अलगाववादियों, आतंकवादियों को अधिक सजा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
आतंकवादियों को अधिक सजा देने की मांग पर SC का केंद्र को नोटिस
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अलगाववाद आतंकवाद भ्रष्टाचार जैसे अपराधों में अलग-अलग चलाने की मांग पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अलगाववाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसे विशेष अपराधों में विभिन्न धाराओं में दी गई सजा को एक साथ न चला कर अलग-अलग चलाने की मांग पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व दीपक गुप्ता की पीठ ने भाजपा नेता व वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किये। इससे पहले उपाध्याय ने अपनी याचिका पर स्वयं बहस करते हुए कहा कि देश की 50% समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है।
उपाध्याय ने कहा कि चाहें अलगाववाद और नक्सलवाद की समस्या हो या गैरकानूनी घुसपैठ की समस्या हो या सड़क टूटने या पुल गिरने की समस्या हो, इन सबका मूल कारण भ्रष्टाचार है। उपाध्याय ने याचिका में मांग की है कि कोर्ट आदेश दे कि सीआरपीसी की धारा 31 के उपबंध भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अलगाववाद से संबंधित विशेष कानूनों में लागू नहीं होंगे। उपाध्याय की मांग है गैरकानूनी गतिविधि रोक अधिनियम, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, बेनामी संपत्ति निरोधक अधिनियम, मनी लांड्रिंग रोक अधिनियम, विदेशी मुद्रा रेगुलेशन एक्ट, कालाधन विरोधी कानून और भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून में उपरोक्त धारा 31 का प्रावधान न लागू हो जिससे अलगाववादियों आतंकवादियों और भ्रष्टाचारियों को अधिक सजा मिले
मालूम हो कि सीआरपीसी की धारा 31 कहती है कि अलग अलग धाराओं में दी गई सजा एक साथ चलेगी जबतक कि कोर्ट विशेष तौर पर अलग अलग धाराओं में दी गई सजा को अलग अलग भुगतने का आदेश न दे। उपाध्याय की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट घोषित करे कि भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अलगाववाद के विशेष अपराधों से संबंधित कानूनों में दी गई सजा एक साथ न चल कर अलग अलग यानी हर धारा में दी गई सजा एक के बाद एक चले।
उपाध्याय ने यह भी कहा है कि केन्द्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह अमेरिका आस्ट्रेलिया इजराइल और स्पेन के भ्रष्टाचार आतंकवाद और अलगाववाद से संबंधित कानूनों की तर्ज पर भारत में कड़े कानून लागू करे। अगर कोर्ट केन्द्र सरकार को यह आदेश नहीं देना चाहता है तो विधि आयोग से इन देशों के कानूनों का अध्यन करके तीन महीने के अंदर रिपोर्ट मांगी जाए। याचिका में कोयला घोटाले का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि एक लाख 86 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में मात्र तीन साल की कैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा हुई थी।
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