गुजरात ही मोदी की पहचान तो दिल्ली को ही भूल गये केजरीवाल
आम जनता में वह लोगों के हीरो बन गये तो वहीं दूसरी ओर उन नेताओं कि सिर में दर्द भी पैदा कर दिया जो देश की जनता को अपने पैर की जूती और सत्ता को अपनी बपौती समझते थे। जी हां हम बात कर रहे हैं दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की।
जिन्होंने दिल्ली की जनता को सस्ती बिजली, पर्याप्त पानी और भय मुक्त शहर देने का वादा किया और कहा कि हम आपको एक भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और सरकार देकर दिखायेंगे। केजरीवाल की बातों और किस्मत ने उनका साथ दिया और मात्र 28 सीट पाकर भी वो बीजेपी के विजयी रथ को दिल्ली की सत्ता से दूर रखने में पूरी तरह से कामयाब रहे जिसकी वजह से भाजपा सबसे ज्यादा सीट पाकर भी हाथ मसोस कर रह गयी।
मोदी ही कांग्रेस की राजनीति का करेंगे खात्मा!
दिल्ली चुनाव के नतीजों के पहले हर बात पर बीजेपी के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी का बयान आता था लेकिन चुनावी नतीजों के बाद मोदी ने 'आप' पार्टी और 'केजरीवाल' के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है और केवल अपनी रैलियों में बिजी हैं। उनके चुनावी भाषण में केवल 'कांग्रेस' के खिलाफ बातें होती हैं ना तो वो 'आप' पार्टी पर कोई आरोप लगाते हैं और ना ही 'केजरीवाल' पर कोई टिप्पणी करते हैं।
बावजूद इसके अरविंद केजरीवाल मीडिया में हर जगह छाये हुए हैं क्योंकि वह बीजेपी को खुले आम भ्रष्टाचारी कहते हैं। दिल्ली के सीएम बनने के बाद ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को शायद दिल्ली और दिल्ली वासी नंबर दो पर नजर आने लगे हैं और लोकसभा चुनाव नंबर वन पर दिख रहा है।
जिस दिल्ली के दम पर वह सत्तासीन हुए उस दिल्ली को ही वो दरकिनार रखते नजर आ रहे हैं और उनका पूरा ध्यान आगामी लोकसभा चुनावों पर और बीजेपी और कांग्रेस की भ्रष्टनीतियों को उजागर करने में लगा हुआ है जिसकी वजह से बीते दो महीनों में दिल्ली वासियों के अंदर ही उनके खिलाफ गुस्सा देखा गया है। यह वही दिल्लीवासी हैं जिन्हें सुनहरे सपने केजरीवाल और उनकी पार्टी ने दिखाये थे।
केजरीवाल भी मोदी की ही तरह की छवि के मालिक हैं, दोनो ही बेहद ईमानदार,समझदार और सच बोलने वाले लोगों की लिस्ट में गिने जाते हैं। आज टीवीन्यूज चैनलों में 'आप पार्टी' और 'केजरीवाल' भी लोकसभा चुनावों के योद्धाओं में गिने जा रहे हैं लेकिन शायद केजरीवाल यह भूल गये हैं कि आज अगर लोग मोदी को पीएम इन वेटिंग में देख रहे हैं तो इसके पीछे उनकी 15 साल की वो मेहनत हैं जो उन्होंने गुजरात को दी है।
वो गुजरात के दम पर ही देश को लोगों को बता रहे हैं कि वो एक अच्छा नेतृत्व दे सकते हैं, लोगों को विकास और उनके लिए पेट भरने की इ्ज्जत भरी रोटी का जुगाड़ कर सकते हैं लेकिन केजरीवाल तो दिल्ली को ही भूल गये हैं।
केवल शोर मचाने से तो विकास और लोगों को रोटी मिल नहीं सकती है। शायद अगर केजरीवाल दिल्ली की तस्वीर को बदल देते हैं तो वो भी आगामी लोकसभा चुनावों में बड़ा परिवर्तन कर सकते हैं लेकिन फिलहाल जो हालात दिल्ली के हैं उसे देखकर तो नहीं लग रहा है कि आने वाले दो-तीन महीने में दिल्ली की तस्वीर बदलेगी।
केजरीवाल और मोदी दोनों ही युवाओं में लोकप्रिय हैं, दोनों ही विकास और वक्त के साथ चलने पर यकीन रखते हैं लेकिन केजरीवाल के अंदर मोदी की तरह का संयम नहीं दिख रहा है जो कि उनके लिए और उनकी पार्टी के लिेए अच्छा संकेत नहीं है।
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यही दिख रहा है कि जहां मोदी की हर बात गुजरात से शुरू होकर गुजरात पर खत्म होती है वहीं केजरीवाल के नाम के आगे दिल्ली का सीएम तो लिखा जाता है लेकिन केजरीवाल के बयानों में और भाषणों में दिल्ली और दिल्लीवासियों का जिक्र ही नहीं होता है। वह लोकपाल बिल पर बखेड़ा तो कर रहे हैं लेकिन दिल्ली वासियों के लिए चैन की नींद और स्वस्थ प्रशासन लाने के लिए ना तो प्रयास करते दिख रहे हैं और ना ही इसका जिक्।
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