सांसद जिन्होंने राज्यसभा में आरक्षण विधेयक के विरोध में डाला वोट
नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में मंजूरी मिल गई। लोकसभा के बाद यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। राज्यसभा में लगभग 10 घंटे तक चली बहस के बाद हुई वोटिंग में इस बिल के पक्ष में 165, जबकि विरोध में सिर्फ 7 वोट पड़े।
जबकि राज्यसभा में चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने बिल का विरोध करते हुए सरकार को ओबीसी और दलित विरोधी है। उन्होंने कहा कि हमें सरकार की नीति और नियत दोनों पर एतराज है। हम इस मध्य रात्रि की लूट पर मुहर नहीं लगा सकते। वहीं एआइडीएमके के सांसद ए नवनीतकृष्णन ने 10 फीसदी आरक्षण बिल का विरोध किया। उन्होंने इसे तमिलनाडु के खिलाफ बताते हुए कहा कि संविधान हमेशा से संसद से ऊपर है और इसका उच्च स्थान बरकरार रहना चाहिए।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि बिना किसी कमेटी को भेजे सरकार रातों-रात यह बिल लेकर आई है और अकेले ही सभी फैसले लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने के पीछे आंकड़े क्या है, कितने लोगों को इसका फायदा मिलने जा रहा है। उन्होंने इसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की। हालांकि उनकी ये मांग वोटिंग के बाद खारिज हो गई। बिल का विरोध करते हुए सीपीआई के सांसद डी राजा ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान सभा की चर्चा के खिलाफ है।