मैक्रों को नहीं दिख पाएगा मोदी का असली बनारस!
भारत के दौरे पर आए फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 12 मार्च को वाराणसी में रहेंगे.
ये दूसरा मौका होगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बाद किसी दूसरे मुल्क के राष्ट्रपति की मेहमाननवाज़ी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कर रहे हैं.
ज़ाहिर है कि इस दौरे के लिए बीते कुछ दिनों से वाराणसी में जमकर तैयारियां की गईं.
भारत के दौरे पर आए फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 12 मार्च को वाराणसी में रहेंगे.
ये दूसरा मौका होगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बाद किसी दूसरे मुल्क के राष्ट्रपति की मेहमाननवाज़ी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कर रहे हैं.
ज़ाहिर है कि इस दौरे के लिए बीते कुछ दिनों से वाराणसी में जमकर तैयारियां की गईं. ताकि फ़्रांसीसी राष्ट्रपति को बनारस दिखाकर आकर्षित किया जा सके.
लेकिन इन तैयारियों से बनारस में कुछ लोग नाखुश भी हैं.
वाराणसी के हरेंद्र शुक्ला ने बीबीसी को बताया, ''दोनों नेताओं का आना तो अच्छा है, लेकिन इससे वाराणसी के अधिकारियों का नाकारापन दिख रहा है. काशी का संदेश ग़लत जा रहा है.
- देखा जा सकता है कि गंगा घाटों की टूटी सीढ़ियों को बड़े-बड़े होर्डिंग्स और कारपेट के ज़रिए ढक दिया गया है और सही मायने में बनारस की तस्वीर नहीं दिखाई जा रही है.''
अगर आप वाराणसी में गंगा घाटों का दौरा करें तो आपको ऐसे होर्डिंग्स दिखाई दिखेंगे, जिनकी मदद से घाटों की गंदगी ढकने की कोशिश की गई है.
क्या है मोदी-मैक्रों का वाराणसी कार्यक्रम?
दोनों नेता मिर्ज़ापुर में सोलर प्लांट का उद्घाटन करने के बाद वाराणसी आएंगे, जिसके बाद पीएम मोदी बनारस की हस्तकला से मैक्रों को बड़ालालपुर स्थित ट्रेड फ़ैसीलिटेशन सेंटर में रूबरू कराएंगे.
मैक्रों और मोदी बेड़े पर सवार होकर अस्सी घाट से दशाश्वमेध घाट तक गंगा के पक्के घाटों और उस पर आयोजित तमाम सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का अवलोकन करेंगे. फिर होटल गेटवे ताज में दोनों एक साथ लंच करेंगे.
बताया जाता है कि मैक्रों यहां से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे. वहीं पीएम मोदी मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन से वाराणसी-पटना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे.
इसके अलावा मोदी डीरेका में आयोजित सभा में शिरकत, विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाणपत्र बांटेंगे.
स्वागत की तैयारियां
पीएम मोदी और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के आगमन को लेकर बनारस में काफ़ी तैयारियां की गई हैं. गंगा किनारे पक्के घाट पर रंगारंग सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी होने हैं.
तुलसी घाट पर तैयारियों में जुटे लोगों में संकटमोचन महंत परिवार के सदस्य और बीएचयू के प्रोफ़ेसर विजयनाथ मिश्र भी हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया, ''रामचरितमानस की चौपाइयों की रचना इसी तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसी दास जी ने की और यहीं से दोनों नेताओं के गुज़रने के दौरान रामलीला का मंचन होगा और पुरूष पहलवानों के अलावा महिला पहलवान भी कुश्ती करती दिखाई देंगी. इस दौरान पूरे माहौल में बनारस की विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के माहौल को भी घोलने की कोशिश होगी.''
तो वहीं बीएचयू में फ़ाइन आर्ट के छात्र रहे अजय प्रकाश विशाल हनुमान के मुखौटों को जानकी घाट पर बनाने में व्यस्त नज़र आए.
उनके मुताबिक, बनारस में होने वाली रामलीलाओं और कथाओं से जुड़े नाट्य मंचन में मुखौटों की बड़ी भूमिका होती है. इसी से लोगों को रूबरू कराना उनका मकसद है.
कलाकार अजय ने बीबीसी को बताया, ''कोई वीआईपी आता है तो उससे काफ़ी कुछ अच्छा हो जाता है- जैसे गंगा, सड़कों की साफ-सफाई. लेकिन ये चीज़ें एक दिन के लिए न होकर लगातार ऐसी ही होती रहनी चाहिए.''
'मैक्रों को बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में बताया जाएगा'
वहीं, चेतसिंह किला घाट तैयारी के दौरान पूरी तरह बौद्ध संस्कृति में रंगा नजर आया. एक तरफ़ सारनाथ तिब्बती विश्वविद्यालय से आए 350 बौद्ध भिक्षु और आस्थावान बौद्ध मंगल पाठ कर रहे थे. तो वहीं इसी घाट के दूसरी तरफ़ नाट्य कला के ज़रिए रंगकर्मी भगवान बुद्ध पर आधारित नाटक 'बौद्ध मुक्ति देने नहीं' के मंचन की तैयारी में जुटे थे.
बौद्ध मंगल पाठ का संचालन कर रहे बौद्ध भिक्षु मेयर सिंह नेगी ने बताया कि बनारस में महत्वपूर्ण बौद्ध धर्मस्थल सारनाथ के बारे में प्रदर्शन किया जा रहा है तो नाटक के निर्देशक धीरेंद्र मोहन के मुताबिक सारनाथ में भगवान बुद्ध की प्रथम दीक्षा को इस नाटक के ज़रिए दिखाया जा रहा है.
इन सभी कार्यक्रमों का मक़सद राष्ट्रपति मैक्रों को बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में बताना है.