यूपी-एमपी सरकार ने किया श्रमिक कानून में बदलाव, RSS की मजदूर इकाई विरोध में उतरी
लखनऊ। लॉकडाउन की वजह से लाखों मजदूरों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। तमाम फैक्ट्रियां, इंडस्ट्री बंद है, ऐसे में मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने उनके जीवनकाल की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। संकट के इस दौर में कई राज्यों ने श्रम कानूनों में अहम बदलाव किए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार ने भी श्रम कानून में बदलाव किया है, लेकिन इस बदलाव के चलते संघ परिवार में अंदरूनी मतभेद सामने आने लगे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा मजदूर संघ बीएमएस दोनों प्रदेश में प्रदेश सरकार द्वारा किए गए श्रम कानून में संशोधन के खिलाफ खड़ा हो गया है।
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भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय का कहना है कि हम राज्य सरकारों द्वारा की गई इस पहल का विरोध करते हैं। हमने श्रम कानून में किए गए बदलाव की समीक्षा की है। हम दोनों ही प्रदेश की सरकारों से पूछना चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में आखिर कैसे मौजूदा श्रम कानून बाधा बन रहे हैं, जिसके चलते उन्हें इसमे संशोधन करना पड़ा। हम श्रमिकों के अधिकारों को स्थगित करने के फैसले के पूरी तरह से खिलाफ हैं। सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए।
यही नहीं भारतीय मजदूर संघ ने फैसला लिया है कि राज्यों की इकाइयां उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्रियों के पास जाएंगी और इस श्रम कानून में संशोधन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएंगे। बता दें कि शुक्रवार को भारतीय मजदूर संघ के शीर्ष नेताओं ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्या को रखा गया था और जिस तरह से श्रमिकों में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है उसपर भी चिंता जताई गई थी। बता दें कि ना सिर्फ भारतीय मजदूर संघ बल्कि अन्य बड़े मजदूर संघ भी श्रमिक कानून में हुए बदलाव के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं
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