी तिब्बती शरणार्थियों की तरह ही ये चार भी अपनी इच्छा से भारत आए और शरण ली। 800 भेड़ों और 59 याक के बारे में भी भारत सरकार पहले ही जवाब दे चुकी है। हमें इनके बारे में कुछ नहीं पता।' ये भी पढ़ें-वाजपेयी के निधन पर बोले इमरान खान, दक्षिण एशिया की राजनीति का एक अध्‍याय खत्‍म

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English summary
When Former PM Atal Bihari Vajpayee took flock of sheep to Chinese-embassy to protest.
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