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जीएसटी की ‘भूल-भुलैया' से बेचैन हुआ बाजार!

‘एक राष्ट्र, एक कर' के सपने को पूरा करने वाला गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 01 जुलाई से लागू हो जाएगा। पूरे देश में इस नई कर व्यवस्था को लागू करने के लिए केन्द्र सरकार कर रही है।

By राजीव रंजन तिवारी
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'एक राष्ट्र, एक कर' के सपने को पूरा करने वाला गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 01 जुलाई से लागू हो जाएगा। पूरे देश में इस नई कर व्यवस्था को लागू करने के लिए केन्द्र सरकार कर रही है। जीएसीटी लागू करने के लिए 30 जून को आधी रात में संसद में विशेष आयोजन किया जाएगा। बकौल वित्त मंत्री अरुण जेटली, जीएसटी पर कई सरकारों ने अहम भूमिका निभाई है। लगभग सभी राज्यों में इसे लेकर कानून पारित हो चुका है। जीएसटी काउंसिल ने अनेक फैसले लिए हैं। 30 जून को इस पर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। 30 जून की देर रात इसे आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया जाएगा। यह कार्यक्रम सेंट्रल हॉल में होगा।

जीएसटी की ‘भूल-भुलैया' से बेचैन हुआ बाजार!

इस कार्यक्रम में सभी राज्यों के वित्तमंत्री को भी बुलाया गया है। रात 12 बजे राष्ट्रपति इसे लॉन्च करेंगे। इस दौरान एक कार्यक्रम होगा, जिसमें सभी लोग मौजूद रहेंगे। इस दौरान दो शॉर्ट फिल्म भी दिखाई जाएगी, जिसमें जीएसटी की खूबियों की दर्शाया जाएगा। भले सरकार जीएसटी लागू करने की तैयारी में जुटी हुई हो, पर जीएसटी की भूल-भुलैया और इसे लेकर देश के व्यापारियों की बेचैनी देखने लायक है। अफरातफरी जैसा माहौल बना हुआ है। ज्यादातर व्यापारियों को तो यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर करना क्या है? वहीं दूसरी ओर सरकार इसकी उपलब्धियों का जबर्दस्त ढिंढोरा पीट रही है।

जीएसटी को लागू होने में अब बहुत कम वक़्त बचा है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती व्यापारियों को इस नई प्रणाली से जोड़ने की है। 20 लाख से ऊपर वाली सालाना आमदनी वाले व्यापारियों का जीएसटी से जुड़ना अनिवार्य है लेकिन नए टैक्स सिस्टम की जानकारी और कम्प्यूटर साक्षरता के अभाव में छोटे-बड़े सभी व्यापारी परेशान हैं। देश मे करीब 6 करोड़ छोटे व्यापारी हैं। छोटे-छोटे कस्बों और गांवों में व्यापार चलाने वाले लोगों की बात छोड़ भी दें तो देश के अनेक बड़े शहरों के ऐसे लाखों व्यापारी हैं जिनको जीएसटी की पूरी जानकारी नहीं है। ऐसे में व्यापारियो का मानना है सरकार को जीएसटी लागू करने से पहले सभी को जागरूक करने की मुहिम चलानी चाहिए थी जिससे सभी सही तरीके से इस कदम के साथ स्वेच्छा से जुड़ सकें।

जीएसटी की ‘भूल-भुलैया' से बेचैन हुआ बाजार!

दरअसल, व्यापारियों को इस नए टैक्स सिस्टम से जुड़ी छोटी-बड़ी जानकारी का घोर अभाव है। जीएसटी में सभी बही खातों का कंप्यूटरीकरण किया जाना है। सवाल है कि अधिकांश व्यापारी कम्प्यूटर चलाना ही नहीं जानते हैं तो वो इस काम को कैसे कर पाएंगे। बताते हैं कि 70 फीसदी से अधिक व्यापारियों को कम्प्यूटर की जानकारी नहीं है। महीने में 3 बार आयकर रिटर्न फ़ाइल करना होगा जो कि पहले 3 महीने में एक बार था। लोकल होल सेल व्यापारियो के लिए सभी प्रोडक्ट की जानकारी कम्प्यूटर पर डालना मुमकिन नहीं है। जीएसटी के तहत लगने वाले टैक्स की सही जानकारी नहीं है। जीएसटी की भूल-भुलैया में बाजार अभी से मंदा हो गया है। यूं कहें कि जीएसटी लागू होते ही बाज़ारो पर पड़ने वाले असर से व्यापारी डरे हुए हैं।

यद्यपि जीएसटी के मुद्दे पर सबकुछ सामान्य रहे इसके लिए कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा ने मंत्रालयों के अलग-अलग विभागों पीएसयू को बहुत पहले ही पत्र लिखकर अपने यहां एक सुविधा केंद्र स्थापित करने के लिए कहा था। सरकार को इस बात का भान है कि जीएसटी समस्याएं भी पैदा कर सकती है, इसीलिए सुविधा केंद्र स्थापित करने के बारे में सोचा गया। पर वह सुविधा केन्द्र कितना बना और कितना कारगर है, यह तो 01 जुलाई के बाद ही पता चल जाएगा। पत्र में कैबिनेट सचिव ने यह उल्लेख किया था कि संबंधित मंत्रालय यह सुनिश्चित करें कि उनके अंर्तगत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 01 जुलाई, 2017 से पूर्व जीएसटी के अनुकूल हो जाएं। उन्होंने सचिवों से कहा था कि वे पीएसयू के अध्यक्ष/सीएमडी के साथ बैठक कर के उन्हें जीएसटी लागू करने की प्रक्रिया से अवगत कराएं ताकि सबको जीएसटी अधिनियम/नियम/दर-संरचना आदि की पूर्ण जानकारी हो सके।

जीएसटी की ‘भूल-भुलैया' से बेचैन हुआ बाजार!

