Remote voting machine:क्यों विपक्षी पार्टियां RVM का विरोध कर रही हैं ? जानिए
RVM:करीब 16 विपक्षी दलों ने रिमोट वोटिंग मशीन से मतदान की प्रक्रिया अपनाने का विरोध किया है। उनके मुताबिक चुनाव आयोग का यह प्रस्ताव अधूरा है और जो प्रवासी वोटरों के आंकड़े दिए हैं, वह अविश्वसनीय हैं।
Remote electronic voting machine RVM proposal: रोजी-रोजगार के चलते अपने जिलों और लोकसभा क्षेत्रों से दूर रहने वाले प्रवासी वोटरों को, देश के जिस राज्य में भी हैं वहीं पर वोटिंग की सुविधा देने के लिए चुनाव आयोग बड़ी पहल कर रहा है। इसके लिए एक रिमोट इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन बनाई गई है, जिसका डेमो चुनाव आयोग राजनीकि दलों को दे रहा है। आयोग ने राजनीतिक दलों से RVM को लेकर अपनी-अपनी राय लिखित में भी 31 जनवरी तक देने को कहा है। लेकिन, रविवार को 16 विपक्षी दलों की हुई एक बैठक के रुख से लगता है कि वह प्रवासी वोटरों को रिमोट वोटिंग मशीन से मतदान की सुविधा दिए जाने को लेकर अभी भी खुद को तैयार नहीं कर पाए हैं। उन्होंने इस तरह के किसी भी प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया है। आइए जानते हैं कि RVM के प्रस्ताव का विपक्षी दल किस आधार पर विरोध कर रहे हैं।
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रिमोट वोटिंग प्रस्ताव का विपक्षी दलों ने किया विरोध
रिमोट इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के चुनाव आयोग के प्रस्ताव से ज्यादातर विपक्षी पार्टियां असहमत हैं। चुनाव आयोग की ओर से सोमवार को RVM का प्रोटोटाइप दिखाने से पहले ही रविवार को 16 विपक्षी दलों ने इसपर असहमति जता दी थी। विपक्षी दलों की यह बैठक कांग्रेस की अगुवाई में दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें कई सारे सवाल खड़े किए गए और इन दलों की ओर से साफ कर दिया गया कि उन्हें चुनाव आयोग का यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है। बैठक में जो दल शामिल हुए थे, उनमें कांग्रेस के अलावा, जेडीयू, सीपीआई, सीपीएम, आरजेडी, शिवसेना, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, वीसीके,आरएसपी,इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और जेएमएम के अलावा राज्यसभा के निर्दलीय सांसद और पूर्व कांग्रेसी मंत्री कपिल सिब्बल भी शामिल थे।
विपक्षी पार्टियां RVM का विरोध क्यों कर रही हैं ?
इस बैठक के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'बैठक में शामिल होने वाली राजनीतिक पार्टियों ने RVM के प्रस्ताव का सर्वसम्मति से विरोध इसलिए किया है कि यह अभी भी बहुत अधूरा है। प्रपोजल कंक्रीट नहीं है। प्रस्ताव में राजनीतिक विसंगतियां और समस्याए हैं।' बैठक में शामिल विपक्षी दलों की ओर से दिग्विजय ने कहा कि, 'प्रवासी मजदूर, प्रवासी मजदूरों की संख्या सब बहुत स्पष्ट नहीं है।' यही नहीं विपक्ष का दावा है कि चुनाव आयोग ने जो प्रस्ताव दिया है, वह बहुत ही अव्यवहारिक है। इनके मुताबिक 30 करोड़ प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा कहां से आया, जब ऐसा कोई सर्वे ही नहीं हुआ।
RVM को लेकर विपक्ष के पास और क्या मुद्दे हैं ?
विपक्ष की बैठक में राजद की ओर से शामिल पार्टी नेता मनोज झा ने कहा कि उनके पास विश्वसनीयता के तीन मुद्दे हैं- आयोग की विश्वसनीयता, प्रवासी कामगारों की परिभाषा की विश्वसनीयता और संविधान के आर्टिकल 324 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के मूल विचार की विश्वसनीयता। कुछ दलों ने प्रवासी कामगारों (migrant workers) के राज्यों के बीच आवाजाही के पर्याप्त आंकड़े की उपलब्धता की कमी को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।
RVM को लेकर कुछ व्यावहारिक सवाल
विपक्षी दलों के कुछ सवाल रिमोट वोटिंग मशीन से मतदान कराने की स्थिति में व्यावहारिकता से भी जुड़े हैं। मसलन, अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर इलाके में वोटिंग के दौरान उनके लिए बूथ एजेंट, चुनाव एजेंटों तक पहुंच बनाने में दिक्कतों का सामना पड़ेगा। जाहिर है अगर चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से 31 जनवरी तक अपनी ओर से जो लिखित प्रतिक्रिया देने को कहा है, उसमें वे इन सवालों को रख सकते हैं। विपक्षी दल इस मुद्दे पर 25 जनवरी को एक बैठक भी करने वाले हैं और फिर साझा रूप से या अलग-अलग अपना जवाब चुनाव आयोग को भेजेंगे।
चुनाव आयोग की रिमोट वोटिंग व्यवस्था क्या है ?
दरअसल, पिछले साल 29 दिसंबर को चुनाव आयोग ने कहा था कि चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उसने घरेलू प्रवासी वोटरों की सुविधा को देखते हुए एक रिमोट इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का प्रोटोटाइप विकसित किया है। अगर सभी स्टेकहोल्डर्स की सहमति से यह व्यवस्था लागू हुई तो प्रवासी वोटरों के मतदान के लिए उस चुनाव क्षेत्र में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जहां उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है। बल्कि, वह देश में जिस स्थान पर मौजूद हैं, वहीं से रिमोट इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक RVM से देश के 72 लोकसभा क्षेत्रों के लिए वोटिंग हो सकेगी। चुनाव आयोग का मानना है कि तकनीक के युग में प्रवास की वजह से मतदान से वंचित रखना विकल्प नहीं हो सकता।