अमेरिका को बिना बताए भारत ने किया पाक के आतंकियों पर हमला
नई
दिल्ली।
29
सितंबर
को
भारत
की
ओर
से
एलओसी
की
दूसरी
तरफ
पीओके
में
मौजूद
आतंकी
कैंप्स
पर
सर्जिकल
स्ट्राइक
को
अंजाम
दिया
गया।
लेकिन
इस
सर्जिकल
स्ट्राइक
के
बारे
में
दुनिया
का
महाशक्ति
अमेरिका
को
भी
नहीं
मालूम
थो।
डोवाल ने की राइस से बात
इससे पहले मीडिया में जानकारी आई कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल ने अमेरिकी समकक्ष सुसैन राइस से फोन पर बात की।
इसके बाद जब सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी आई तो कई लोगों ने अंदाजा लगाया कि भारत ने जरूर अमेरिका को इस बारे में जानकारी दी होगी।
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फिर डोवाल ने राइस को क्या बताया
सूत्रों की मानें तो डोवाल और राइस की बातचीत में सर्जिकल स्ट्राइक का कोई जिक्र नहीं था। सुसैन राइस ने सीमा के दूसरी ओर बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर चिंता जरूर जाहिर की थी।
डोवाल ने अपनी बातचीत में सर्जिकल स्ट्राइक को कोई जिक्र नहीं किया था। डोवाल ने सिर्फ कुछ मिलिट्री एक्सरसाइज के बारे में राइस से बात की थी।
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भारत को मिला दुनिया का समर्थन
हालांकि सर्जिकल स्ट्राइक की खबरों के बाद अमेरिका समेत दुनिया के बाकी देशों ने भारत की इस कार्रवाई को अपना समर्थन दिया था।
वहीं इस बारे में भी भारत के अधिकारी चर्चा कर रहे थे कि उसकी इस कार्रवाई पर अंतराष्ट्रीय बिरादरी कैसे अपनी प्रतिक्रिया देगी।
कई पहलुओं पर विचार किया गया और फिर तय हुआ कि इस तरह की कार्रवाई की वर्तमान समय में सख्त जरूरत है।
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पाक से वार्ता के मूड में नहीं भारत
कई तरह की मीटिंग के दौरान जब सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में चर्चा हुई तो फिर इस पर भी चर्चा हुई कि भारत, पाकिस्तान के साथ वार्ता नहीं कर सकता है जैसा कि दुनिया के बाकी देश चाहते हैं।
हर अंतराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के बढ़ते खतरे के बारे में बात हुई। पाक हमेशा इसका फायदा लेता रहा और हमेशा ही अपील करता रहा कि अंतराष्ट्रीय देशों को दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए।
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दुनिया की आलोचना को किया किनारे
इस बार भारत ने तय कर लिया था कि भले ही दुनिया उसकी कार्रवाई की आलोचना करे लेकिन वह इस सर्जिकल स्ट्राइक को हर हाल में अंजाम देकर रहेगा। भारत ने सोच लिया था कि हमले के बाद अंतराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया से निबटा जाएगा।
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भारत को सुरक्षा का हक
एक अधिकारी की ओर से जानकारी दी गई कि भारत एक सफल सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर आशावान था और भारत के पास यह अधिकार है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने तत्वों पर हमला किया जाए। इस अधिकारी की मानें तो इस तरह की कार्रवाई से पहले इस बात की जरूरत नहीं है कि दुनिया को इसके बारे में बताया जाए।