स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी, 6700 नए मामले, 226 की मौत
नई दिल्ली। देश में स्वाइन फ्लू लगातार अपने पैर पसार रहा है, जिसकी वजह से मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। 3 फरवरी तक कुल 6701 स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि 226 लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई है। वहीं पिछले वर्ष 3 फरवरी तक कुल 798 मामले दर्ज किए गए थे जिसमे से 68 लोगों की मौत हो गई थी। फरवरी माह के पहले हफ्ते में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है। सिर्फ राजस्थान में ही 507 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 49 लोगों की मौत हो गई है। वहीं दिल्ली में कुल 456 मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले साल 1103 की मौत
वर्ष 2018 में स्वाइन फ्लू के कुल 14991 मामले दर्ज किए गएजिसमे से 1103 लोगों की मौत हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सबसे ज्यादा एच1एन1 के मामले दर्ज किए गए हैं, इसके बाद गुजरात दूसरे स्थान पर है। स्वास्थ्य मंत्रालय की सचिव प्रीति सूडान ने बताया कि फ्लू के मरीजों की संख्या श्रंखलाबद्ध तरीके से घटती बढ़ती है। पिछले वर्ष 15000 से कम कम मामले थे, लिहाजा इस वर्ष भी इसकी संख्या में कमी होगी।
ठंड में बढ़े मामले
इस बार मौसम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, ठंड अपेक्षा के अनुसार अधिक समय तक रहने की वजह से फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। दिल्ली और हरियाणा में मामले काफी बढ़े हैं जबकि मरने वालों की संख्या में कमी आई है। सूडान ने बताया कि स्वाइन फ्लू के मामलों में बेहतर प्रबंधन की वजह से मरने वालों की सख्या में कमी आई है। स्वाइन फ्लू की वजह से मरने वाले 75 फीसदी लोगों को पहले से ही सांस लेने की समस्या, मधुमेह और रक्तचाप की दिक्कत थी।
बढ़ी सक्रियता
स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए तमाम राज्यों से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल वर्किंग से बैठक की गई है और अपेक्षित दिशानिर्देश दिए गए। राज्यों में मरीजों की पहचान और उन्हें बेहतर इलाज के लिए सर्विलांस बढ़ा दिया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार मौसमी फ्लू और एच1एन1 के हर वर्ष दुनियाभर में 30-50 लाख लोग ग्रसित होते हैं जिसमे से 290000 से 650000 लोगों की हर वर्ष मौत हो जाती है।
मौसम की अहम भूमिका
अधिकतर मामलों में सिर दर्द, बुखार, नाक का बहना, कफ और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। जुकाम की समस्या मौसम पर अधिकतर निर्भर करती है। जनवरी से मार्च के बीच श्रीनगर में और जुलाई से सितंबर के बीच दिल्ली, लखनऊ, पुणे, नागपुर, कोलकाता, डिब्रूगढ़ सबसे अधिक जुकाम के मामले सामने आते हैं। चेन्नई, वेल्लोर में अक्टूबर और नवंबर के माह में जुकाम के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिलता है। यहां मानसून के महीने में यह समस्या बढ़ती है।
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