भोपाल सेंट्रल जेल में भूख हड़ताल करने वाले सिमी के छह सदस्यों को अस्पताल भेजा गया
भोपाल। प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के जिन 6 सदस्यों ने बीते हफ्ते भोपाल सेंट्रल जेल (Bhopal Central Jail) में भूख हड़ताल शुरू की थी, उन्हें शनिवार रात जेल के अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। इस बात की जानकारी जेल अधीक्षक ने दी है। इन छह लोगों में सदुली पीए और शिबिली केरल से हैं, कमरुद्दीन नागोरी, मोहम्मद अंसर, हाफिज हुसैन और सफदर मध्य प्रदेश से हैं। इस सभी को तीन साल पहले देशद्रोह, हथियार इकट्ठा करने, भारत सरकार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने, बम विस्फोट, आतंकवादी गिरोह और संगठन का सदस्य होने का दोषी पाया गया था।
एनआईए की विशेष अदालत और सीबीआई की विशेष अदालत सहित विभिन्न अदालतों ने इन्हें 2017 और 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगवे ने कहा, 'ये लोग बेहतर खाने की मांग कर रहे हैं, नियमित तलाशी का विरोध कर रहे हैं और उच्च सुरक्षा वाले ब्लॉक से स्वतंत्र होना चाहते हैं। भोपाल की इस जेल में सिमी के 28 सदस्य हैं। इनमें से 18 को एकांत कारावास में रखा गया है, ताकि अक्टूबर, 2016 में जेल तोड़ने जैसी घटना दोबारा ना हो।'
नरगवे ने कहा, 2016 में 30-31 अक्टूबर की रात को सिमी के आठ गुर्गे एक गार्ड की हत्या करके जेल से भाग गए थे और बाद में 31 अक्टूबर को भोपाल के पास एक गांव में मुठभेड़ में मारे गए थे। नरगवे कहते हैं, 'उन्हें विशेष सेल से बाहर आने की अनुमति नहीं है क्योंकि वे देश विरोधी नारे लगाते हैं और भारत के संविधान का भी अपमान करते हैं, जिसकी वजह से जेल के कैदियों में तनाव पैदा होता है। हम इन्हें बीते एक हफ्ते से हड़ताल खत्म करने के लिए मना रहे थे लेकिन इन्होंने हमारी बात नहीं मानी। इसलिए, इन्हें जेल के अस्पताल में भेजा गया है, जहां डॉक्टर इनका इलाज कर रहे हैं।'
ये छह लोग पहले अहमदाबाद जेल में बंद थे लेकिन 2017 में इन्हें भोपाल सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। कैदियों के परिवार के सदस्य का कहना है, 'इन्हें तभी से जेल अधिकारी परेशान कर रहे हैं। इनके अलावा सिमी के बाकी सदस्यों के साथ भी अक्टूबर 2016 के जेले तोड़ने की घटना के बाद से अमानवीय व्यवहार हो रहा है।' एक मानव अधिकार कार्यकर्ता माधुरी का कहना है, 'बीते तीन साल से जेल अधिकारी सिमी के सदस्यों को परेशान कर रहे हैं। हाल ही में कमरुद्दीन ने अहमदाबाद कोर्ट को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ एक एप्लीकेशन लिखी है। यहां कमरुद्दीन और अन्य पांच सदस्य साबरमती जेल तोड़ने वाले मुकदमे का सामना कर रहे हैं।'
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