कलकत्ता हाईकोर्ट के जज कर्णन को वारंट देने के लिए DGP समेत 100 पुलिस के जवान पहुंच उनके घर
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सीएस कर्णन ने आरोप लगाया है कि वो दलित हैं, इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है।
कोलकाता। न्यायिक इतिहास में पहली बार किसी सेवारत न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट का वारंट देने के लिए उसके आवास पर 100 से ज्यादा पुलिस वाले पहुंचे हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायधीश सीएस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानती वारंट जारी किया है।
कर्णन के आवास पर पहुंची पुलिस का नेतृत्व खुद राज्य की पुलिस के मुखिया सुरजीत कार पुरकायस्थ कर रहे हैं। हालांकि कर्णन ने इस वांरट को लेने से इनकार कर दिया और सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच के 7 जजों, जिसमें खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जेएस खेहर शामिल हैं, से 14 करोड़ रुपए का मुआवजा मांग है।
उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया और उनके काम में बाधा पहुंचाई। गौरतलब है कि पहली बार ऐसा हुआ था जब सिटिंग हाई कोर्ट के न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के सामने अवमानना मामले में पेश होना होना था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि न्यायाधीश कर्णन को पेश कराने के लिए और विकल्प नहीं बचता ऐसे में 10 हजार रुपये का जमानती वॉरंट जारी किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वॉरंट जारी किया और अदालत की अवमानना के मामले में कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था।
पर 10 मार्च को सुनवाई के दौरान 7 न्यायाधीशों की पीठ के सामने न्यायाधीश कर्णन पेश नहीं हुए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अगुवाई वाली पीठ ने न्यायाधीश कर्णन के खिलाफ जमानती वॉरंट जारी किया है और 31 मार्च को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है।
कर्णन ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को आदेश दिया है कि वो 20 से ज्यादा मौजूदा और रिटायर्ड जजों के खिलाफ मामले की जांच कर संसद को अवगत कराएं। कर्णन ने लिखा है इन सात जजों ने 8 फरवरी से अब तक मुझे न्यायिक और प्रशासनिक काम करने से रोका है। जिसके बाद मैं इन सात जजों से मुआवजे की मांग कर रहा हूं।
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