'सेकुलरिज्म' पर शिवसेना ने याद दिलाई बालासाहेब ठाकरे की पुरानी 'मांग'
मुंबई। महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर खींचतान के बाद भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच तीन दशक पुराना गठबंधन टूट गया है। बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना अब कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। इसके बाद से 'सेकुलरिज्म' को लेकर बहस छिड़ी हुई है। ऐसी खबरें भी आई हैं कि एनसीपी-कांग्रेस के साथ शिवसेना के गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच यहीं पर फंसा हुआ है, जिसपर अब पार्टी के नेता संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है।
बालासाहेब ठाकरे की मांग की दिलाई याद
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि देश और संविधान 'सेकुलर' शब्द पर काम करते हैं। उन्होंने कहा, 'आज भी, जब किसानों को राहत दी जाती है या युवाओं को नौकरी दी जाती है, तो यह धर्म या जाति के आधार पर नहीं दिया जाता है।' संजय राउत ने सेकुलरिज्म को लेकर छिड़ी बहस पर कहा कि बालासाहेब ठाकरे देश के शायद एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने अदालतों में पवित्र ग्रंथों पर हाथ रखकर शपथ लेना बंद करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इसके बजाय संविधान पर हाथ रखकर शपथ लिया जाना चाहिए।'
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सेकुलरिज्म हो सकता है साझा कार्यक्रम का आधार
दरअसल, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है। इसको लेकर पिछले कई दिनों से एनसीपी और कांग्रेस के बीच आपस में बातचीत हो रही है। ऐसी खबरें आई हैं कि 'सेकुलरिज्म' को न्यूनतम साझा कार्यक्रम का आधार बनाया जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने इस मुद्दे पर अपना रुख कमजोर नहीं किया है। ऐसे में, शिवसेना अपने नए सहयोगियों को समायोजित करने के लिए इसके साथ जा सकती है। संजय राउत ने कहा कि सरकार बनाने को लेकर जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, राउत ने पावर शेयरिंग को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशें जारी
21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन ने क्रमशः 105 और 56 सीटों पर जीत दर्ज कर बहुमत हासिल किया था। जबकि कांग्रेस और एनसीपी ने क्रमशः 44 और 54 सीटें जीती थीं। लेकिन नतीजे आने के बाद शिवसेना ने बीजेपी के सामने 50-50 फॉर्मूला रख दिया, जिसको लेकर दोनों दलों के बीच खींचतान बढ़ने लगी। इसी के बाद से राज्य में सरकार बनाने को लेकर उठापटक जारी है।