बुर्का बंद करने की मांग वाले संपादकीय पर शिवसेना की सफाई- यह एडिटर की व्यक्तिगत राय
मुंबई। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाले संपादकीय पर शिवसेना ने सफाई दी है। शिवसेना ने कहा है कि आज की संपादकीय में न तो नेताओं की बैठक में चर्चा की गई है और न ही उद्धव ठाकरे से कोई चर्चा हुई है। यह वर्तमान में हुए श्रीलंका के हमले संपादक की व्यक्तिगत राय है इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा संपादकीय में दावा किया गया है कि बुर्के का इस्तेमाल कर देशद्रोह और आतंकवाद फैलाने के उदाहरण सामने आए हैं।
बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में बुर्का पर प्रतिबंध की लगाने की मांग की गई है। सामना के मुखपत्र में लिखा गया है कि सिलसिलेवार बम धमाके के बाद श्रीलंका में बुर्का और नकाब सहित चेहरा ढंकने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। संपादकीय में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना के इस फैसले का हम स्वागत कर रहे हैं। इसके अलावा हम पीएम नरेंद्र मोदी भी श्रीलंका के तर्ज पर भारत में बुर्का और उसी तरह के नकाब पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा संपादकीय में फ्रांस भी हुए आतंकवादी हमले का हवाला देते हुए लिखा गया है कि वहां की सरकार ने भी बुर्काबंदी की है। इसके बाद न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी यही हुआ है। ऐसे में फिर हिन्दुस्तान पीछे क्यों? संपादकीय में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम लड़कियां बुर्के को नकारना चाह रही है और दूसरी बात ये है कि बुर्के की आड़ में क्या चल रहा होता इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता है। बता दें कि श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार आत्मघाती हमलों के लिए चर्च और होटलों को निशाना बनाया गया था। इस हमले में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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