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पढ़िए, कैसे झाड़ू लगाकर एक मां ने तीन बेटों को बनाया अफसर

विदाई समारोह उस वक्त और भी स्पेशल हो गया, जब एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी (सुमित्रा देवी) के विदाई समारोह में तीन कारें आ पहुंचीं।

By Anujkumar Maurya
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राजरप्पा। झारखंड के राजरप्पा में सीसीएल टाउनशिप की गलियों में झाड़ू लगाने वाली 30 वर्षीय सुमित्रा देवी का रिटायरमेंट इतना खास होगा, उन्होंने ये सोचा भी नहीं था।

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उनकी नौकरी के आखिरी दिन उनके साथियों और पड़ोसियों ने मिलकर उनके रिटारमेंट का काफी स्पेशल बना दिया। इंडिया संवाद के अनुसार उनका विदाई समारोह उस वक्त और भी स्पेशल हो गया, जब एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी (सुमित्रा देवी) के विदाई समारोह में तीन कारें आ पहुंचीं।

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पहली कार से जो शख्स उतरा वह कोई आम नहीं, बल्कि खास शख्स था। वह शख्स था सिवान का डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, जिसने आते ही अपनी मां सुमित्रा देवी के पैर छुए। उसके पीछे वाली दो कारों से निकले दो लोग डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पीछे-पीछे चल रहे थे।

आपको बता दें कि सुमित्रा देवी के तीन बेटे हैं। सबसे बड़ा बेटा वीरेन्द्र कुमार रेलवे में इंजीनियर है, उनका दूसरा बेटा धीरेन्द्र कुमार एक डॉक्टर है और उनका तीसरा बेटा महेन्द्र कुमार बिहार के सिवाल जिले का डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर है।

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जब महिला के तीनों बेटों ने सुमित्रा देवी के पैर छुए तो वह रोने लगीं। हालांकि, यह आंसू दुख के नहीं, खुशी के थे। रोते हुए ही सुमित्रा देवी ने कहा- साहब, मैंने 30 साल तक कॉलोनी की गलियां साफ की हैं, लेकिन मेरे बच्चे भी आपकी तरह साहब हैं।

जहां एक ओर महिला के साथी ऐसी महान शख्सियत के साथ काम करने को लेकर काफी गौरवान्वित थे, वहीं दूसरी ओर, उनके तीनों बच्चों ने भी बताया कि कैसे संघर्ष करते हुए उनकी मां ने उनको पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बनाया।

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जब सुमित्रा देवी के बेटे बड़े अफसर हो गए, उसके बावजूद उन्होंने कॉलोनी की गलियों में सफाई करना बंद नहीं किया। इस पर सुमित्रा देवी ने कहा- यही काम है, जिसकी वजह से मैं अपने सपने पूरे कर सकती और आज बच्चों को अफसर बना सकी तो मैं उसे कैसे छोड़ सकती थी जिसने मेरे सपने पूरे करने में मेरी मदद की है।

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English summary
success story of a mother who she made her children future bright
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