राहुल गांधी बोलें- लोकतांत्रिक देश नहीं रह गया है भारत, स्वीडन इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट की शेयर
भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रह गया है: राहुल गांधी ने लगाया आरोप
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा है कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रह गया है। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने स्वीडन इंस्टीट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट को ट्विटर पर शेयर किया है। स्वीडन इंस्टीट्यूट ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि भारत इस समय पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरह ऑटोक्रेटिक (एकतंत्रीय व्यवस्था) वाला देश है। वहीं दूसरे पड़ोसी बांग्लादेश में भारत से ज्यादा लोकतांत्रिक व्यवस्था इस समय है। इसी रिपोर्ट को राहुल ने शेयर करते हुए कहा है कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं बचा है।
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राहुल ने जिस रिपोर्ट को शेयर किया है उसमें वी-डेमोक्र्सी (वरायटीज ऑफ डेमोक्रेसी) के हवाले से कहा गया है कि भारत अब 'इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी' यानी 'चुनावी तानाशाही' वाले देशों की सूची में आ गया है। इसके लिए मौजूदा सरकार का मीडिया पर अंकुश, मानहानि और राजद्रोह कानूनों के इस्तेमाल के लोगों को दबाना जैसी वजह बताई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंसरशिप के मामले में भारत पाकिस्तान जितना निरंकुश है। उसके पड़ोसी देश, बांग्लादेश और नेपाल में स्थिति बेहतर है।
राहुल गांधी लगातार कह रहे देश में लोकतंत्र खतरे में
राहुल गांधी बीते काफी समय से ये कह रहे हैं कि देश की मौजूदा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म कर रही है और देश में लोकतंत्र को समेटा जा रहा है। बीते महीने राहुल गांधी ने तमिलनाडु में कहा था कि लोकतंत्र झटके से नहीं मरता है, ये धीरे-धीरे खत्म किया जाता है जो कि आज हो रहा है। संस्थाओं के बीच संतुलन बिगड़ता है तो देश में असंतुलन पैदा होता है। पिछले 6 सालों से सभी संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमला किया जा रहा है। भारत में लोकतंत्र को मारा जा रहा है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ हमारे देश की संस्थाओं संतुलन को बिगाड़ और बर्बाद कर रहा है।
एक इंटरव्यू में हालही में राहुल ने कहा था कि आज सत्ता के जोर पर संवैधानिक संस्थाओं को समझौता करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। संघ हर संस्था में अपने लोगों को भर रहा है। हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है, न्यायपालिका से आज उम्मीद नहीं बची है। किसी को भी विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है। लोकतांत्रिक अवधारणा पर ये सोचा-समझा हमला है।