जानिए कैसे आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा ने देश के साथ गद्दारी की
इन तीन मामलों में सीबीआई ने रक्षा डील में दलाली करने वाले अभिषेक वर्मा के खिलाफ दायर की है चार्जशीट
नई दिल्ली। वरुण गांधी पर आर्म्स डील में गंभीर आरोप लगाने वाले अभिषेक वर्मा के खिलाफ सीबीआई ने तीन मामले दर्ज किए हैं। इन तीनों ही मामलों में उनके खिलाफ चार्जशीट फाइल कर ट्रायल शुरु कर दिया गया है।
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अभिषेक वर्मा के पूर्व पार्टनर ने आरोप लगाया है कि रक्षा मामलों की खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए वरुण गांधी को हनीट्रैप किया गया था। जिसपर वरुण गांधी ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सभी आरोप निराधार हैं और वह आरोप लगाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराएंगे।
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नेवी वार रूम के दस्तावेज किए थे लीक
2006 में वर्मा पर नेवी वार रूम के दस्तावेज लीक करने का आरोप लगा था, जिसमें 7000 से अधिक संवेदनशील मुद्दों से जुड़े पेज थे। इस मामले में वर्मा के अलावा सीबीआई ने रवि शंकरन को मुख्य अभियुक्त के तौर पर मानते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस मामले में कई सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
पीएम मनमोहन को दिया था फर्जी पत्र
2009 में धोखाधड़ी के मामले में भी सीबीआई ने रवि वर्मा के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इस मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इन दोनों पर आऱोप है कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को फर्जी लेटर दिया था।
अजय माकन ने लगाए थे संगीन आरोप
यह मामला तब सामने आया था जब तत्कालीन मंत्री अजय माकन ने आरोप लगाया था वर्मा ने उनके फर्जी लेटर हेड पर पीएम को लिखा था कि उनके बिजनेस वीजा को सहूलियत प्रदान की जाए। जिसके बाद टाइटलर व वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार निरोधी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
टाइटलर ने जानबूझकर दी धमकी
चार्जशीट में कहा गया है कि टाइटलर ने सक्रिय रूप से वर्मा के साथ मिलकर चीन की टेलीकॉम फर्म के साथ धोखाधड़ी की। टाइटल ने चीन की कंपनी को यह पत्र दिखाकर कहा था कि यह उनके पार्टी के नेता ने पीएम को यह पत्र लिखा है। चार्जशीट में कहा गया है कि टाइटल ने जानबूझकर ZTE टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड को धोखा दिया था।
2012 घूसखोरी मामला
सीबीआई ने 2012 में वर्मा और उनकी पत्नी एंका नेस्क्यू को 530000 डॉलर की घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनपर आरोप था कि इन लोगों ने रीनमेटल एयर डिफेंस एजी से अपने प्रभाव को दिखाते हुए घूस ली थी। यह कंपनी भारत में ब्लैकलिस्टेड थी, इस कंपनी पर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के घोटाले में शामिल होने का आरोप था।