नए भ्रष्टाचार विरोधी कानून में यौन संबंध की मांग को माना जाएगा रिश्वत, होगी 7 साल की जेल
नई दिल्ली। भ्रष्टाचार रोकथाम (संसोधन) अधिनियम, भ्रष्टाचार निरोधी कानून में कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी धन के बदले यौन संबंध बनाने की मांग करता है तो उसे भी रिश्वत माना जाएगा। इसके साथ-साथ इसमें अभियुक्त को सात साल की जेल की सजा भी हो सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यह जिक्र भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 2018 में अम्ब्रेला टर्म (अनावश्यकला) में शामिल है। जिसका मतलब कानूनी पारिश्रमिक के अलावा कोई भी संतुष्टि है,और इसमें महंगे क्लब की सदस्यता और हॉस्पिटैलिटी शामिल है।
भ्रष्टाचार विरोधी कानून में कहा गया है कि 'संतुष्टि' शब्द आर्थिक संतुष्टि या फिर पैसे में अनुमानित संतुष्टि तक सीमित नहीं है। बता दें कि इस कानून को अभी राष्ट्रपति से सहमति मिलना बाकी है। केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में इस अधिनियम को अधिसूचित किया था। जिसमें 30 साल पुराने 1988 के कानून को संशोधित कर उसे और मजबूत बनाया गया है। इसके साथ-साथ यह कानून लोकसेवकों को कठिन फैसले लेने में भी सक्षम बनाता है। संशोधित कानून के तहत, सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां अब यौन पक्षपात, महंगे क्लब सदस्यता और आतिथ्य की मांग और स्वीकार करने या दूसरों के बीच करीबी दोस्तों या रिश्तेदारों को रोजगार प्रदान करने को लेकर कानूनी तौर पर मामला दर्ज कर सकती है।
अधिकतम
सात
साल
की
जेल
इसमें
अधिकतम
सात
साल
की
जेल
का
प्रावधान
है।
इससे
पहले
यह
प्रावधान
भ्रष्टाचार
के
किसी
भी
कानून
में
शामिल
नहीं
था।
सुप्रीम
कोर्ट
के
वरिष्ठ
वकील
जी
वेंकटेश
राव
ने
कहा
कि
'अनावश्यक
लाभ'
शब्द
का
अर्थ
किसी
भी
तरह
का
मौका
हो
सकता
है,
जो
गैर-मौद्रिक,
महंगे
उपहार
या
किसी
भी
तरह
के
मुफ्त
के
रूप
में,
मुफ्त
छुट्टी
या
एयरलाइन
टिकट
का
भुगतान
जैसा
भी
हो
सकता
है।
इसके
साथ-साथ
इसमें
किसी
भी
सामान
और
सेवाओं
को
किसी
अन्य
वाणिज्यिक
इकाई
को
वितरित
करने
योग्य
भी
शामिल
होगा।
इसमें
यौन
पक्ष
को
विशेष
रूप
से
शामिल
किया
गया
है।
पांच
साल
पहले
सरकार
ने
पेश
किया
था
विधेयक
पांच
साल
पहले,
सरकार
ने
रिश्वत
की
परिभाषा
और
निजी
क्षेत्र
में
भ्रष्टाचार
को
कवर
करने
के
लिए
भ्रष्टाचार
रोकथाम
(संशोधन)
विधेयक,
2013
पेश
किया
था।
जिसमें
रिश्वत
से
संबंधित
अपराधों
को
परिभाषित
करने
के
लिए
इस्तेमाल
किया
जाने
वाला
शब्द
तब
वित्तीय
या
अन्य
लाभ
था।
इसके
बाद
नवंबर
2015
में,
कुछ
आधिकारिक
संशोधन
हुए
जिसमे
'वित्तीय
पारिश्रमिक
के
अलावा
किसी
भी
संतुष्टि'
को
दंडनीय
बनाने
के
लिए
'अनुचित
लाभ'
के
साथ
'वित्तीय
या
अन्य
लाभ'
।
फरवरी
2015
में
कानून
आयोग
की
एक
रिपोर्ट
के
बाद
आधिकारिक
संशोधन
किया
गया
जिसमें
सुझाव
दिया
गया
था
कि
'देय'
और
'अनुचित'
वित्तीय
या
अन्य
लाभ
के
बीच
एक
अंतर
होना
चाहिए।
ईजुसडेम
जेनरिस
का
इस्तेमाल
कर
लिया
जा
रहा
अन्य
लाभ
आयोग
भ्रष्टाचार
रोकथाम
(संशोधन)
विधेयक,
2013
को
लेकर
कहा
था
कि
ईजुसडेम
जेनरिस
का
उपयोग
का
वित्तिय
या
अन्य
लाभ
लिया
जा
रहा
है।
इसके
साथ-साथ
सार्वजनिक
नौकर
के
कृत्यों
या
फिर
गलती
के
बदले
यौन
संबंध
की
मांग
को
यह
कवर
नहीं
करता
है।
इस
तरह
से
प्रस्तावित
संशोधन
वास्तवम
में
भ्रष्टाचार
के
दायरे
को
कम
कर
रहा
है।
इसके
बाद
आयोग
एक
संसदीय
पैनल
ने
2016
में
संसद
में
प्रस्तुत
अपनी
रिपोर्ट
में
कानून
आयोग
के
इस
स्टैंड
का
भी
समर्थन
किया।
समिति ने यह भी कहा था कि प्रवर्तन-जांच एजेंसियां सार्वजनिक नौकर के साथ-साथ भ्रष्टाचार के मामलों समाज के नागरिक सदस्यों को परेशान करती है या फिर अभिव्यक्ति का दुरुपयोग कर सकती हैं। इसलिए सलाह है कि इस संबंध में पर्याप्त सावधानी बरती जाए। एक अन्य कानूनी विशेषज्ञ सिमरनजीत सिंह ने कहा कि अधिनियम में संशोधन का प्रभाव 'अयोग्य लाभ' शब्द के दायरे में एक प्रकार की वृद्धि है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जांच एजेंसियों द्वारा कानून का कोई दुरुपयोग नहीं किया गया है।
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