बोले उपराष्ट्रपति- अपनी आकादमिक आजादी बचाने के लिए विश्वविद्यालय कर सकते हैं कानूनी कार्रवाई
अंसारी ने कहा कि हाल ही में हमारे देश में घटी कुछ घटना से यह प्रकट हुआ है कि एक विश्वविद्यालय को क्या होना चाहिए या क्या नहीं होना चाहिए, इस बारे में काफी भ्रम है।
नई दिल्ली। संकीर्ण विचारों की ओर से हमारे विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को चुनौती दी जा रही है और हमें बतौर खुला स्थान उनका बचाव करना चाहिए। यह बात उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पंजाब विश्वविद्यलाय के 66वें दीक्षांत समारोह के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि बौद्धिक मामलों के बड़े पैमाने पर अविश्वास के समय में विश्वविद्यालयों को मुक्त स्थान के रूप में स्वतंत्र रूप से, महत्वपूर्ण खजाने और उदार मूल्यों के नवीकरण के स्रोतों की रक्षा करने की आवश्यकता है जो लोगों के लिए सामाजिक गतिशीलता और समानता के अवसर प्रदान करते हैं।
अंसारी ने कहा कि हाल ही में हमारे देश में घटी कुछ घटना से यह प्रकट हुआ है कि एक विश्वविद्यालय को क्या होना चाहिए या क्या नहीं होना चाहिए, इस बारे में काफी भ्रम है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को संकीर्ण विचारों द्वारा चुनौती दिया जा रहा है जिसे सार्वजनिक रूप से अच्छा माना जा रहा है।
अंसारी ने कहा कि असहमति और आंदोलन के अधिकार हमारे संविधान के तहत मौलिक अधिकारों में शामिल हैं, जो एक बहुवचन ढांचे को स्थापित करता है और संकीर्ण, सांप्रदायिक, वैचारिक या धार्मिक शर्तों में देश को परिभाषित करने के लिए किसी भी तरह से मना कर देता है।
अंसारी ने जोर देकर कहा कि वास्तव में विश्वविद्यालयों को उनकी अकादमिक अखंडता और स्वतंत्रता के लिए कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें कि उप-राष्ट्रपति अंसारी का बयान दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और AISA के छात्रों के बीच हुए विवाद के बाद आया है।
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