पढ़िए 4 जजों की वो सात पन्नों की चिट्ठी, जो उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखी
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों, न्यायाधीश चेलमेश्वर, न्यायाधीश जोसेफ कुरियन, न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एम बी लोकुर ने आज प्रेस वार्ता की। इस प्रेस वार्ता में न्यायाधीशों ने 7 पन्ने की चिट्ठी को भी सार्वजनिक किया है जो भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिसरा को लिखी थी। आज शुक्रवार को की गई प्रेस वार्ता के बाद सार्वजनिक की गई चिट्ठी में लिखा है कि - 'हम बड़े कष्ट के साथ आपके (CJI) सामने यह मामला उठाना चाहते हैं कि कोर्ट की ओर से दिए गए कुछ फैसलों के कारण न्यायपालिकी की पूरी व्यवस्था प्रभावित हुई है। इसे साथ ही अन्य अदालतों की स्वतंत्रता भी प्रभावित हुई है। वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश के काम पर भी असर पड़ा है।'
'नियम और परंपराएं तय थीं'
न्यायाधीशों ने चिट्ठी में लिखा है कि स्थापना के बाद से ही कोलकाता, बॉम्मे और मद्रास हाईकोर्ट में नियम और परंपराएं तय थीं। इन कोर्ट्स के काम पर इस अदालत के फैसलों ने विपरीत असर डाला है जबकि सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना तो खुद इन उच्च न्यायालयों की सदी के बाद हुई थी।
सार्वजनिक चिट्ठी में कहा गया है कि
सार्वजनिक चिट्ठी में कहा गया है कि- यह सामान्य नियम है कि चीफ जस्टिस केपास रोस्टर बनाने का अधिकार है और वो तय करतेहैं किकौन सी बेंच और न्यायाधीश किस मामले की सुनवाई करेगा। हालांकि यह देश का कानून है कि चीफ जस्टिस के बराबर न्यायाधीशों में पहला होता है, ना वो किसी से बड़ा होता है, ना ही छोटा है।
अदालत की प्रतिष्ठा को हानि नहीं पहुंचाना चाहते
न्यायाधीशों ने अपने पत्र में कहा है कि ऐसे कई मामले हैं जिनका देश के लिए बहुत महत्व है लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने उन मामलों को तर्क के आधार पर देने की जगह अपनी पसंद वाली बेंचों को सौंप दिया गया। इसे किसी भी हाल में रोका जाना चाहिए। चिट्ठी में लिखा गया है कि हम किसी भी मामले का जिक्र कर, अदालत की प्रतिष्ठा को हानि नहीं पहुंचाना चाहते।