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टोक्यो ओलंपिक: भारतीय महिला हॉकी टीम की ऑस्ट्रेलिया पर जीत इतनी बड़ी और यादगार क्यों है?

लगातार हार के बाद वापसी करते हुए टोक्यो ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में जगह बना ली है.

By BBC News हिन्दी
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टोक्यो ओलंपिक में जारी हॉकी मुक़ाबलों में जब भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने रविवार को ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई तो पूरे भारत में ख़ुशी की लहर दौड़ गई.

लेकिन इस ख़ुशी को सोमवार को भारतीय महिला हॉकी टीम ने तब दोगुना कर दिया जब उन्होंने भी क्वॉर्टर फ़ाइनल में ख़िताब की दावेदार मानी जा रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को 1-0 से हरा दिया. भारतीय टीम ने सेमीफ़ाइनल में पहुँचकर धमाका कर दिया है.

भारत के लिए खेल का एकमात्र गोल गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर किया.

इसके साथ ही रानी रामपाल की कप्तानी में खेल रही टीम ने दिखा दिया कि शॉर्ड मॉरिन की कोचिंग सही दिशा में जा रही थी.

लगातार मिलती हार के बाद वापसी

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यह वही कोच हैं जिन्होंने ग्रुप मैच में नीदरलैंड्स के हाथों 1-5 से हार के बाद पूरी भारतीय टीम को जमकर लताड़ा था.

हालांकि उसके बाद भारतीय टीम जर्मनी से भी 0-2 से हारी और अगले मैच में फिर ग्रेट ब्रिटेन से 1-4 से मात खा गई.

https://www.youtube.com/watch?v=uiKf0gcr05s

तब लगने लगा कि भारतीय महिला हॉकी टीम का टोक्यो में अभियान अब समाप्त हुआ.

इसके बाद भारत की गिरती धड़कनें तब सँभलीं जब उसने अगले मैच में आयरलैंड को 1-0 से और पूल के निर्णायक मैच में मेज़बान जापान को 4-3 से हरा दिया.

इस काँटे के मुकाबले में वंदना कटारिया ने तीन गोल की हैट-ट्रिक जमाकर एक नया इतिहास लिख दिया. वह ओलंपिक में हैट-ट्रिक जमाने वाली भारत की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं.

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ कैसा रहा प्रदर्शन

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ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारतीय महिला हॉकी टीम कभी भी दबाव में नहीं दिखी. उसका डिफ़ेंस बेहद मज़बूत था जिसे सात पेनल्टी कॉर्नर मिलने के बाद भी ऑस्ट्रेलियाई टीम तोड़ नहीं पाई.

इससे पहले भारतीय पुरूष टीम 1972 के मैक्सिको ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में पहुँची थी और 1980 के मॉस्को ओलंपिक में उसने स्वर्ण पदक जीता था.

भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम की खिलाड़ी मैदान पर गिर पड़ीं और सारी दुनिया ने उन्हें रोते हुए देखा जबकि भारतीय महिला खिलाड़ी जोश में एक दूसरे के गले लगकर एक दूसरे को बधाई दे रही थीं.

टेलीविज़न पर इस महामुक़ाबले जैसे मैच को देख रहे खेल प्रेमियों की आंखें भी अंतिम परिणाम आने के बाद नम हो गईं. शायद ही किसी ने भारतीय महिला हॉकी टीम से इस तरह के लाजवाब खेल की उम्मीद की हो.

एकमात्र गोल करने वाली क्या बोलीं

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मैच के बाद विजेता गोल करने वाली गुरजीत कौर ने कहा कि पूरी टीम ने ज़बर्दस्त तैयारी की थी.

सेमीफ़ाइनल में पहुंचने को लेकर इन्होंने कहा कि 1980 के बाद पहली बार सेमीफ़ाइनल में पहुँचकर गर्व महसूस कर रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की दुआएँ उनके साथ हैं और पूरे कोचिंग स्टाफ़ ने मेहनत की है.

