सवर्ण आरक्षण बिल पर रामदास अठावले ने पढ़ी संसद में कविता, कुमार विश्वास हुए नाराज
नई दिल्ली। आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों के बिल को लोकसभा के साथ राज्यसभा में भी हरी झंडी मिल गई है। संविधान में 124वें संशोधन के साथ ही अब सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। राज्यसभा में इस बिल को लेकर तकरीबन 10 घंटे तक बहस चली। जिसके बाद सदन के 165 सदस्यों ने इसे अपनी मंजूरी दी। लोकसभा में इस बिल पर बहस के दौरान तमाम दल के नेताओं ने अपनी बात इसपर रखी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री रादास अठावले ने एक कविता के जरिए अपनी बात सदन में रखी।
अठावले ने सुनाई कविता
अठावले ने सदन में एक तुकबंदी वाली कविता के जरिए मोदी सरकार को इस बिल के लिए शुक्रिया अदा करते हुए उनकी जमकर तारीफ की। इस कविता में उन्होंने पीएम मोदी की काफी तारीफ करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोला। इस कविता के जरिए अठावले ने सवर्ण आरक्षण से लेकर राफेल डील, तीन तलाक बिल पर भी अपनी बात रखी और पीएम मोदी को चालाक आदमी बताया। उन्होंने अपनी कविता में राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला।
अठावले की कविता
आज
मुझे
बहुत
अच्छा
हो
रहा
है
फील,
क्योंकि
लोकसभा
में
पास
हो
रहा
है
आरक्षण
का
बिल
इसलिए
2019
में
मजबूत
हो
रही
है
नरेंद्र
मोदी
जी
की
हील,
क्योंकि
राफेल
में
नहीं
हुआ
है
बिल्कुल
गलत
डील
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
जी
हैं
बहुत
चालाक,
इसलिए
संसद
में
बिल
आया
है
सवर्ण
आरक्षण
और
तीन
तलाक
नरेंद्र
मोदीजी
ने
दिखाई
है
एक
नई
झलक,
अब
मत
दिखाओ
राहुल
गांधी
जी
गलत-गलत
नरेंद्र
मोदी
जी
का
था
अच्छा
लक्षण,
इसलिए
सवर्णों
को
मिल
रहा
है
आरक्षण
राहुल
गांधी
नहीं,
नरेंद्र
मोदी
जी
कर
रहे
हैं
देश
का
रक्षण,
2019
में
कांग्रेस
का
हो
जाएगा
भक्षण
राहुल
जी,
मोदी
जी
के
साथ
मत
खेलो
गलत
चाल,
वरना
हो
जाएगा
2019
में
बुरा
हाल
कुमार विश्वास ने साधा निशाना
अठावले की यह कविता कुमार विश्वास को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने ट्विटर पर इसकी आलोचना की है। विश्वास ने लिखा, लोकतंत्र की जिस संसदीय शक्तिपीठ में, कभी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामधारीसिंह दिनकर, बालकवि बैरागी और उदयप्रताप जी जैसे कवियों ने भाषा और कविता का गुण-गौरव गुंजाया था, वहाँ का हालिया "उत्कर्ष" आप सब "मतदाताओं" की सेवा में प्रस्तुत है ! ऐसे "हल्के-फुल्के"लोकतंत्र की जय हो। हालांकि अठावले की कविता के बाद सदन में लोगों ने ताली बजाकर और टेबल बजाकर उनका अभिनंदन किया, लेकिन कुमार विश्वास को अठावले की कविता पसंद नहीं आई।
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