अनाथ बच्चों के मसले पर पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार- आपके आंकड़ों पर भरोसा नहीं
नई दिल्ली, 27 जुलाई: कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि आप जो आंकड़े दे रहे हैं, वो भरोसेमंद नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनाथ बच्चों को लेकर जो कल्याणकारी स्कीम हैं, जैसे कि एक पीएम केयर्स फंड के तहत घोषित की गई है, उसमें कोविड 19 के दौरान अनाथ हुए सभी बच्चों को शामिल किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा है कि इस योजना में सिर्फ उन बच्चों को ही शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जो इस महामारी की वजह से अनाथ हुए हैं।
अनाथ
बच्चों
के
मसले
पर
बंगाल
सरकार
को
फटकार
सुप्रीम
कोर्ट
ने
पश्चिम
बंगाल
सरकार
को
कोविड
के
दौरान
अनाथ
हुए
बच्चों
के
आंकड़ों
पर
जबर्दस्त
फटकार
लगाई
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
है
कि
पश्चिम
बंगाल
सरकार
के
आंकड़े
बता
रहे
हैं
कि
कोविड-19
के
दौरान
सिर्फ
27
बच्चे
अनाथ
हुए
हैं,
जो
कि
'अविश्वसनीय
और
भरोसे
के
लायक
नहीं
है।'
सुप्रीम
कोर्ट
ने
राज्य
के
जिलाधिकारियों
को
निर्देश
दिया
है
कि
सभी
जरूरी
जानकारी
जुटाएं
और
उन
आंकड़ों
को
जल्द
से
जल्द
वेब
पोर्टल
(बाल
स्वराज
वेबसाइट)
पर
अपलोड
करें।
आपके
आंकड़ों
पर
विश्वास
नहीं
है-
सुप्रीम
कोर्ट
बंगाल
के
अलावा
अनाथ
बच्चों
के
आंकड़ों
की
वजह
से
पंजाब
जैसे
राज्य
भी
सर्वोच्च
अदालत
के
निशाने
पर
रहे।
अदालत
ने
बंगाल
और
पंजाब
से
पूछा
है
कि
उन्होंने
अनाथ
बच्चों
के
आंकड़ों
को
बाल
स्वराज
वेबसाइट
अबतक
अबलोड
क्यों
नहीं
किया
है।
इस
पर
बंगाल
सरकार
के
वकील
ने
दलील
देने
की
कोशिश
की
कि
सही
डेटा
अपलोड
किया
गया
है
और
उसे
एनसीपीसीआर
को
भी
भेजा
गया
है।
इसपर
अदालत
ने
कहा
'इसका
मतलब
आप
ये
कह
रहे
हैं
कि
पूरे
राज्य
में
सिर्फ
27
बच्चे
ही
अनाथ
हुए
हैं
?
क्या
ये
आंकड़े
सही
है?'
अदालत
ने
ये
भी
कहा
कि
'आप
दूसरे
राज्यों
के
आंकड़ों
को
देखें।
ऐसा
नहीं
लग
रहा
है
कि
आपके
प्रदेश
में
कोविड
भी
था।
हम
इन
आंकड़ों
पर
विश्वास
करने
की
स्थिति
में
नहीं
हैं।
हमें
ये
समझ
में
नहीं
आता
कि
कैसे
राज्यों
को
यह
समझ
में
नहीं
आता
कि
करना
क्या
है...'
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इसपर
चाइल्ड
राइट्स
एंड
ट्रैफिकिंग
के
सेक्रेटरी
डायरेक्टोरेट
को
एक
नोटिस
भी
जारी
किया
है।
गैरजिम्मेदाराना
बयान
मत
दीजिए-सुप्रीम
कोर्ट
जब
वकील
फिर
भी
अदालत
के
मूड
को
नहीं
भांप
सके
और
दलील
दे
दी
कि
वेरिफिकेशन
की
प्रक्रिया
जारी
है,
इसपर
कोर्ट
ने
कहा,
'इस
तरह
के
गैरजिम्मेदाराना
बयान
मत
दीजिए
कि
यह
एक
जारी
रहने
वाली
प्रक्रिया
है
और
आपको
इसकी
पुष्टि
करने
में
वर्षों
लग
जाएंगे।
बच्चों
को
असहाय
छोड़
दिया
जाएगा
?'
अदालत ने पंजाब सरकार की भी खिंचाई की और कहा कि आंकड़े सही नहीं लग रहे हैं। कोर्ट ने कहा, 'जब तक हमें अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के बारे में जानकारी नहीं मिलती है, तब तक उनकी देखभाल करने का कोई तरीका नहीं है।' इसपर पंजाब सरकार के वकील की दलील थी कि विभाग आश्वस्त है कि 73 बच्चे अनाथ हुए हैं। जिनमें से 33 के माता-पिता की मौत कोविड के चलते हुई है। बाकी 40 की मौत का कारण अलग है। अदालत ने पंजाब सरकार से जमीनी स्तर पर अनाथ बच्चों की जानकारी जुटाने को कहा है। साथ ही जम्मू और कश्मीर के अधिकारियों से भा कहा कि वह अपडेटेड जानकारी दाखिल करें।