जानिए किन मुश्किलों को सह कर बनीं ये देश की पहली महिला फाइटर पायलट्स
हैदराबाद। शनिवार को देश के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा जब मोहना सिंह, भावना कांत और अवनी चतुर्वेदी ने एयरफोर्स एकेडमी से बाकी फ्लाइंग कैडेट्स के साथ पासआउट किया। लेकिन आप जितना सोच रहे हैं इनके लिए इस मुकाम को हासिल करना उतना आसान नहीं था।
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इनके रास्ते में कई मुश्किलें आईं और इन सभी रुकावटों को पार करके आज इन्होंने देश के लिए इतिहास लिखा है। एक नजर आए उन मुश्किलों के बारे में जिनका बयां खुद इन तीनों ने किया है।
मन में थे कई सवाल
बिहार की बेगुसराय की रहने वाली भावना कांत के मन में इस बात को लेकर कई तरह के सवाल थे कि अगर उनके एयरक्राफ्ट ने रिस्पांड नहीं किया तो क्या होगा। भावना की पहली फ्लाइंग थी 20,000 फीट पर स्पिन फ्लाइंग और फ्लाइंग करते समय उनके दिमाग में कई तरह के विचार आ रहे थे।
कई तरह की शंकाएं भी थीं
इन्हीं विचारों के बीच उनके दिमाग में कई तरह की शंकाएं भी थीं लेकिन भावना सभी आशंकाओं को दूर करके अपनी सोलो स्पिन फ्लाइंग को पूरा किया। भावना की मानें तो इस फ्लाइंग ने उन्हें एक नया कॉन्फिडेंस भी दिया।
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जब कैंसल करनी पड़ी फ्लाइंग
वहीं मध्य प्रदेश की अवनि चतुर्वेदी बताती हैं कि उन्हें अपनी दूसरी सोलो फ्लाइंग के समय जब वह पूरी तरह से तैयार थीं तभी उन्हें अपना टेकऑफ कैंसल करना पड़ गया था। जैसे ही फर्स्ट मार्कर के पास उन्होंने टेकऑफ के लिए रोलिंग शुरू कर उन्हें कैनोपी वॉर्निंग सुनाई दी।
वॉर्निंग कन्फ्यूज्ड कर देती थी
अवनि के मुताबिक शुरुआत में उन्हें वॉर्निंग कन्फ्यूज्ड कर देती थी। लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। अवनि की मानें तो फ्लाइंग पर जाते समय पायलट को एक सेकंड से भी कम समय में फैसला लेना होता है कि कहीं टेकऑफ में एबोरलिं डिले तो नहीं कर दिया या ओपन कैनोपी में एयर तो नहीं आ गई। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर यह तबाही की वजह बन सकता है।
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खराब मौसम बना रुकावट
अवनि और भावना से अलग फ्लाइंग कैडेट कैडेट मोहना सिंह को पहली ही फ्लाइंग में खराब मौसम से जूझना पड़ा था। मोहना बताती हैं कि पहली नाइट फ्लाइंग में आसमान में तारों और जमीन पर लाइट के बीच अंतर कर पाना उनके लिए बहुत मुश्किल था। इस वजह से उन्हें एयरक्राफ्ट को मेनटेन करने में काफी दिक्कतें होती थीं।