दीप सिद्धू ने कबूली लाल किले पर किसानों को उकसाने की बात, अपने बचाव में दी ये दलील
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान जिस तरह से प्रदर्शनकारी किसान उग्र हुए और वो दिल्ली के लालकिले तक पहुंचे उसके बाद इस आंदोलन पर सवाल खड़े होने लगे हैं। लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहराने के बाद किसानों का प्रदर्शन कटघरे में खड़ा हो गया है। आरोप है कि पंजाबी एक्टर व सिंगर दीप सिद्धू ने ही प्रदर्शनकारी किसानों को लाल किले पर जाने के लिए उकसाया, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहरा दिया। अब इस पूरे मामले में चौतरफा घिरने के बाद दीप सिद्धू ने स्वीकार किया है कि उन्होंने निशान साहिब का झंडा फहराया है।
राष्ट्रीय ध्वज को नहीं हटाया
अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर दीप सिद्धू ने कहा कि मैंने और मेरे समर्थकों ने राष्ट्रीय ध्वज को नहीं हटाया, हमने वहां निशान साहिब का झंडा लाल किले पर विरोध के प्रतीक के तौर पर लगाया। निशान साहिब का झंडा सिख धर्म का निशान है, जिसे हर गुरुद्वारे की बिल्डिंग में देखा जा सकता है। मंगलवार शाम को सिद्धू ने एक वीडियो फेसबुक पर जारी करके दावा किया कि यह सबकुछ पूर्वनियोजित नहीं था, लिहाजा इसे सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए।
विविधता
में
एकता
का
प्रतीक
निशान
साहिब
का
झंडा
दीप
सिद्धू
ने
कहा
कि
सांकेतिक
तौर
पर
अपने
विरोध
प्रदर्शन
को
दर्ज
कराने
के
लिए
हमने
निशाना
साहिब
और
किसानों
के
झंडे
को
लगाया
और
किसान
मजूर
एकता
का
नारा
भी
लगाया।
यह
झंडा
देश
की
विविधता
में
एकता
को
दर्शाता
है।
दीप
ने
कहा
कि
लाल
किले
से
राष्ट्रीय
ध्वज
को
नहीं
हटाया
गया,
किसी
ने
भी
देश
की
एकता
और
संप्रभुता
के
खिलाफ
सवाल
नहीं
खड़ा
किया।
हरियाणा
भारतीय
किसान
यूनियन
के
चीफ
गुरनाम
सिंह
चदूनी
ने
आरोप
लगाया
कि
पंजाबी
गायक
ने
ही
प्रदर्शनकारियों
को
भड़काया,
वहीं
प्रदर्शनकारियों
को
लाल
किले
तक
लेकर
गया।
किसान
कभी
भी
लाल
किला
नहीं
जाना
चाहते
थे।
लाल
किले
की
घटना
की
हर
किसी
ने
की
आलोचना
ट्रैक्टर
रैली
के
दौरान
जिस
तरह
से
हिंसा
हुई
और
लाल
किले
की
घटना
हुई
उसकी
तमाम
राजनीतिक
दलों
और
नेताओं
ने
आलोचना
की
है।
कांग्रेस
नेता
शशि
थरूर
ने
कहा
कि
मैं
शुरुआत
से
किसान
आंदोलन
का
समर्थन
कर
रहा
हूं
लेकिन
इस
अराजतकता
का
समर्थन
नहीं
कर
सकता
हूं।
थरूर
ने
कहा
कि
यह
बेहद
दुर्भाग्यपूर्ण
है।
गणतंत्र
दिवस
के
मौके
पर
तिरंगे
के
अलावा
कोई
भी
दूसरा
झंडा
लाल
किले
पर
नहीं
फहरा
सकता
है।
हिंसा
में
कई
लोग
घायल
बता
दें
कि
दीप
सिद्धू
पिछले
कई
महीनों
से
किसान
आंदोलन
से
जुड़ा
है।
सिद्धू
ने
कहा
कि
जब
लोगों
की
वाजिप
मांग
को
नजरअंदाज
किया
जाता
है
तो
इस
तरह
के
बड़े
आंदोलन
में
गुस्सा
भर
जाता
है।
आज
के
हालात
में
यही
गुस्सा
दिखाई
दिया।
बता
दें
कि
गणतंत्र
दिवस
के
मौके
पर
ट्रैक्टर
रैली
के
दौरान
हुई
हिंसा
में
कई
सुरक्षाकर्मी
बुरी
तरह
से
घायल
हो
गए
थे।
प्रदर्शनकारियों
और
सुरक्षाकर्मियों
के
बीच
भिड़ंत
के
कई
वीडियो
सामने
आए
हैं,
जिसके
बाद
आंदोलनकारियों
पर
सवाल
खड़े
हो
रहे
हैं।
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