क्या है हार्ट ऑफ एशिया जहां होगा भारत और पाक का हैंडशेक
पंजाब के अमृतसर में तीन से चार दिसंबर तक होगा हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन का आयोजन। भाग लेने के लिए पाकिस्तान से आ रहे हैं विदेश मंत्री सरताज अजीज।
अमृतसर। पंजाब के अमृतसर में आज और कल हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज भी भारत आ रहे हैं। सम्मेलन में भाग लेने के लिए जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने हामी भरी तो यह सम्मेलन खबरों में आ गया।
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आतंकी हमले के बाद सम्मेलन
अमृतसर से 300 किमी दूरी जम्मू का नगरोटा कुछ ही दिन पहले एक आतंकी हमले से दहला है। इस हमले के बाद सरताज अजीज के आने के साथ ही पाक के साथ बातचीत होने की उम्मीद है।
हालांकि भारत की ओर से कहा गया है कि अभी तक उसे पाक की ओर से बातचीत का कोई निमंत्रण नहीं मिला है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अस्वस्थ हैं और ऐसे में उनकी जगह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल इस सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं। सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
उरी आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी तनाव आ गया है। इस तनाव के बीच ही अजीज का भारत आना अपने आप में काफी खास है।
आइए आपको बताते हैं क्या है यह हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन जिसका उद्घाटन करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
क्यों हुई हार्ट ऑफ एशिया की शुरुआत
- दो नवंबर 2011 के टर्की की राजधानी इस्तानबुल से हॉर्ट ऑफ एशिया-इस्तानबुल प्रक्रिया की शुरुआत हुई।
- अफगानिस्तान और उसके पड़ोसियों के लिए मौजूद समान खतरों से निबटने के लिए यह एक बातचीत प्रक्रिया है।
- इसका मकसद जिसे एशिया में मौजूद कुछ देशों लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना था और अफगानिस्तान को इसका केंद्र माना गया।
- इस सम्मेलन के जरिए एशिया के कुछ देश एक स्थायी, शांत और सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए कई पहलुओं पर चर्चा करते हैं।
- इस प्रक्रिया में 14 देश इसके सदस्य हैं और 20 और देश और अतंराष्ट्रीय संगठन इसकी मदद करते हैं।
- अफगानिस्तान इसका स्थायी अध्यक्ष है लेकिन जब कोई देश इसके आयोजन का आमंत्रण स्वीकार करता है तो उसे उपाध्यक्ष कहते हैं।
- इस वर्ष भारत इसका आयोजक है तो उसे उपाध्यक्ष माना जाएगा।
- इससे पहले वर्ष 2015 में पाकिस्तान इसका उपाध्यक्ष था क्योंकि पाक ने इसका आयोजन किया था।
- वर्ष 2014 में चीन, वर्ष 2013 में कजाखस्तान, 2012 में अफगानिस्तान और नवंबर 2011 में टर्की में इसका आयोजन हुआ था।
कौन-कौन से देश हिस्सेदार
- अफगानिस्तान
- अजरबैजान
- चीन
- भारत
- ईरान
- कजाखस्तान
- किर्गीस्तान
- पाकिस्तान
- रूस
- सऊदी अरब
- तजाकिस्तान
- टर्की
- तुर्केमिनिस्तान
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)
कौन से देशों की मदद
- अमेरिका
- ऑस्ट्रेलिया
- कनाडा
- डेनमार्क
- इजिप्ट
- यूरोपियन यूनियन
- फ्रांस
- फिनलैंड
- जर्मनी
- इराक
- इटली
- जापान
- नॉर्वे
- पोलैंड
- स्पेन
- स्वीडन
- यूनाइटेड किंगडम
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भी
सम्मेलन में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी भी भारत आएंगे। इस सम्मेलन का ही नतीजा है कि कजाखस्तान ने अफगान नेशनल सिक्योरिटी फोर्सेज को आर्थिक मदद दी।
साथ ही कजाखस्तान में पढ़ने वाले अफगान छात्रों केे स्पेशल कार्यक्रम को पांच मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद दी। वर्ष 2013 से अमेरिका की ओर से इस सम्मेलन को मदद देने का ऐलान किया गया। अमेरिका छह कदमों के तहत इस सम्मेलन का समर्थन करता है।
इसमें काउंटर-टेररिज्म व्यापार, शिक्षा, काउंटर-नारकोटिक्स, डिजास्टर मैनेजमेंट, रीजनल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्र शामिल हैं।