जम्मू कश्मीर में 25000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती, लंगर बंद, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हटी
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से सियासी हलचत तेज हो गई है। केंद्र की ओर से 250 सुरक्षाबलों की कंपनियों यानि 25000 जवानों की तैनाती घाटी में की जा रही है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सुरक्षाबलों को श्रीनगर के अंतिसंवेदनशील इलाकों में और घाटी के अन्य इलाकों में तैनात किया जा रहा है। जिन जवानों को घाटी में भेजा गया है उसमे अधिकतर सीआरपीएफ के जवान हैं। गुरुवार देर शाम को ये तमाम बटालियन घाटी पहुंची हैं, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि इन जवानों की तैनाती क्यों की जा रही है।
धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को हटाया गया
अहम बात यह है कि हाल ही में जब 10000 जवानों की तैनाती घाटी में की गई थी, तो प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि यहां सबकुछ ठीक है। सूत्रों की मानें तो शहर से बाहर निकलने के लिए सभी रास्तों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है और उन्हें इसकी पूरी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद स्थानीय पुलिस महज प्रतीक के तौर पर रह गई है। जिस तरह से इतनी बड़ी संख्या में सेना की तैनाती की जा रही है उससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है और लोग जरूरी सामान को खरीद कर इकट्ठा कर रहे हैं। अधिकारियों सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि कुछ धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को हटाया गया है क्यों कि इस बात की गोपनीय जानकारी मिली है कि आतंकी यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं।
अमरनाथ यात्रा के लंगर बंद किए गए
बता दें कि तमाम स्कूलों की गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं और यह अगले 10 दिन तक चलेगी। वहीं अमरनाथ यात्रा के लिए चल रहे कुछ लंगरों को भी बंद करा दिया गया है। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने कश्मीर का दौरा किया था, जिसके बाद 10000 सुरक्षा कर्मियों को घाटी में भेजने का आदेश दिया गया था, जिससे कि यहां की कानून व्यवस्था को पुख्ता किया जा सके। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, उन्हें आशंका है कि केंद्र अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 में संशोधन की तैयारी कर रहा है। इसी के चलते विपक्ष ने सरकार को चेतावनी दी है कि इसके साथ कोई छेड़छाड़ ना की जाए।
विपक्ष की चेतावनी
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार को आगाह किया था कि राज्य में अनुच्छेद 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा। वहीं, एक बार फिर महबूबा मुफ्ती ने आर्टिकल 35ए को लेकर सभी दलों से साथ आने की अपील की है।हबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस वक्त ऐसी अफवाहें हैं कि 35ए के ऊपर हमला हो सकता है। उसके हवाले से हमको इकट्ठा होना चाहिए, ना सिर्फ लीडर्स बल्कि जो राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं, चाहें नेशनल कॉन्फ्रेंस के हों, कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर पीडीपी हो। मुफ्ती ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं को सब के घर जाना चाहिए और सभी को बताना चाहिए कि इस वक्त जो चुनाव की लड़ाई है, उसको अलग रखकर हम मिलकर काम करेंगे।
घाटी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का जो 35ए है उसकी हिफाजत के लिए ये जान और माल कुर्बान करने को तैयार रहेंगे। ये पहली बार नहीं है जब महबूबा मुफ्ती ने 35ए को लेकर ऐसी बातें कही हैं। कुछ दिनों पहले भी मुफ्ती ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे अनुच्छेद 35ए की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने को तैयार रहें। उन्होंने कहा था कि हम अपनी आखिरी सांस तक कश्मीर की रक्षा करेंगे, पीडीपी कभी समाप्त नहीं होगी। आज बारिश में हमारे कार्यकर्ता अपना पैसा खर्च करके दूर दराज से आए हैं। मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर के लिए शहीद हुए लोगों को याद करने की जरूरत है। हमें एक बड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहने की जरूरत है। चुनाव आते हैं और चले जाते हैं लेकिन असली लड़ाई जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के लिए लड़ना है। हम राज्य की स्थिति को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।
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