SC का राजनीतिक दलों को निर्देश, क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेताओं को टिकट देने की वजह वेबसाइट पर करें अपलोड
नई दिल्ली। राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिया है कि वो दागी उम्मीदवारों को चुनाव का टिकट दिए जाने की वजह बताएं। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सभी पार्टियों को अपने उम्मीदवारों का क्रिमिनल रिकॉर्ड वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि क्या राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को चुनाव के टिकट देने से रोकने का निर्देश दिया जा सकता है, जिनका आपराधिक पृष्ठभूमि हो। न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन और एस रविंद्र भट की एक पीठ द्वारा याचिकाओं पर आदेश दिया गया। कई याचिकाकर्ताओं में से बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दलों पर दबाव डाले कि राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट न दें। ऐसा होने पर आयोग राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करे।
Supreme Court directs political parties to upload on their websites the reasons for selection of candidates with criminal antecedents. pic.twitter.com/WGibnBLvEJ
— ANI (@ANI) February 13, 2020
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग को एक हफ्ते में फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया था। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने आयोग से कहा था, 'राजनीति में अपराध के वर्चस्व को खत्म करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।'
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बताया सही
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने इस फैसले को सही बताया है। उन्होंने कहा, जनता को पता होना चाहिए कि वे जिसे वोट देने जा रहे हैं वो दागी है या साफसुथरी छवि वाला है।
Kapil Sibal,Congress leader on SC's direction to political parties to upload on their websites the reasons for selection of candidates with criminal antecedents: It's correct decision.Criminals have entered politics&people should know, so they can question these political parties pic.twitter.com/tB4mOxDe1R
— ANI (@ANI) February 13, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने 2 महीने पहले भी आदेश दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए आदेश पारित करे, ताकि तीन महीने के अंदर राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट देने से रोका जा सके। तब सीजेआई एसए बोबडे और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने उपाध्याय की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए यह आदेश दिया था। उपाध्याय की मांग थी कि पार्टियों को अपराधिक छवि वाले लोगों को चुनाव के टिकट देने से रोका जाए। साथ ही उम्मीदवार का आपराधिक रिकॉर्ड अखबारों में प्रकाशित कराने का आदेश दिया जाए।
जनहित याचिका में क्या था?
उपाध्याय में याचिका में कहा था कि एडीआर की ओर से प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार भारत में राजनीति के अपराधीकरण में बढ़ोतरी हुई है और 24% सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में 7,810 प्रत्याशियों का विश्लेषण करने पर पता चला कि इनमें से 1,158 या 15% ने आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी। इन प्रत्याशियों में से 610 या 8% के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज थे। इसी तरह, 2014 में 8,163 प्रत्याशियों में से 1398 ने आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी और इसमें से 889 के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले लंबित थे।