हालांकि जीएसटी के क्रियान्वयन की तारीख पहले से तय थी, पर कुछ समय से इस बारे में संशय का माहौल था। व्यापार जगत खासकर छोटे व मझोले कारोबारियों की तरफ से इसे एक जुलाई के बजाय एक सितंबर से लागू करने की मांग की जा रही थी। इस मांग से जाहिर था कि उनमें से बहुत-से लोग जीएसटी के प्रावधानों और प्रक्रियाओं को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। कपड़ा व्यापारियों ने तो जीएसटी का खुलकर विरोध करते हुए पंद्रह जून को देश भर में हड़ताल भी की थी। दूसरी तरफ ये अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि जीएसटी को लागू करने की खुद सरकार की तैयारी अभी पूरी नहीं हो पाई है।

व्यापारियों व जनता की इस आशंका पर कि सरकार की तैयारी पूरी नहीं है, खुद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सारी अटकलों और अनिश्चितता पर विराम लगा दिया। जीएसटी परिषद की सत्रहवीं बैठक के बाद उन्होंने पिछले दिनों एलान किया कि जीएसटी 01 जुलाई से ही लागू होगा। यह आजादी के बाद अप्रत्यक्ष कर-ढांचे में सबसे बड़ा बदलाव है। जीएसटी के वजूद में आते ही वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगने वाले अलग-अलग ढेर सारे कर विदा हो जाएंगे और जीएसटी उन सबकी जगह लेगा। लेकिन शुरू में जैसी इसकी परिकल्पना पेश की जा रही थी उसके विपरीत जीएसटी के कई स्तर हैं, शून्य से लेकर अट्ठाईस फीसद तक। कर-राजस्व के दो बड़े मद फिलहाल जीएसटी के दायरे में नहीं हैं, पेट्रोलियम और शराब।

जीएसटी की ‘भूल-भुलैया' से बेचैन हुआ बाजार!

जाहिर है, जीएसटी की जैसी अवधारणा और परिकल्पना थी उसमें काफी कतर-ब्योंत के साथ यह लागू होने जा रहा है। जीएसटी से कई लाभ होने की बात शुरू से कही जाती रही है तो कुछ अंदेशे भी जताए गए हैं। माना जा रहा है कि पूरे देश में जिन्सों तथा सेवाओं पर एक ही कर प्रणाली होने से व्यापार में सुगमता होगी, माल ढुलाई में सुविधा होगी, जीडीपी में बढ़ोतरी होगी। कर-आधार बढ़ेगा। जीडीपी के अनुपात में राजकोषीय घाटा कम होगा। निर्यात में भी बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन दूसरी तरफ व्यापारियों को कुछ शंकाएं और आशंकाएं हैं। उन्हें नई कर-व्यवस्था के जटिल होने का भी भय सता रहा है और इंस्पेक्टर राज के लौटने का भी। बहुतों को लग रहा है कि उन्हें पहले से ज्यादा फॉर्म भरने पड़ेंगे, और कोई छोटी-मोटी चूक भी पता नहीं किस दंड का पात्र बना दे।

बता दें कि जीएसटी परिषद ने तैयारियों में रही कसर को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल पर फैसला टाल दिया। ई-वे बिल नियमों के तहत कोई व्यक्ति पचास हजार रुपए से अधिक का सामान ढुलाई से कहीं ले जाता है तो उसे जीएसटी से ई-वे बिल लेना होगा। हमारे देश में ज्यादातर कारोबारी कॉरपोरेट की दुनिया से बाहर के लोग हैं। यह दावा नहीं किया जा सकता कि तमाम छोटे व्यापारी और उद्यमी जीएसटी की बारीकियों से वाकिफ हो चुके होंगे। सच तो यह है कि उनमें से ज्यादातर लोग जीएसटी के प्रावधानों को लेकर अब भी उलझन में हैं। फिर-फिर टुकड़े-टुकड़े में तय होने वाली बहुत-सी बातें उनकी उलझनों को और बढ़ाती ही हैं। यह हालत तब है जब जीएसटी को लागू होने में महज कुछ ही दिन बाकी हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी को भले अर्थव्यवस्था के लिए एक टर्निंग प्वायंट करार दिया हो लेकिन इसे लेकर अब भी भ्रम व उहापोह की स्थिति बनी हुई है। अब देखना यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद क्या होता है?

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English summary
the labrynith of gst in consfuing the businessman across the country
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