लॉकडाउन में प्रवासी बच्चों को लेकर 'सुप्रीम सुनवाई', सभी राज्यों को डेटा उपलब्ध कराने के निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों को प्रवासी बच्चों और प्रवासी मजदूरों के बच्चों के बारे में डेटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही राज्यों के द्वारा इन्हें क्या सुविधाएं दी गई हैं इसके बारे में भी जानकारी देने का कहा गया है।
Recommended Video
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन ने बाल अधिकार ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कोविड-19 महामारी के तहत अनुच्छेद 14, 15, 19, 21, 21ए, 39 और 47 के तहत प्रवासी बच्चों और प्रवासी परिवारों के बच्चों के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग की गई थी।
गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी ने पीठ से अनुरोध किया था कि कोर्ट न केवल जवाब देने के लिए कहे बल्कि राज्यों से प्रवासी बच्चों की संख्या बताने के लिए भी कहे। साथ ही राज्यों के द्वारा मुहैया की गई सुविधाओं की जानकारी के लिए भी निर्देश दिया था।
तमिलनाडु
ने
दी
है
जानकारी
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
सर्वोच्च
अदालत
ने
राज्यों
को
बच्चों
की
संख्या
बताने
के
साथ
ही
राज्य
में
बच्चों
की
स्थिति
की
रिपोर्ट
देने
का
भी
निर्देश
दिया
था।
अभी
तक
तमिलनाडु
ऐसा
राज्य
है
जो
पहले
ही
अपना
जवाब
दाखिल
कर
चुका
है।
लॉकडाउन
में
लाखों
प्रवासियों
ने
किया
था
पलायन
रुखसाना
चौधरी
द्वारा
दायर
याचिका
में
बताया
गया
है
कि
पिछले
साल
राष्ट्रव्यापी
लॉकडाउन
को
दौरान
शहरों
से
लाखों
प्रवासियों
को
पलायन
करना
पड़ा
था।
इस
दौरान
सरकारों
के
द्वारा
प्रवासी
श्रमिकों
की
सुरक्षा
के
लिए
इंतजाम
किए
गए
थे
लेकिन
प्रवासी
बच्चों
पर
लॉकडाउन
के
असर
को
लेकर
अधिकारियों
ने
कोई
पहल
नहीं
की
थी।
याचिका में कहा गया कि प्रवासियों के बच्चों और प्रवासी बच्चों के ऊपर सबसे ज्यादा असर पड़ा था। न तो उनके खाने पीने का ध्यान रखा गया था और न ही उनके स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कोई इंतजाम किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट का आधे से ज्यादा स्टाफ कोरोना से संक्रमित, अपने अपने घरों से सुनवाई करेंगे जज