भारतीय महिला हॉकी टीम की शानदार जीत के बाद हमने महिला टीम के पूर्व कोच एबी सुबय्या से बात की तो उन्होंने कहा कि यह तो उम्मीद से भी ज़्यादा परिणाम है.

"टॉप टीम ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ना सिर्फ़ खिलाड़ी जोश से खेलीं बल्कि उन्हें हराया भी. इस जीत को लम्बे समय तक याद रखा जाएगा क्योंकि उन्होंने बिल्कुल परफ़ेक्ट मैच खेला. मौसम का भी असर पड़ा क्योंकि गर्मी बहुत ज़्यादा थी और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ऐसी परिस्थितियों की आदी नहीं हैं. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारतीय टीम पूरी ऊर्जा के साथ खेली, ऑस्ट्रेलियाई टीम में उसकी कमी थी. टीम का बचाव शानदार था जिसने उनके सात पेनल्टी कॉर्नर बेकार किए. यह भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक था."

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भारतीय महिला टीम के पिछले सालों में न्यूज़ीलैंड, बेल्जियम और अर्जेंटीना समेत दूसरे देशों में खेलने से मिले फ़ायदे को लेकर सुबय्या कहते हैं कि इसका पूरा श्रेय हॉकी इंडिया को जाता है.

"पुरुष और महिला टीम को इतना अधिक मौक़ा दिया है कि उसकी वजह से तीसरे और चौथे क्वार्टर में जो टीम बिखर जाती थी वैसा अब नहीं है. अब तो फ़िटनेस लेवल पर भारतीय टीम यूरोपीयन टीमों से बेहतर खेल रही है जो बेहद सराहनीय है. हॉकी इंडिया ने टीम को विदेशी कोच से लेकर दूसरी तमाम सुविधाएँ दीं."

किस तरह से ऑस्ट्रेलिया को दी मात

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मैच में टीम की ख़ासियत को लेकर सुबय्या ने कहा कि 'यह नहीं कह सकते कि किसी एक खिलाड़ी ने बहुत ज़बरदस्त खेल दिखाया. इस मैच में तो सब एकजुट होकर खेले. सब एक से बढ़कर एक खेले. इन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम को चलने नहीं दिया. जैसे ही मौक़ा मिला स्कोर किया. डिफ़ेंस किया. गोलकीपर से लेकर फ़ुल बैक और फ़ॉरवर्ड ने परफ़ेक्ट यानि अद्भुत काम किया. बेहतर टैकलिंग की. लेफ़्ट आउट और राइट आउट वैसा खेली जैसी ज़रूरत थी."

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वैसे क्वॉर्टर फ़ाइनल मैच से पहले जापान के ख़िलाफ़ भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर कोच शॉर्ड मारिन ने कहा था कि हमने उन्हें तीन गोल के रूप में अधिक ही गोल दे दिये.

"हर हाल में टीम को जीतना था और वह जीती. पिच पर 35 डिग्री से अधिक तापमान था और उमस भी थी. प्रदर्शन में निरंतरता ज़रूरी है. क्वार्टर फ़ाइनल में नई शुरुआत होती है. पूल मैचों का प्रदर्शन मायने नहीं रखता. वहां अलग तरह का खेल होता है."

भारतीय महिला हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ अलग ही खेल दिखाया और अटैकिंग हॉकी खेलकर उसे हैरान करते हुए हरा भी दिया.

वैसे इस जीत के बाद भी भारतीय टीम की आगे की राह आसान नहीं है. अब सेमीफ़ाइनल में उसका सामना अर्जेंटीना से है जिसने दमदार खेल दिखाते हुए जर्मनी को एकतरफ़ा 3-0 से हराकर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई है.

अर्जेंटीना इस समय दुनिया की नम्बर दो टीम है. उसने 2000 के सिडनी ओलंपिक में रजत, 2004 के एथेंस ओलंपिक में कांस्य, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता है.

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English summary
Tokyo Olympics why the Indian women's hockey team's win over australia so memorable?
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