Coronavirus: सिंगल-यूज मास्क और ग्लव्स सफाई कर्मियों के लिए बन रहे हैं बड़ा खतरा
नई दिल्ली- दुनिया भर के एक्सपर्ट कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवा खोजने में लगे हुए हैं, ताकि मरीजों को जल्द से जल्द ठीक कर के घर भेजा जा सके। हजारों वैज्ञानिक इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन की तलाश में जुटे हुए हैं, लेकिन फिलहाल इसके कोई आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान डॉक्टरों को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी तरह-तरह के गाइडलाइंस आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दुनिया भर के एक्सपर्ट उन्हें सेफ्टी गियर बढ़ाने की हिदायत दे रहे हैं। लेकिन, इन सबके बीच भारत में एक तबका ऐसा भी है, जो रोजाना इस वायरस से घंटों जंग लड़ रहा है। ये हैं दिल्ली-एनसीआर जैसे महानगरीय इलाकों में हर दिन घरों से कूड़ा उठाने वाले और जमा कूड़े की ढेर से कचरा बीनने वाले हजारों लोग। क्योंकि, अब कूड़े में मास्क, ग्लव्स और वायरस संदिग्धों (या संक्रमितों) के टिशू का भी अंबार लग रहा है। स्वच्छता के सेनानियों और बाकी नागरिकों के लिए भी ये खतरा कितना गंभीर है, इसके बारे में सोचकर भी कान खड़ा हो जाता है।
मेडिकल-वेस्ट से बढ़ा संक्रमण का खतरा
देश के छोटे से लेकर बड़े शहरों में इस वक्त लोग सिंगल-यूज मास्क, मेडिकल ग्लव्स और टिशू का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। उनमें से कई लोग तो ऐसे हैं, जो होम-क्वारंटाइन किए गए हैं। ऐसे में नगर निगमों को वेस्ट-मैनेजमेंट को लेकर बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी दिल्ली को ही लें यहां रोजाना कूड़ा उठाने और कचरा बीनने वालों को इन बायो-मेडिकल जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में जब कोरोना वायरस का संक्रमण चरम पर पहुंचता जा रहा है संबंधित विभागों के लिए यह समस्या बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। दिक्कत ये हो रही है कि मौजूदा व्यवस्था के तहत जहां कूड़े की ढेर जमा हो रही है, वहां घरेलू कचरों में ये बायो-मेडिकल वेस्ट भी पहुंच रहे हैं और कचरा बीनने वाले उन्हें अधिकतर हाथों से ही अलग करते देखे जाते हैं।
एक्सपर्ट भी जताने लगे हैं चिंता
इन नाजुक हालातों ने वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े लोगों के कान खड़े कर दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चिंतन एनवायरोमेंट रिसर्च एंड ऐक्शन ग्रुप की हेड चित्रा मुखर्जी का कहना है कि,'ऐसी चीजों को जमा करने के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए।' इनकी संस्था कचरा बीनने वालों पर काफी सारे काम करती है। मुखर्जी के मुताबिक, 'ये निगम अधिकारियों की लापरवाही है जो ऐसी खतरनाक चीजों को ढलावों और लैंडफिल्ड्स में जमा होने देते हैं।' इनका कहना है कि ऐसी चीजों को रिसाइकल नहीं किया जा सकता। इसलिए इनका एक ही उपाय है कि अलग से जमा किया जाए और फिर उन्हें जला दिया जाय। कचरा बीनने वालों की शिकायत है कि इस्तेमाल किए हुए मास्क का न तो कोई रीसेल वैल्यू है और ऊपर से उनके बीच कोरोना वायरस के संक्रमण का डर अलग पैदा हो रहा है।(दूसरी तस्वीर प्रतीकात्मक)
होम क्वारंटाइन वाले घरों को सचेत करना जरूरी
सॉलिड म्यूनिसिपल वेस्ट मैनेजमेंट की एक और एक्सपर्ट स्वाति सांब्याल ने कहा है कि ऐसे समय में जब कोरोना वायरस की वजह से बायोमेडिकल प्लास्टिक और दूसरे खतरनाक कचरे ज्यादा निकल रहे हैं, घरेलू कूड़ों की अहमियत बहुत बढ़ गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि, 'जिन लोगों को भी होम क्वारंटाइन के लिए बोला गया है, उन्हें बताना चाहिए कि ऐसी चीजों को कूड़े में न मिलाएं। उन्हें अच्छे तरीके से इसे अलग कर देना चाहिए।' यही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि ऐसे घरों से कहना चाहिए कि वो रोज अपना कूड़ा न निकालें, ताकि कूड़ा उठाने वाले लोग रोजाना वायरस के नजदीक आने से बच सकें और म्यूनिसिपलिटी को ऐसे कचरों को ले जाकर जलाने के लिए अलग वाहन की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
होम क्वारंटाइन घरों में पहुंचें अलग कूड़ा वाहन
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नई गाइडलाइंस के मुताबिक मेडिकल वेस्ट को पीले बैग में ही फेंकना है। निगमों को ऐसे कचरों को घरों और संबंधित जगहों से उठाकर बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले तक दिल्ली में रोजाना 27 टन बायोमेडिकल वेस्ट पैदा होता था और इसके पास प्रतिनिदिन ऐसे 63 टन कचरे की प्रोसेसिंग की क्षमता है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने सोमवार को एक बैठक में कहा कि बायोमेडिकल वेस्ट उठाने वालों से कहा गया है कि हर निगम क्षेत्र में क्वारंटाइन वाले घरों से कचरा उठाने के लिए दो वाहन अलग से लगाएं। उन्होंने कहा कि 'सभी पांचों स्थानीय निकाय ये सेवा शुरू कर रहे हैं।......ये कचरे भट्टियों तक भेजे जाएंगे। '
गैर-क्वारंटाइन घरों के कचरों से कैसे बचेंगे ?
अधिकारियों ने माना है कि अब तक निगम के अधिकारी बायोमेडिकल वेस्ट के खतरों के प्रति लापरवाह थे, लेकिन अब जल्द से जल्द इसकी व्यवस्था की जा रही है। हालांकि, उस अधिकारी के मुताबिक, 'हमें अभी तक ये पता नहीं है कि हम उन मास्क से कैसे निपटेंगे जो गैर-क्वारंटाइन घरों के कचरों में आ रहे हैं।' अब ऐसे कचरों से निपटने के लिए भी गाइडलाइंस तैयार करने पर विचार चल रहा है।
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